Monday, July 20, 2020

वो ज़माना कुछ और था


वो ज़माना और था..

कि जब पड़ोसियों के आधे बर्तन हमारे घर और हमारे बर्तन उनके घर मे होते थे।

वो ज़माना और था ..

कि जब पड़ोस के घर बेटी पीहर आती थी तो सारे मौहल्ले में रौनक होती थी।

कि जब गेंहूँ साफ करना किटी पार्टी सा हुआ करता था,

कि जब ब्याह में मेहमानों को ठहराने के लिए होटल नहीं लिए जाते थे, पड़ोसियों के घर उनके बिस्तर लगाए जाते थे।

वो ज़माना और था..

कि जब छतों पर किसके पापड़ और आलू चिप्स सूख रहें है बताना मुश्किल था।

कि जब हर रोज़ दरवाजे पर लगा लेटर बॉक्स टटोला जाता था।

कि जब डाकिये का अपने घर की तरफ रुख मन मे उत्सुकता भर देता था ।

वो ज़माना और था..

कि जब रिश्तेदारों का आना, घर को त्योहार सा कर जाता था।

कि जब आठ मकान आगे रहने वाली माताजी हर तीसरे दिन तोरई भेज देती थीं, और हमारा बचपन कहता था , कुछ अच्छा नहीं उगा सकती थीं ये।

वो ज़माना और था...

कि जब मौहल्ले के सारे बच्चे हर शाम हमारे घर ॐ जय जगदीश हरे गाते और फिर हम उनके घर णमोकार मंत्र गाते।

कि जब बच्चे के हर जन्मदिन पर महिलाएं बधाईयाँ गाती थीं और बच्चा गले मे फूलों की माला लटकाए अपने को शहंशाह समझता था।

कि जब बुआ और मामा जाते समय जबरन हमारे हाथों में पैसे पकड़ाते थे, और बड़े आपस मे मना करने और देने की बहस में एक दूसरे को अपनी सौगन्ध दिया करते थे।

वो ज़माना और था ...

कि जब शादियों में स्कूल के लिए खरीदे काले नए चमचमाते जूते पहनना किसी शान से कम नहीं हुआ करता था।

कि जब छुट्टियों में हिल स्टेशन नहीं मामा के घर जाया करते थे और अगले साल तक के लिए यादों का पिटारा भर के लाते थे।

कि जब स्कूलों में शिक्षक हमारे गुण नहीं हमारी कमियां बताया करते थे।

वो ज़माना और था..

कि जब शादी के निमंत्रण के साथ पीले चावल आया करते थे।

कि जब बिना हाथ धोये मटकी छूने की इज़ाज़त नहीं थी।

वो ज़माना और था...

कि जब गर्मियों की शामों को छतों पर छिड़काव करना जरूरी हुआ करता था।

कि जब सर्दियों की गुनगुनी धूप में स्वेटर बुने जाते थे और हर सलाई पर नया किस्सा सुनाया जाता था।

कि जब रात में नाख़ून काटना मना था.....जब संध्या समय झाड़ू लगाना बुरा था ।

वो ज़माना और था...

कि जब बच्चे की आँख में काजल और माथे पे नज़र का टीका जरूरी था।

कि जब रातों को दादी नानी की कहानी हुआ करती थी ।

कि जब कजिन नहीं सभी भाई बहन हुआ करते थे ।

वो ज़माना और था...

कि जब डीजे नहीं , ढोलक पर थाप लगा करती थी,

कि जब गले सुरीले होना जरूरी नहीं था, दिल खोल कर बन्ने बन्नी गाये जाते थे।

कि जब शादी में एक दिन का महिला संगीत नहीं होता था आठ दस दिन तक गीत गाये जाते थे।

वो ज़माना और था...

 कि जब बिना AC रेल का लंबा सफर पूड़ी, आलू और अचार के साथ बेहद सुहाना लगता था।*

वो ज़माना और था..

कि जब चंद खट्टे बेरों के स्वाद के आगे कटीली झाड़ियों की चुभन भूल जाए करते थे।

वो ज़माना और था...

कि जब सबके घर अपने लगते थे......बिना घंटी बजाए बेतकल्लुफी से किसी भी पड़ौसी के घर घुस जाया करते थे।

वो ज़माना और था..

कि जब पेड़ों की शाखें हमारा बोझ उठाने को बैचेन हुआ करती थी।

कि जब एक लकड़ी से पहिये को लंबी दूरी तक संतुलित करना विजयी मुस्कान देता था।

कि जब गिल्ली डंडा, चंगा पो, सतोलिया और कंचे दोस्ती के पुल हुआ करते थे।

वो ज़माना और था..

कि जब हम डॉक्टर को दिखाने कम जाते थे डॉक्टर हमारे घर आते थे, डॉक्टर साहब का बैग उठाकर उन्हें छोड़ कर आना तहज़ीब हुआ करती थी ।

कि जब इमली और कैरी खट्टी नहीं मीठी लगा करती थी।

वो ज़माना और था..

