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Sunday, June 14, 2020

Suicide - आजकल की युवा पीढ़ी की एक दर्दनाक तस्वीर


परेशानियां किसको नहीं होती? सबकी अपनी अपनी मुश्किलें और दिक्कतें है लेकिन इसका मतलब ये बिल्कुल भी नहीं है कि कोई आत्महत्या कर ले। 
आज की युवा पीढ़ी शारीरिक तौर पर Six Pack Abs बनाना तो जानती है लेकिन मानसिक तौर पर इतनी कमजोर है कि कोई अगर जरा सी बात भी बोल दे तो ये अपना मानसिक संतुलन खो देते है और आत्महत्या जैसा घिनौना पाप कर बैठते है। अगर कोई बात इनको गलती से भी बुरी लग गई तो ये गोली तक चला सकते है। 

किसी की नौकरी नहीं लग रही, तो क्या वो Suicide कर ले।

किसी के माता पिता अब इस दुनिया में नहीं है, तो क्या वो Suicide कर ले।

किसी की शादी नहीं हो रही, तो क्या वो Suicide कर ले।

किसी का काम धंधा नहीं चल रहा, तो क्या वो Suicide कर ले।

कोई किसी Subject में या पेपर में फेल हो गया, तो क्या वो Suicide कर ले।

किसी लड़के ने किसी लड़की का शादी का प्रस्ताव ठुकरा दिया, तो क्या वो Suicide कर ले।

किसी लड़की ने किसी लड़के का प्रेम का प्रस्ताव ठुकरा दिया, तो क्या वो Suicide कर ले।

अगर किसी के घर लड़की पैदा हुई है और वो बात उसके घरवालों को पसंद नहीं है, तो क्या वो Suicide कर ले।

किसी का बच्चा अपंग है, तो क्या वो Suicide कर ले।

कोई बीमार है, तो क्या वो Suicide कर ले।

किसी को लोन नहीं मिल रहा, तो क्या वो Suicide कर ले।

किसी को English बोलनी नहीं आती, तो क्या वो Suicide कर ले।

किसी की अपने पड़ोसी से लड़ाई हो गई, तो क्या वो Suicide कर ले।

किसी की अपने रिश्तेदारों से नहीं बनती, तो क्या वो Suicide कर ले।

किसी का sales का target पूरा नहीं हो रहा, तो क्या वो Suicide कर ले।

किसी की बीवी या बच्चा मर गया, तो क्या वो Suicide कर ले।

कोई विधवा हो गई, तो क्या वो Suicide कर ले।

कोई बोना है, तो क्या वो Suicide कर ले।

कोई हीजडा है, तो क्या वो Suicide कर ले।

कोई अनाथ हो गया, तो क्या वो Suicide कर ले।

कोई लंगड़ा, लूला, बहरा, गूंगा, अंधा अपाहिज है, तो क्या वो Suicide कर ले।

बॉस ने डांट दिया, तो क्या वो Suicide कर ले।

किसी की गाड़ी का टायर पंक्चर हो गया और वो समय पर एयरपोर्ट नहीं पहुंच पाया, प्लेन छूट गया, तो क्या वो Suicide कर ले।

किसी की रेल की टिकट बुक नहीं हो रही, तो क्या वो Suicide कर ले।

कोई social media पर लाइक या शेयर या कॉमेंट नही कर रहा, तो क्या वो Suicide कर ले।

कोई किसी को समझ नही पा रहा या उसकी किसी को कोई परवाह नहीं है, तो क्या वो Suicide कर ले।

किसी की ज़मीन किसी ने हड़प ली, तो क्या वो Suicide कर ले।

किसी की बीवी दूसरे के साथ भाग गई, तो क्या वो Suicide कर ले।

किसी का तलाक हो गया, तो क्या वो Suicide कर ले।

किसी के पति का किसी दूसरी औरत के साथ गलत संबंध है, तो क्या वो Suicide कर ले।

कोई मां नहीं बन सकती, बांझ है, तो क्या वो Suicide कर ले।

किसी की height कम है, तो क्या वो Suicide कर ले।

कोई मर्दाना कमजोरी के कारण बाप नहीं बन सकता, तो क्या वो Suicide कर ले।

किसी का टेंडर पास नहीं हो रहा, तो क्या वो Suicide कर ले।

किसी का पति शराब पीकर घर आता है और मार पिटाई करता है, तो क्या वो Suicide कर ले।

किसी की बॉडी नहीं बन पा रही है, तो क्या वो Suicide कर ले।

कोई रंग का काला है, तो क्या वो Suicide कर ले।

कोई कम उम्र में ही गंजा हो गया, तो क्या वो Suicide कर ले।

कोई पतला नहीं हो पा रहा है, तो क्या वो Suicide कर ले।

कोई इलेक्शन हार गया, तो क्या वो Suicide कर ले।

इत्यादि, इत्यादि....

इस लेख से मेरा मतलब उस युवा पीढ़ी को समझाने से है, जो अपना धैर्य (Patience) खो चुके है। कई बार परिस्थितियां हमारे हक में नहीं होती और हमको उनसे समझौता करना पड़ता है पर आज की पीढ़ी वो समझौता करने को बिल्कुल तैयार नहीं है। इन लोगों में बहुत ज्यादा गुस्सा (anger) भरा हुआ है। अगर इनकी बात नहीं मानी जाए तो ये भड़क जाते है। उदाहरण के तौर पर अगर किसी बच्चे ने किसी चीज की फरमाइश या ज़िद करी और वो उसको नहीं मिली, तो वो गुस्से में कुछ भी कर सकता है। 

इत्र से कपड़ों को महकाना कोई बड़ी बात नहीं,
मज़ा तब है जब खुशबू आपके किरदार से आए..

मेरा सभी मित्रों से आग्रह है कि स्वामी विवेकानंद जी को पढ़िए। 

जैसा कि मैंने बताया कि आज की युवा पीढ़ी, जो थोड़ी मेहनत तो करना जानती है, पर उनमें धैर्य बिल्कुल भी नहीं है और उनमें बहुत ज्यादा गुस्सा भरा हुआ है। इसको ऐसे समझने की कोशिश करते है। एक शक्स ने किराए पर एक रेस्टोरेंट खोला। इसके लिए उसने manager, वेटर्स, रिसेप्शनिस्ट, chefs, दरबान भी रखे। फल सब्जियां सब कुछ ताज़ा, अच्छे तेल और देसी घी के पकवान, Entry करने पर Free juice लेकिन ग्राहक नहीं आ रहे। तनख्वाह भी सबको देनी है पर पैसा नहीं है। बैंक का लोन भी चुकाना है। इससे वो शक्स डिप्रेशन में आ गया। भूख प्यास नहीं लगती, नींद भी नहीं आती। धीरे धीरे उसने अपना गुस्सा अपने बीवी बच्चो पर उतारना शुरू कर दिया पर उसे चैन नहीं मिला। रेस्तरां का किराए भी भरना था पर काम नहीं चल रहा। ग्राहक आ नहीं रहे तो इसमें बेचारे cook का क्या दोष। उसने गाली गलोच करके गुस्से में cook को निकाल दिया। मालिक सिर्फ नौकरी से ही निकाल सकता है और कुछ नहीं बिगाड़ सकता। उसका ऐसा बर्ताव देखकर सबने अपनी नौकरी छोड़ दी और वो डिप्रेशन में आ गया। आज के समय में अगर बच्चों पर एक सेकंड के लिए भी खरोंच आ जाए या घर के किसी भी सदस्य को कोई छोटी सी भी दिक्कत होती है तो दिल दहल जाता है। उसने अपने परिवार की परवाह किए बिना आत्महत्या कर ली जिसका बहुत बुरा परिणाम उसके रोते बिलखते माता पिता और बीवी बच्चो को जीवन भर भुगतना पड़ा।

चार कदम चलने पर ही सांस फूलने वाली आज की युवा पीड़ी नशे की आदि हो चुकी है और दूसरों से अपनी तुलना करती है। ये बहुत बुरी बात है। उधार के पैसों से महंगी शराब पीकर उल्टी करने में कोई समझदारी नहीं है। रिश्तेदारों या पड़ोसियों को नीचा दिखाने के लिए लोन पर ली गई गाड़ी बहुत ज्यादा महंगी पड़ सकती है। 

ससुर या जेठ देवर के साथ शराब पीने वाली आज की युवा पीढ़ी किसी का भी सम्मान या आदर नहीं करती है। ये भी बहुत बुरी बात है। उनको अपनी पढ़ाई, अपनी अमीरी, अपने रूतबे, अपनी Power, अपनी Position, अपनी झूठी शान और शौकत का बहुत गुमान है। जो पढ़ा लिखा बेवकूफ इंसान अपने बड़े भाई या बाप की उम्र के मुलाजिम को गंदी गाली दे सकता है, वो किसी भी हद तक गिर सकता है। घमंडी कोयल की कहानी सुनी होगी आपने।

एक बस मैं ही समझदार हूं, बाकी सब नादान
इस भ्रम में घूम रहा है, आजकल हर इंसान

हर किसी से बदतमीजी से बात करने वाली आजकल की युवा पीढ़ी किसी की भी मदद नहीं करती है या करना ही नहीं चाहती है। ये बहुत बुरी बात है। इन लोगों को सिर्फ अपना फायदा निकालना आता है। ढोंग, दिखावा करना इनको बहुत अच्छा लगता है। अगर सामने वाले से कुछ फायदा हो रहा हो तो ठीक है वरना ये उनका फोन तक भी उठाना पसंद नहीं करते। मेसेज पर reply करना तो बहुत दूर की बात है। ये भी हो सकता है कि ये सब उनको अपने मां बाप से विरासत में मिला हो या फिर समय को देखते हुए परिस्थितियां अनुकूल ना हो। ये लोग "मैं" (EGO) में जीना ज्यादा पसंद करते है।

सुख मेरा कम्बख्त कांच का था..
ना जाने कितनों को चुभ गया..

बर्गर पिज्जा खाने वाली आज की युवा पीढ़ी हर किसी को घृणा और इर्ष्या की नजरों से देखती है। ये बहुत बुरी बात है। इन लोगो को ये बात बहुत चुभती है कि सामने वाला खुश कैसे है। उनसे दूसरों कि खुशी बर्दाश्त नहीं होती। एक जलन नाम की गंदगी उनके अंदर हमेशा भरी रहती है। इनको दूसरों की चुगली करने में बहुत मज़ा आता है। कोई इनकी झूठी तारीफ करें तो इनको बहुत अच्छा लगता है और अगर सामने वाले की थोड़ी सी भी बुराई हो जाए तब तो मज़ा ही कुछ और है।

मेरे चाचा MLA है, मेरे पिताजी के पास बहुत ज़मीन है, मेरी साली high court में जज है, मेरे फूफा MP है, मेरा मौसा Police में है, मेरी बुआ यहां की president है, मेरे मामा IAS है। ये सब बकवास भी सुनी होगी आपने।

जो मज़ा अपनी पहचान बनाने में हैं..
वो किसी की परछाई बनने में नहीं हैं..

आज की युवा पीढ़ी को गंदे और अश्लील वीडियो देखना अच्छा लगता है। अपने आप को संतुष्ट करने के लिए ये लोग कैसे कैसे हथकंडे अपनाते है। पूजा पाठ से तो ये लोग कोसो दूर है। डिस्को, पब, बार में जाना, ये अपनी शान समझते है। झूठा ढोंग और दिखावा करना इनकी आदत बन चुकी है। गाली गलौज, नशा करने में और दूसरों को नीचा दिखाने में आज की युवा पीढ़ी सबसे आगे है।

नौकरी या प्रोमोशन के लिए बॉस के साथ मुंह काला करने वाली युवा पीढ़ी अपने खर्चों पर बिल्कुल नियंत्रण नहीं रखती है। सस्ते कपड़े, सस्ते जूते पहनने में इनको बहुत शर्म आती है। महंगे होटलों में खाना नहीं खाएंगे तो ये लोग शायद बीमार पड़ जाएंगे। उच्च स्तर का रहन सहन नहीं दिखाएंगे तो शायद बदनाम हो जाएंगे।

आमदनी अठन्नी खर्चा रूपया

दूसरों की बहन बेटियों को बहुत ज्यादा गंदी नजरों से देखने वाली युवा पीढ़ी चोरी चकारी, लूटमार, चेन, पर्स, मोबाइल छीनने में भी पीछे नहीं है। झूठा स्टेटस दिखाने में इनको बहुत मज़ा आता है। अपनी औकात से ज्यादा बड़े मकान में रहना समझदारी नहीं है। अगर किराए नही दे सकते तो फिर कोई सस्ती सी जगह ढूंढ लीजिए ना, लेकिन नहीं, बेइज्जती हो जाएगी।

रोटी पर घी और नाम के साथ जी लगाने से स्वाद और इज्जत दोनों बढ़ जाते हैं।

ये बात आजकल की युवा पीढ़ी, जो मां बहन की गाली देना बड़ा पुण्य का काम समझती है, उनको ये बात समझ में कहां से आएगी। कोई बड़ा हो या छोटा, इनको तो हर किसी से तू, तबाड, तुम बोलने में ही आनंद आता है। आप बोलने में इनकी इज्जत जो कम हो जाती है।

क्रेडिट कार्ड को ही अपना सब कुछ मान लेने वाली आजकल की युवा पीढ़ी को महंगे शौक रखना बहुत अच्छा लगता है। बड़ी गाड़ी के लिए ड्राइवर भी रखेंगे। खाना बनाने के लिए Chef भी होना जरूरी है। खुद का काम करना इनके लिए Mount Everest पर चढ़ने जैसा है। बगीचे के लिए माली का भी होना बहुत ज़रूरी है जो आते जाते सलाम भी ठोकेगा ताकि मेहमानों को लगे कि क्या ठाठ बाट है। पश्चिमी सभ्यता के ये गुलाम लोग हाथी खरीद तो लेते है पर कमबख्त पाल नहीं पाते और अंत में आत्महत्या कर लेते है।

क्या हो गया अगर महंगा फोन नहीं है तो
क्या हो गया अगर गाड़ी नहीं है तो
क्या हो गया अगर आपका बच्चा सरकारी स्कूल में है
क्या हो गया अगर किसी ने कुछ गलत बोल दिया
क्या हो गया अगर जिम नहीं जा सकते
क्या हो गया अगर बड़े होटल में खाना नहीं खा सकते
क्या हो गया अगर ब्रांडेड कपड़े नहीं पहन सकते
क्या हो गया अगर महंगी घड़ी नहीं है तो
क्या हो गया अगर एक कमरे के छोटे से फ्लैट में रहते हो
क्या हो गया अगर बहन बेटी की शादी गरीब घर में हुई है
क्या हो गया अगर मां बाप का इलाज सरकारी अस्पताल में चल रहा है

इत्यादि, इत्यादि....

अपने आप पर यकीन रखो, मेहनत करो, डरो नहीं और इस खूबसूरत ज़िन्दगी से घबराकर गलती से भी आत्महत्या की कोशिश मत करना। अंग्रेजी में एक कहावत है:

It's better to have 500 dollars in a 10 dollars purse rather than 10 dollars in a 500 dollars purse.

मैं आज की युवा पीढ़ी के बिल्कुल खिलाफ नहीं हूं क्यूंकि मैं जानता हूं कि ये लोग ही कल का भविष्य है।

दोस्तों - खुद पर विश्वास करना सीखो। क्रोध, अहंकार, लोभ, दूसरों से अपनी तुलना, ये सब बर्बादी का कारण है। धैर्य रखना बहुत जरुरी है। घृणा और इर्ष्या से दूर रहो। दूसरों में कमिया मत निकालो, उनकी गलतियों से खुद को सुधारना सीखो। सबका आदर करना सीखो। मदद करना सीखो। डरपोक मत बनो, साहसी बनकर सामना करो। Positive Mindset रखो। सबका अच्छा सोचो। दूसरों से प्रेम करना सीखो। आप लोग Abraham Lincoln, JK Rowling, Yuvraj Singh, Amitabh Bachchan, Milkha Singh को पढ़ सकते है जिन्होंने अपनी ज़िन्दगी में बहुत परेशानियों का बड़ी खूबसूरती के साथ सामना किया।

सीखना है तो उन गरीब मजदूरों से सीखों जिनकी पूरी ज़िन्दगी दिक्कतों और परेशानियों से भरी पड़ी है। फिर भी वो लोग भुखमरी, अपनी लाचारी में खुश है और किसी भी हालत में Suicide नहीं करते।

कुछ सीखना है तो अपने जीवन में एक चक्कर blind school, orphanage, school of children with special needs, पागलखाने का जरूर लगाना। ये लोग भी आत्महत्या जैसा पाप नहीं करते। हजारो किलो मीटर पैदल चलने वालों ने आत्महत्या नहीं करी। 

एक बार फिर साबित हो गया कि जिंदगी में खूबसूरती, धनदौलत, सफलता, चकाचौंध ही सबकुछ नहीं होती, मानसिक शांति और जीवन में ठहराव होना जरूरी है, अगर मन में शांति ना हो तो आप हजारों की भीड़ में रहकर भी तन्हा हो सकते हैं और अगर मन शांत है तो तन्हा रहकर भी आपको अकेलापन महसूस नहीं हो सकता, इतिहास गवाह है कि ज्यादातर खुदकुशी मानसिक उथलपुथल के कारण ही की जाती हैं, गरीबों और अनपढ़ों से ज्यादा आत्महत्या के मामले पढे लिखे और बाहर से सफल दिखने वाले लोग ही करते हैं। अपने दोस्तों, परिवार के सदस्यों और आसपास के लोगों का ख्याल रखिये, पता नहीं कितने हंसते चेहरे अपने अंदर आंसुओं का समंदर लिए आप के साथ ही घूम रहे हों। जिंदगी में कभी किसी को दुःख सताये तो 'दुनिया में कितना गम है, मेरा गम कितना कम है' वाला गीत गुनगुनाइए और महंगे जूते अगर ना होने का दुःख हो तो एक बार ये भी सोच लीजिए कि दुनिया में ऐसे लोग भी हैं जिनके पैर ही नहीं होते।

आत्महत्या करना किसी भी समस्या का समाधान नहीं है। अगर ऐसा होता तो पूरी दुनिया कबकी खत्म हो चुकी होती। शायद ही कोई गीत बन पाता, बल्ब नहीं बन पाता, ट्यूबलाइट, पंखे, एसी, कूलर, हवाई जहाज नहीं होते, बड़ी बड़ी फैक्टरियां या मिले नहीं होती। सड़के, बिल्डिंगे, घोड़ा गाड़ी कुछ नहीं होता, स्कूल कॉलेज भी नहीं होते, किसान नहीं होता, खेत खलिहान जंगल नहीं होते, सरकार, सरहदें, कुछ नहीं होता। कुछ भी नहीं।

होता तो बस एक शून्य! Full Stop.

क्रान्ति गौरव
(लेखक)







Sunday, May 31, 2020

क्लास टीचर का सबक


एक बार एक student जल्दबाजी में अपनी सीट पर पहुंचने के चक्कर में दूसरे student से टकरा गया| दूसरा student बोतल से पानी पी रहा था तो धक्का लगने की वजह से पानी उसकी कमीज पर गिर गया और उसकी कमीज गीली हो गई|

दूसरा student पहले student पर चिल्लाया, देख कर नहीं चल सकते क्या अंधे?
पहले student ने विनम्रता से जवाब देते हुए:- कहा माफ करना गलती से लग गया|
लेकिन पहला student जितनी विनम्रता से माफी मांग रहा था दूसरा student उस पर उतना ही भड़क रहा था| पूरा class यह सब देख रहा था|
तभी class teacher क्लास रूम में आती हैं और उनका गुस्सा शांत कराकर उनको अपनी अपनी सीटों पर बैठा देती है|
टीचर उनको एक ज्ञान की बात सुनाती है:-
एक बार एक मीटिंग में 2 लोग हिस्सा लेने गए हुए थे| दोनों के हाथ में गर्म चाय से भरे हुए कप थे| किसी वजह से दोनों एक दूसरे से टकरा गए और गर्म चाय से भरे हुए कप एक दूसरे के ऊपर छलक गए|
दोनों लोगों में बहस शुरू हो गई और मामला इतना serious हो गया कि पुलिस बुलानी पड़ गई और उन दोनों को जेल हो गई|
टीचर बोली असल में कप उनका मन था जिसमें गर्म गर्म चाय यानी गुस्से वाले भाव भरे हुए थे| जैसे ही दोनों में टकराव हुआ दोनों के मन के भाव यानी गुस्सा जिसे हम चाय कह रहे हैं, एक दूसरे पर बरस पड़े और दोनों में झड़प हो गई|
हम सबके साथ हमारा कप हमेशा होता है| उसमें चाय भरेंगे तो चाय ही गिरेगी ना| अगर ठंडा पानी भरेंगे तो ठंडा पानी गिरेगा| तो अब आप लोग ही तय करिए कि आपको अपने कप में क्या भरना है|
जैसे हमारे विचार होते हैं ठीक वैसा ही हमारा व्यवहार होता है

Saturday, November 24, 2018

Nails In The Fence: A Story About Anger



There once was a little boy who had a bad temper.

His Father gave him a bag of nails and told him that every time he lost his temper,
he must hammer a nail into the back of the fence.

The first day the boy had driven 37 nails into the fence. Over the next few weeks, as he learned
to control his anger, the number of nails hammered daily gradually dwindled down. He
discovered it was easier to hold his temper than to drive those nails into the fence.

Finally the day came when the boy didn’t lose his temper at all. He told his father about it and
the father suggested that the boy now pull out one nail for each day that he was able to hold his
temper.

The days passed and the young boy was finally able to tell his father that all the nails were gone.
The father took his son by the hand and led him to the fence.

He said, ‘You’ve done well, my son, but look at the holes in the fence. The fence will never be
the same. When you say things in anger, they leave a scar just like this one.

You can put a knife in a man and draw it out. It won’t matter how many times you say I’m
sorry, the wound is still there and a verbal wound is just as bad as a physical one. 

Tuesday, July 17, 2018

सुख और दुख की परिभाषा



ऐ "सुख" तू कहाँ मिलता है..
क्या तेरा कोई स्थायी पता है..

क्यों बन बैठा है अन्जाना..
आखिर क्या है तेरा ठिकाना..

कहाँ कहाँ नहीं ढूंढा तुझको..
पर तू ना कहीं मिला मुझको..

ढूँढा ऊँचे मकानों में..
बड़ी बड़ी दुकानों में..

स्वादिष्ट पकवानों में..
चोटी के धनवानों में..

वो भी तुझको ढूंढ रहे थे..
बल्कि मुझको ही पूछ रहे थे..

क्या आपको कुछ पता है..
ये सुख आखिर कहाँ रहता है?

मेरे पास तो "दुःख" का पता था..
जो सुबह शाम अक्सर मिलता था..

परेशान होके रपट लिखवाई..
पर ये कोशिश भी काम न आई..

उम्र अब ढलान पे है..
हौसले थकान पे है..

हाँ उसकी तस्वीर है मेरे पास..
अब भी बची हुई है आस..

मैं भी हार नही मानूंगा..
सुख के रहस्य को जानूंगा..

बचपन में मिला करता था..
मेरे साथ रहा करता था..

पर जबसे मैं बड़ा हो गया..
मेरा सुख मुझसे जुदा हो गया..

मैं फिर भी नही हुआ हताश..
जारी रखी उसकी तलाश..

एक दिन जब आवाज ये आई..
क्या मुझको ढूंढ रहा है भाई..

मैं तेरे अन्दर छुपा हुआ हूँ..
तेरे ही घर में बसा हुआ हूँ..

मेरा नही है कुछ भी "मोल"..
सिक्कों में मुझको ना तोल..

मैं बच्चों की मुस्कानों में हूँ..
हारमोनियम की तानों में हूँ..

पत्नी के साथ चाय पीने में..
"परिवार" के संग जीने में..

माँ बाप के आशीर्वाद में..
रसोई घर के पकवानो में..

बच्चों की सफलता में हूँ..
माँ की निश्छल ममता में हूँ..

हर पल तेरे संग रहता हूँ..
और अक्सर तुझसे कहता हूँ..

मैं तो हूँ बस एक "अहसास"..
बंद कर दे तु मेरी तलाश..

जो मिला उसी में कर "संतोष"..
आज को जी ले, कल की न सोच..

कल के लिए आज को ना खोना..

मेरे लिए कभी दुखी ना होना..
मेरे लिए कभी दुखी ना होना..

कुछ अनकही नज़्में



1.

लौट आओ कि मेरी साँसे अब तिनका तिनका बिखरती हैं..
कहीं मेरी जान ना ले ले ये पहली शाम दिसंबर की..

2.

मुझे मालूम है मैं उस के बिना ज़ी नहीं सकता...
उस का भी यही हाल है मगर किसी और के लिए...

3.

वो याद आया कुछ यूँ, कि लौट आए सब सिलसिले....
ठन्डी हवा, पीले पत्ते और नवम्बर के ये दिन..

4.

हिचकियों पर हिचकियाँ मैं रातभर भरता रहा,
वो सो रहा था तो फिर मुझे कौन याद करता रहा.. ?

5.

बचपन की नींद अब बहुत याद आती है..
सिर्फ़ मुहब्बत पर ये इलजाम ठीक नहीं..

6.

जाते वक़्त उसने बड़े गुरुर से कहा था ,"तुम जैसे हज़ार मिलेंगे !
मैंने मुस्कराकर कहा, मुझ जैसे की ही तलाश क्यों ?

7.

वो शख्स...शायद...मुझी को सोच रहा होगा...
आंखों में ये गुलाब...वरना कहां से आए...

8.

हलकी हलकी सी सर्द हवा
ज़रा ज़रा सा दर्द ए दिल
अंदाज अच्छा है ए नवम्बर तेरे आने का

9.

लाजवाब कर देतें हैं...तेरे खयाल...दिल को...
मोहोब्बत...तुझसे अच्छा...तेरा तसव्वुर हैं...

10.

ये किसका खयाल...कौनसी खुशबु...सता रहीं हैं दिल को...
ये जो करार दिल में हैं...कहीं...ये मोहोब्बत तो नहीं..

11.

कोशिश ज़रा सी करता तो मिल ही जाता मैं ....
उसने मगर अपनी आँखों में ..... ढूँढा नहीं मुझे

12.

पूछा था हाल उन्हॊने बड़ी मुद्दतों के बाद...
कुछ गिर गया है आँख में...कह कर हम रो पड़े...

13.

मेरे सीने से लिपटे होते हैं आज भी एहसास तेरे,
जैसे लिखावट कोई लिपटी हो किताबी पन्नो से ।।

14.

गर मिल जाती दो दिन कि बादशाहत हमें,
तो मेरे शहर में तेरी तश्वीर का सिक्का चलता..!

15.

तेरे एक इशारे पे, हम इल्जाम अपने नाम ले लेते
बेवजह, झूठे इल्जाम लगाने की जरुरत क्या थी ?

16.

होश मुझे भी आ ही जायेगा मगर..
पहले ! दिल तेरी याद से रिहा तो हो..

17.

जो तुम बोलो बिखर जाऐंगे, जो तुम चाहो संवर जाऐंगे,
मगर ये टूटना-जुड़ना हमें तकलीफ बहुत देता है..

18.

जो पूरा न हो सका.. वो किस्सा हूँ मै...
छूटा हुआ ही सही.. तेरा हिस्सा हूँ मै..!!

19.

उसकी आँखों में नज़र आता है सारा जहां मुझ को..
अफ़सोस कि उन आँखों में कभी खुद को नहीं देखा..

20.

हम से बेवफाई की इन्तहां क्या पूछते हो दोस्तों.......
वो हम से प्यार सीखती रही किसी और के लिए ....!!

21.

अब उसे न सोचू तो जिस्म टूटने सा लगता है........
एक वक़्त गुजरा है उसके नाम का नशा करते~करते......!

22.

कभी यूँ भी आ मेरी आँख में के मेरी नज़र को ख़बर न हो..
मुझे एक रात नवाज़ दे मगर उसके बाद सहर न हो...

23.

चल रहे है जमाने में रिश्वतो के सिलसिले..
तुम भी कुछ ले दे कर, मुझसे मोहब्बत कर लो..

24.

आँख उठाकर भी न देखूँ, जिससे मेरा दिल न मिले,
जबरन सबसे हाथ मिलाना, मेरे बस की बात नहीं..

25.

प्यार ने क्या-क्या गज़ब कर दिया, किसी का नाम कविता किसी को ग़ज़ल कर दिया,
जो एक फूल का वज़न भी उठा न सकी,उस मुमताज के सीने पर ताजमहल रख दिया..

26.

घर उसने क्या बनाया मस्जिद के सामने..
चाहत ने उसकी हमें नमाजी बना दिया..

27.

समझौतों की भीड़-भाड़ में सबसे रिश्ता टूट गया,
इतने घुटने टेके हमने आख़िर घुटना टूट गया,
ये मंज़र भी देखे हमने इस दुनिया के मेले में,
टूटा-फूटा नाच रहा है, अच्छा ख़ासा टूट गया....

28.

चाँद का क्या कसूर अगर रात बेवफा निकली,
कुछ पल ठहरी और फिर चल निकली,
उन से क्या कहे वो तो सच्चे थे,
शायद हमारी तकदीर ही हमसे खफा निकली.

29.

ये कह कह के हम दिल को समझा रहे है..
वो अब चल चुके,वो अब आ रहे है..

30.

फूँक डालूँगा किसी रोज ये दिल की दुनिया..
ये तेरा खत तो नहीं है कि जला भी न सकूँ..

31.

बड़ी अजीब चीज है ये मौत भी,
कभी कभी उस जगह भी मिल जाती है....
जहाँ लोग जिंदगी की दुआ मांगने जाया करते है...

32.

हर इक हसरत हंस कर उनकी पूरी की हमने,
हमारी एक तमन्ना उनके दिल को भारी कर गयी..

33.

यूँ तो काफी मिर्च-मसाले हैं इस जिंदगी में....
तुम्हारे बिना जायका फिर भी फीका ही लगता है....

34.

चूम कर कफ़न में लपेटे मेरे चेहरे को,
उसने तड़प के कहा...
'नए कपड़े क्या पहन लिए, हमें देखते भी नहीं' !!

35.

ना ख़ुशी की तालाश है ना गमे निजात की आरज़ू ,
मैं खुद से नाराज़ हूँ तेरी बेरुखी के बाद..

36.

आज़ उदासी ने भी हाथ जोड़ कर कहा मुझसे,
वास्ता तुझे तेरे प्यार का मेरा आशियां छोड़ दे..

37.

मुमकिन हुआ तो मै तुम्हे माफ़ करूँगा..
फिलहाल तेरे आंसुओ का मुन्तजिर हूँ मैं..

38.

किसी के आने या जाने से जिँदगी नही रुकती..
बस जीने का अँदाज बदल जाता है..

39.

आज इस कदर याद आ रहे हो..
जिस कदर तुमने भुला रखा है..

40.

उस शख़्स को बिछड़ने का सलीका भी नहीं..
जाते हुए खुद को मेरे पास छोड़ गया..

41.

तुम्हें ये कौन समझाये तुम्हें ये कौन बतलाये..
बहोत खामोश रहने से ताल्लुक टूट जाते हैं..

42.

ख़्वाब जितने भी थे जल गए सारे..
अब इन आँखों में नमी के सिवा कुछ भी नही..

43.

तुम हमें मिल जाओ ये मुमकिन नहीं...
हम तुम्हे छोड़ दें ये हमें मंजूर नहीं ..

44.

सिर्फ चेहरे की उदासी से भर आये आंसू..
दिल का आलम तो अभी आपने देखा ही कहा है !!!!

45.

तेरी मुहब्बत भी उस खुदा के करम की तरह है,
जो जरूरतमंद है, बस उसी को ना मिली...

46.

वो एक पल जिसे तुम सपना कहते हो,
तुम्हे पाकर मुझे जिंदगी सा लगता है..

47.

बहुत याद करता है वो मुझे..
दिल से ये वहम जाता क्यों नहीं...

48.

अजब ज़ुल्म करती हैं तेरी यादें मुझ पर ..
सो जाऊँ तो जगा देती हैं जग जाऊँ तो रुला देती हैं..

49.

बताओ ना कैसे भुलाऊँ तुम्हें..
तुम तो वाक़िफ़ हो इस हुनर से..

50.

शुक्रिया उनका कि हमें जीना सिखा दिया..
होते थे जिन आँखों में समंदर उनको ही सुखा दिया..

51.

ताज महल को बनाना तो हमें भी आ गया है अब ..
कोई एक मुठ्ठी वफ़ा अगर ला दे ,तो हम काम शुरू करें..

52.

मैं क्यों करूं मुहब्बत किसी से, मैं तो गरीब हूँ,
लोग बिकते हैं और खरीदना मेरे बस में नहीं...

53.

रिस्ते बन जाते है अनजाने मेँ...
पर तकलीफ होती है निभाने मेँ ..,
रूठनेँ बाले तो पल मेँ रूठ जाते है ..
और उमर गुजर जाती है उन्हेँ मनानेँ मेँ..

54.

ये मुहब्बत भी है क्या रोग फ़राज़,
जिसे भूले वो सदा याद आया...

55.

सफर मोहब्बत का दुश्वार कितना है..
मगर देखना है कोई वफादार कितना है..
यही सोच कर कभी उसे नहीं माँगा हमने...
उसे आजमाना है की वो मेरा तलबगार कितना है...

56.

साँसों का टूट जाना तो बहुत छोटी सी बात है दोस्तों..
जब अपने याद करना छोड़ दें मौत तो उसे कहते हैं..

57.

दीप ऐसे बुझे फिर जले ही नहीं ..
ज़ख्म इतने मिले फिर सिले ही नहीं..
व्यर्थ किस्मत पे रोने से क्या फायदा...
सोच लेना की हम तुम मिले ही नहीं ...

58.

लौट के आ गये शाम के परिंदे भी ..
मेरा वो " सुबह का भूला " अब तक नहीं लौटा..

59.

नजाकत से मेरी आँखों में वो उसका देखना तौबा..
इलाही हम उन्हें देखें या उनका देखना देखें..

60.

तू मेरे राम में खुदा का तसव्वुर कर ले....
तेरे खुदा में अपना राम देखता हूँ मैं....

61.

चैन मिलता था जिसे आके पनाहों में मेरी,
आज देता है वही अश्क निगाहों में मेरी....

62.
गुज़र गया वो वक़्त जब तेरी हसरत थी मुझको..
अब तू खुदा भी बन जाए तो भी तेरा सजदा ना करूँ..

63.

किसी की यादों ने पागल बना रखा है..
कहीं मर ना जाऊं कफ़न सिला रखा है..
जलने से पहले दिल निकाल लेना..
कहीं वो ना जल जाए जो दिल में छुपा रखा है...

64.

मेरे ज़ज्बात की कदर ही कहाँ..
सिर्फ इलज़ाम लगाना ही उनकी फितरत है..

65.

हो सकती है मोहब्बत ज़िंदग़ी मे दोबारा भी..
बस हौसला हो एक दफ़ा फिर बर्बाद होने का..

66.

कोशिशें जब भी करता हूँ "उनको" भुलाने के लिए..
" वो" ख्वाबों में चले आते हैं, मुझको सताने के लिए..

67.

क्या मिला हमें सदियों कि मोहब्बत से..
एक शायरी का हुनर और दुसरा जागने कि सज़ा..

68.

महबूब का घर हो या फरिश्तों की ज़मी..
जो छोड़ दिया फिर उसे मुड़ कर नहीं देखा...

69.

ज़रा सा बात करने का तरीका सीख लो तुम भी..
इधर तुम बात करते हो उधर दिल टूट जाता है..

70.

उसका वादा भी बडा अजीब था जिंदगी भर साथ निभाने का..
मैंने भी ये नहीं पूछा कि मुहब्बत में साथ दोगे या यादों में..

71.

चलते थे इस जहाँ में कभी सीना तान के हम ..
ये कम्बख्त इश्क़ क्या हुआ घुटनो पे आ गए हम..

72.

वो कहते हैं अपने दिल के रास्ते पर चलो..
जब दिल ही टूटकर चौराहे पर बिखर जाए तो फिर किधर जाएं..

73.

फूल से आशि़की का हुनर सीख ले,
तितलियां ख़ुद रुकेंगी, सदाएं न दे..

74.

आशि़की बेदिली से मुश्किल है,
फिर मुहब्बत उसी से मुश्किल है..

75.

हमें कोई ग़म नहीं था, ग़म-ए-आशि़की से पहले,
न थी दुश्मनी किसी से, तेरी दोस्ती से पहले..

76.

आशि़की सब्रतलब और तमन्ना बेताब,
दिल का क्या रंग करूं, ख़ून-ए-जिगर होने तक..

77.

आग़ाज़-ए-आशि़की का मज़ा आप जानिए,
अंजाम -ए-आशि़की का मज़ा हम से पूछिए..

78.

अपने ख़ून-ए-वफ़ा से डरता हूं,
आशि़की बंदगी न हो जाए..

79.

सोचता हूँ उस की याद आखिर..
अब किसे रात भर जगाती होगी..

80.

बहूत नज़दीक आते जा रहे हो,
बिचरने का इरादा कर लिया है क्या..

81.

आँगन में खिले गुलाब पर जा बैठी,
हल्की सी उड़ी थी उनके कदमों से जो धूल..
गोरी थी कि अपने बालों में सजाने के लिये,
चुपचाप से जाके तोड़ लाई वही फूल..

82.

बहुत देर तक खामोश रही तुम,
बहुत देर तक चुपचाप रहा मैं,

बहुत देर तक गूफ्तगू होती रही...

83.

हमने अब तक नहीं कहा उसको,
उसने अब तक नहीं कहा हमसे,

हम एक दूसरे से प्यार करते हैं...

84.

दिल गया तो कोई आँखे भी ले जाता,
फकत एक ही तस्वीर कहाँ तक देंखू..

85.

उसके सिवा किसी और को चाहना मेरे बस में नहीं, उसके सिवा किसी और को चाहना मेरे बस में नहीं, ये दिल उसका है, अपना होता तो बात और थी...

86.

ये भी एक तमाशा है इश्क ओ मोहब्बत में,
दिल किसी का होता है और बस किसी का चलता है..

87.

रूह तक नीलाम हो जाती है इश्क के बाज़ार में,
इतना आसान नहीं होता किसी को अपना बना लेना..

88.

मयखाने में बेपरवाह बैठे जरुर हैं,
पर कितना है पीना हम इतने होश में हैं..

89.

रात भर आसमां में हम चाँद ढूढते रहे,
चाँद था कि चुपके से मिरे आँगन में उतर आया..

90.

यह शहर जालिमो का है संभल कर चलना,
लोग सीने से लग कर दिल ही निकाल लेते हैं..

91.

ये भी एक तमाशा है इश्क ओ मोहब्बत में,
दिल किसी का होता है और बस किसी का चलता है..

92.

रूह तक नीलाम हो जाती है इश्क के बाज़ार में,
इतना आसान नहीं होता किसी को अपना बना लेना..

93.

मेरी इबाबतो को ऐसे कर कबूल ऐ खुदा,
के सजदे में ,मै झुकू तो हर रिश्तों कि जिन्दगी सवर जाये !

94.

जिंदगी के राज़ को रहने दो,
अगर है कोई ऐतराज़ तो रहने दो,
पर जब दिल करे हमें याद करने को,
तो उसे ये मत कहना के आज रहने दो..

95.

जिनके मिलते ही ज़िन्दगी में ख़ुशी मिल जाती है,
वो लोग जाने क्यों ज़िन्दगी में कम मिला करते हैं।

96.

मुझसा कोई जहाँ में नादान भी न हो ,
कर के जो इश्क कहता है नुकसान भी न हो ...!!

97.

जी जान कर भी वो जान ना पाए,
आज तक मुझे पहचान ना पाए,
खुद ही कर ली बेवफ़ाई हुमने,
ताक़ि उन पर कोई इल्ज़ाम ना आए..

98.

आँखे रो पड़ी उनका ना पैगाम आया,
चले गये हमे अकेला छोड़ कर ये कैसा मुकाम आया..
मेरी तन्हाई हसी मुझ पर और बोली,
आख़िर मेरे सिवा कौन काम आया..

99.

कहाँ नहीं तेरी यादों के हाथ,
कहाँ तक कोई दामन बचा के चले..

100.

पूछ कर मेरा पता बदनामिया मत मोल ले..
ख़त किसी फूटपाथ पर रख दे, मुझे मिल जायेगा..

101.

कल, भीड़ में भी .... तुम हमें तन्हा दिखे,
अब बोल भी दो, है क्या वजह तन्हाई की ?

102.

जमाने भर के एव कम थे,
जो तुमने जाते जाते ये घाव दे दिया कि तुम अच्छे नही हो,

103.

जब वो मिले हमसे अरसे बाद तो उन्होने पूछा हाल -चाल कैसा है,
तो मैने कहा तुम्हारी चली चाल से मेरा हाल बदल गया..

104.

इतनी शिद्दत से वो शख्स मेरी रगो मै उतर गया है,
कि उसे भुलाने कि लिये मुझे मरना होगा..

105.

मोहब्बत का अजीब दस्तूर देखा,
जो उसकी जीत हो तो हम हार जाये..

106.

तुम्हे मोहब्बत करना नहीं आता
मुझे मोहब्बत के सिवा कुछ नहीं आता
ज़िन्दगी जिने के दो ही तरीके है
एक तरीका तुम्हे नहीं आता
एक मुझे नहीं आता ...

107.

किसी को भुलाने के लिए ना मर जाना तुम..
क्या जाने कौन तुम्हारी राह देख रहा होगा !!

108.

हम तो रो भी नहीं सकते उसकी याद में
उसने एक बार कहा था
मेरी जान निकल जाएगी
तेरे आंसू गिरने से पहले..

109.

आँसू की कीमत जो समझ ली उन्होने..
उन्हे भूलकर भी मुस्कुराते रहे हम ..

110.

फिकर ही हमारी यही थी..
कि कहीं शिकायत ना हो उनको..
कि क़दर उनकी हमने नही की..

111.

उन्होने हाँ जो कह भी दिया..
क्या पता दुनिया से लड़ना पड़े हमे..!!

112.

ए जिन्दगी खत्म कर अब ये यादो के सिलसिले,
मै थक सा गया हू दिल को तसल्लिया देते देते,

113.

लोग इश्क़ करते है बड़े शोर के साथ,
हमने भी किया था बड़े ज़ोर के साथ,
मगर अब करेंगे ज़रा गौर के साथ,
क्योकि कल देखा था उसे किसी और के साथ!

114.

मेरे सब्र की इन्तेहाँ क्या पूछते हो 'फ़राज़'
वो मेरे सामने रो रहा है किसी और के लिए..

115.

ज़ख़्म जब मेरे सिने के भर जाएँगे,
आँसू भी मोती बनकर बिखर जाएँगे,
ये मत पूछना किस किस ने धोखा दिया,
वरना कुछ अपनो के चेहरे उतर जाएँगे

116.

आज कोई नया जख्म नहीं दिया उसने मुझे ,
कोई पता करो वो ठीक तो है ना..

117.

चले जायेंगे तुझे तेरे हाल पर छोड़कर
कदर क्या होती है तुझे वक़्त सिख देगा .
लोग इश्क़ करते है बड़े शोर के साथ,
हमने भी किया था बड़े ज़ोर के साथ,
मगर अब करेंगे ज़रा गौर के साथ,
क्योकि कल देखा था उसे किसी और के साथ..

118.

मेरे सब्र की इन्तेहाँ क्या पूछते हो 'फ़राज़'
वो मेरे सामने रो रहा है किसी और के लिए..

119.

ज़ख़्म जब मेरे सिने के भर जाएँगे,
आँसू भी मोती बनकर बिखर जाएँगे,
ये मत पूछना किस किस ने धोखा दिया,
वरना कुछ अपनो के चेहरे उतर जाएँगे

120.

आज कोई नया जख्म नहीं दिया उसने मुझे ,
कोई पता करो वो ठीक तो है ना...

121.

चले जायेंगे तुझे तेरे हाल पर छोड़कर..
कदर क्या होती है तुझे वक़्त सिख देगा..

122.

हसरतें आज भी खत लिखती हैं मुझे,
मगर अब मैं पुराने पते पर नहीं रहता!

123.

किसी की चाहत मे इतने पागल ना हो,
हो सकता हे वो तुम्हारी मंज़िल ना हो,
उसकी मुस्कुराहट को मोहब्बत ना समझो,
कहीं ये मुस्कुराना उसकी आदत ना हो…!!!

124.

दिल धड़कता है तो डर सा लगा रहता है,
कोई सुन ना ले, मेरी धड़कन मे नाम तेरा..

125.

तुमसे किसने कह दिया कि मुहब्बत की बाजी हार गए हम?
अभी तो दाँव मे चलने के लिए मेरी जान बाकी है !

126.

इश्क़ का दस्तूर ही कुछ ऐसा है
जो इसे जान लेता है
ये साला उसी की जान लेता है !!

127.

वफ़ा करने से मुकर गया है दिल;
अब प्यार करने से डर गया है दिल;
अब किसी सहारे की बात मत करना;
झूठे दिलासों से भर गया है अब यह दिल।

128.

किस हद तक जाना है ये कौन जानता है,
किस मंजिल को पाना है ये कौन जानता है,
दोस्ती के दो पल जी भर के जी लो,
किस रोज़ बिछड जाना है ये कौन जानता है.

129.

खुली आंखो से देखा एक ऐसा ख्वाब जो अपना नही था,
आज तक वो शक्स दिल मे है जो उस्स वक़्त भी मेरा नही था !

130.

कुछ नही बदला उसके जाने के बाद इस जिंदगी में,ऐ दोस्तों,
बस कल जिस जगह दिल हुआ करता था आज वहा दर्द होता है..!!

131.

महगाई का आलम तो देखो
घर क्या ले जाना है
जानबूझ कर भूल जाता हूँ

132.

हम से खेलती रही दुनिया ताश के पत्तों की तरह,
जिसने जीता उसने भी फेका जिसने हारा उसने भी फेंका...

133.

उसने महबूब ही तो बदला है फिर ताज्जुब कैसा;,
दुआ कबूल ना हो तो लोग खुदा तक बदल लेते है..

134.

बहुत दिनों से ख्वाहिश हैं कि किसी दिन वो आए और कहे,
बंद करो ये रोना, लो लौट आई मैं तुम्हारे लिए..

135.

आज़ाद कर दिया हे हमने भी उस पंछी को,
जो हमारी दिल की कैद में रहने को तोहीन समजता था...!!

136.

प्यार की बाते तू क्या जानेगी ......
तू गैर है कोई मेरी अपनी तो नहीं..

137.

तुझ से ज्यादा चाहत मुझे किसी और से मिली है मुझे..
तू मौत की तरफ़ लें जाने वाली राह है वो ज़िन्दगी देने चली है मुझे..

138.

मैं लौट कर आऊं भी तो कैसे हर दरवाजा बंद नज़र आता है..
सुना है हमने भी इश्क करने वालो सेदिल का दरवाजा अंदर से खोला जाता है..

139.

झूठ है के प्यार के रिश्ते जनम-जनमतक जुड़े होते हैं...!!
मैंने तो एक जनम के साथ के लिए, दिल को तड़पते देखा है...!!

140.

मुझे दर्द दे कर तुझे सुकून मिलता है तो दर्द कबूल है मुझे..
तू मेरे बिना खुश है तो तुझ से जुदाई मंजूर है मुझे..

141.

मुझसे जब भी मिलो तो नज़रें उठा के मिला करो,
मुझे पसंद है अपने आप को तेरी आँखों में
देखना..

142.

ये है ज़िन्दगी, किसी के घर आज नई कार आई,
और किसी के घर मां की दवाई उधार आई..

143.

तुम बिन सांसे तो आती है,
मगर जिंदगी महसूस नहीं होती..

144.

तेरी बेरुखी से इस कदर टूट गया हूँ मैं..
लगता है बिन रूह की ज़िन्दगी गुज़ार रहा हूँ..

145.

जब उसका दर्द मेरे साथ वफ़ा करता है,
एक समुन्दर मेरी आँखों से बहा करता है..

146.

मै नहीं जानता की उसके लिये दिल में एहसास क्यों है..
वो अमानत है गैर की फ़िर भी उसको पाने की प्यास क्यों है..

147.

तू मेरे जनाजे को कन्धा ना देना,
जिन्दा ना हो जाऊ फिर कही तेरा सहारा देख कर !!

148.

चंद खुशियाँ ही बची थी, मेरे हाथो की लकीरो में..
वो भी तेरे आंसु पोछते हुए, मिट गई.............

149.

'ख़ुदा जाने मेरा क्या वज़्न है उनकी निगाहों में?
सुना है आदमी को वोह नज़र में तोल लेते हैं.!!

150.

बडा जालिम है साहब दिलबर मेरा,
उसे याद रहता है मुझे याद न करना l

151.

मुद्दत हो गयी, कोइ शख्स तो अब ऐसा मिले...
बाहर से जो दिखता हो अन्दर भी वैसा ही मिले..!!

152.

किसी पर भी एतबार ज़रा सोच समझकर, करनामुमकिन नही तुम्हे हर जगह हम मिले..

153.

मैं उदास हूं बिना तेरे कैसे कहूँ की जी नहीं सकता,
कैसे तूने उस गैर को अपना बना लिया,
मैं ये बात अब सह नहीं सकता..

154.

अगर इश्क़ करो तो....अदब-ए-वफ़ा भी सीख लो,
ये चंद लम्हों की बेक़रारी...मोहब्बत नहीं होती...!!

155.

दिल के लिये ज़िंदगी का पैगाम बन गई ....
सिमट के " तन्हाइयाँ " तेरा नाम बन गई .....!!

156.

प्यार का तो पता नही..लेकिन जब भी तू परेशान
होती है,
एक अजीब सी बेचैनी हो जाती है मुझे ����

157.

हमदर्द थे...हम-कदम थे...हमसफ़र थे...हमनशीं
जो भी थे बस हम थे ....!
वो तो कभी थे ही नहीं .....!

158.

क्या ऐसा नही हो सकता
हम तुमसे तुमको मांगे....

साहब

और तू मुस्कुरा के कहे
अपनी चीजे माँगा नही करते....

159.

जब तक साँस है , टकराव मिलता रहेगा !
जब तक रिश्ते हैं , घाव मिलता रहेगा !
पीठ पीछे जो बोलते हैं , उन्हें पीछे ही रहने दे ,
रास्ता सही है तो गैरों से भी लगाव मिलता रहेगा।।

160.

मेरी तहरीर से लिपटे हुए ताबूत ना खोल,
अल्फ़ाज़ गर जी उठे तो ख़ौफ़ से मर जाओगे तुम..

161.

किसी को किसी से कम ना आँकिये साहब,
देखिये दोनों ने मिल कर साल बदल दिया..

162.

पहले हम अच्छे थे अब कैसे बुरे हो गये,
तुम ख़ुद तो बदले हो,बयाँन तो ना बदलो..

163.

एक हुनर है चुप रहने का,
इक ऐब है कह देने का..

164.

ये साल भी गुज़रा तेरे प्यार की मानिद,
आते हुए कुछ और था और जाते हुए कुछ और..

165.

सुना है बहुत पढ़ें लिखें हो तुम,
कभी वो भी तो पढ़ो जो हम लिख नहीं पाते..

166.

दिये हैं ज़िन्दगी ने ज़ख़्म एैसे,
के जिनका वक़्त भी मरहम नही..

167.

चालाकी कहाँ मिलती है ज़रा हमें भी बता दीजिये,
ज़रा सा मीठा बोल के हर कोइ ठग लेता है..

168.

यह कैसा ख़्वाब था,झटका सा लगा दिल को,
के इक शख़्स परेशान था मेरी तलाश में..

169.

प्यास कहती है कि अब कोइ रेत निचोड़ी जाय,
अपने हिस्से में समन्दर नहीं आने वाला..

170.

चेहरे बदल बदल कर मिल रहे हैं लोग,
इतना बुरा सलूक मेरी सादगी के साथ !!!

171.

मुझे लहज़ा बदलने से हमेशा ख़ौफ़ आता है,
के लहज़े जब बदलते हैं तो कोइ अपना नहीं रहता..

172.

अजीब लोगों का बसेरा है तेरे शहर में,
ग़रूर में मिट जाते हैं मगर याद नहीं करते..

173.

तकदीर बनाने वाले, तूने भी हद कर दी;
तकदीर में किसी और का नाम लिखा था;
और दिल में चाहत किसी और की भर दी!

174.

न जाने क्यों हमें आँसू बहाना नहीं आता!
न जाने क्यों हाल-ऐ-दिल बताना नहीं आता!
क्यों सब दोस्त बिछड़ गए हमसे!
शायद हमें ही साथ निभाना नहीं आता!

175.

ताल्लुकात बढ़ाने हैं तो कुछ आदतें बुरी सीख लो...
अग़र ऐब न हों तो लोग महफ़िलों में नहीं बुलाते...

176.

दोस्त समझते हो तो दोस्ती निभाते रहना;
हमें भी याद करना खुद भी याद आते रहना;
हमारी तो हर ख़ुशी दोस्तों से ही है;
हम खुश रहें या ना आप सदा यूँ ही मुस्कुराते रहना।

177.

आसमान से उतरी हैं, तारों से सजाई है..
चाँद की चांदनी से नेहलायी हैं, ए दोस्त,
संभल के रखना ये दोस्ती,
यही तो हमारी ज़िन्दगी भर की कमाई है..

178.

मोहब्बत नहीं है कोई किताबों की बाते!
समझोगे जब रो कर कुछ काटोगे रातें!
जो चोरी हो गया तो पता चला दिल था हमारा!
करते थे हम भी कभी किताबों की बाते!

179.

कभी इतना मत मुस्कुराना की नजर लग जाए जमाने की,
हर आँख मेरी तरह मोहब्बत की नही होती....!!!

180.

कुछ हार गयी तकदीर कुछ टूट गए सपने,
कुछ गैरों ने बर्बाद किया कुछ छोड़ गए अपने !!

181.

मोहब्बत यूँ ही किसी से हुआ नहीं करती....,
अपना वजूद भूलाना पडता है,किसी को अपना बनाने के लिए...।

182.

हमने लिया सिर्फ होंठों से जो तेरा नाम..
दिल होंठो से उलझ पड़ा कि ये सिर्फ मेरा है !!

183.

मेरी ख्वाहिश है की मैं फिर से फ़रिश्ता हो जाऊं,..
माँ से इस तरह लिपट जाऊं की बच्चा हो जाऊं..

184.

प्रेम तब तक सिर्फ एक शब्द भर है जब तक आप इसका अहसास नहीं कर लेते।

185.

तेरी मुहब्बत पर मेरा हक तो नही पर दिल चाहता है, आखरी साँस तक तेरा इंतजार करूँ !

186.

हज़ारो मैं मुझे सिर्फ़ एक वो शख्स चाहिये,
जो मेरी ग़ैर मौजूदगी मैं, मेरी बुराई ना सुन सके !!

187.

तेरा ज़िक्र..तेरी फिक्र ..तेरा एहसास...तेरा ख्याल..!!! तू खुदा नहीं ....फिर हर जगह मौज़ूद क्यूँ है...!!

188.

सीख कर गया है वो मोहब्बत मुझसे,
जिस से भी करेगा, बेमिसाल करेगा।

189.

हाथों की लकीरों के फरेब में मत आना..
ज्योतिषों की दूकान पर ''मुक्कदर'' नहीं बिकते..

190.

'साहिल' पे बैठे यूँ सोचता हूँ मैं आज
कौन ज्यादा मजबूर है
ये किनारा जो चल नहीं सकता या
या वो लहर जो ठहर नहीं सकती ?

वो ज़माना कुछ और था

वो ज़माना और था.. कि जब पड़ोसियों के आधे बर्तन हमारे घर और हमारे बर्तन उनके घर मे होते थे। वो ज़माना और था .. कि जब पड़ोस के घर बेटी...