कि जब बड़े भाई बहनों के छोटे हुए  कपड़े ख़ज़ाने से लगते थे।

कि जब लू भरी दोपहरी में नंगे पाँव गालियां नापा करते थे।

कि जब कुल्फी वाले की घंटी पर मीलों की दौड़ मंज़ूर थी ।

वो ज़माना और था

कि जब मोबाइल नहीं धर्मयुग, साप्ताहिक हिंदुस्तान, सरिता और कादम्बिनी के साथ दिन फिसलते जाते थे।

कि जब TV नहीं प्रेमचंद के उपन्यास हमें कहानियाँ सुनाते थे।

वो ज़माना और था

कि जब मुल्तानी मिट्टी से बालों को रेशमी बनाया जाता था ।

कि जब दस पैसे की चूरन की गोलियां ज़िंदगी मे नया जायका घोला करती थी ।

कि जब पीतल के बर्तनों में दाल उबाली जाती थी।

कि जब चटनी सिल पर पीसी जाती थी।

वो ज़माना और था,
वो ज़माना वाकई कुछ और था।

Friday, July 10, 2020

विकास दूबे जैसे लोग कभी नहीं मर सकते


जी हां दोस्तों, आपने बिल्कुल सही पढ़ा। इसको आगे पढ़ने से पहले ये सोचो कि इस आदमी ने आपके सामने आपके बाप को या आपके इकलौते बेटे, छोटे भाई को बड़ी बेरहमी से इसने मारा है। इसने आपकी बीवी का या आपकी इकलौती बहन, एक साल की बेटी का सबके सामने बलात्कार करके कत्ल भी किया है। तभी आप इस लेख को समझ पाओगे क्योंकि जिस पर बीती है, वो ही दर्द को समझ सकता है। जब तक गंदी राजनीति और भ्रष्टाचार रहेगा, विकास दूबे जैसा नामी गुंडा हमेशा ज़िंदा रहेगा।

एनकाउंटर करना बहुत आसान मौत है। जेल मे बैठाकर खिलाने, पालने से अच्छा है ये एनकाउंटर, कमबख्त छुपे हुए नाम फिर भी बाहर नही आते। आज एक विकास मरा है, कल मुफ्तखोर अनपढ़ नेताओं से कोई दूसरा विकास पैदा हो जाएगा। संजय दत्त की "वास्तव" तो देखी होगी आपने।

भारत का संविधान और कानून हमें ऐसा करने को नहीं बोलता वरना ऐसे लोगो के दोनों हाथों को सबसे पहले गरम तेल की कढ़ाई में डाल देना चाहिए। उसके बाद उसके दोनों हाथों को काट देना चाहिए। इससे वो लूला हो जाएगा। फिर बारी आती है उसकी आंखों की। उसकी दोनो आंखो में तेजाब डालकर उसको अंधा कर देना चाहिए। इससे वो अंधा हो जाएगा या फिर उसकी दोनो आंखो को अस्पताल में दान भी कर सकते है। एक बात का ध्यान रहें कि शरीर का हर अंग काटने से पहले उसके सभी दांतो और हड्डियों को तोड़ना और काटने के बाद दिमाग में बिजली का करंट देना अति आवश्यक है। 

अब बात करेंगे उसके पैरों की। उसके पैरों के नाखूनों को प्लास से उखाड़ देना चाहिए। उसके बाद उसके पैरों को उबलते हुए पानी में डालने के बाद काट देना चाहिए। इससे वो लंगड़ा हो जाएगा। खून निकलने पर एसिड से स्प्रे करना ना भूलें। लंगड़ा, लूला और अंधा तो कर दिया। अब बहरा और गूंगा करना बाकी है। बहरा करने के लिए उसके दोनों कानों में कील डालकर हथोड़े से मारना चाहिए। दोनो कानों के परदे फटने के बाद वो पक्का बहरा हो जाएगा। उसके बाद दोनो कानों को उखाड़ देना चाहिए। अंत में बारी आती है उसको गूंगा करने की। गूंगा करने के लिए उसकी जुबान को कैंची से या फिर किसी तेज धार वाले औजार से काट देना चाहिए। इससे वो गूंगा ही जाएगा। 

एक बात याद रहे दोस्तों कि उसको खाने और पीने के लिए कुछ भी नहीं देना है। अगर टाइम मिले तो उसकी नाक के नथुनों को सुई धागे से सीलना भी जरूरी होगा। अब आप खुद ही सोचो कि एक गूंगा, लंगड़ा, लूला, अंधा और बहरा व्यक्ति जिसको खाने पीने के लिए कुछ भी ना मिला हो, वो कितने दिनों तक जिंदा रह सकता है। अगर गलती से जिंदा बच भी जाता है तो उसका लिंग काटकर फांसी पर लटका दो और उसके बाद उसकी अपाहिज लाश को भूखे शेर के सामने डाल दो। ऐसा जबरदस्त और खोफनाक अंतिम संस्कार टीवी पर दिखाना मत भूलना क्यूंकि इससे दूसरा विकास पैदा होने से बच सकता है और हमारा प्यारा भारत एक क्राइम फ्री देश बन सकता है। एनकाउंटर करना बहुत आसान मौत है। एक सेकंड से भी कम का दर्द और छुट्टी। अगर उसको ऐसे तड़पा के मारेंगे जो ऊपर लिखा है तो ये बाकी के गुंडों के लिए भी एक बहुत बड़ा सबक होगा। भारत में ये होना असंभव है क्यूंकि ये एक प्रजातंत्र देश है जहां पर कमजोर, गरीब और भूखी प्रजा की बिल्कुल भी नहीं सुनी जाती। 

ऐसे गंदे लोगों में डर पैदा करना बहुत जरूरी है क्योंकि ये लोग अपने आप को किसी शहंशाह से कम नहीं समझते। इनके ऊपर घटिया राजनेता जो होते है, उनके बल पर ये भाड़े के गुंडे किसी को भी और कुछ भी कर सकते है। ये बात सब जानते है कि वोटों के लिए एक नेता कितना भी नीचे गिर सकता है जैसे कि फिल्मों में एक रोल पाने के लिए या हीरोइन बनने से पहले लड़कियों को बिल्कुल वैश्या की तरह सबके साथ सोना पड़ता है। यहां सिर्फ नेता की ही बात नहीं है बल्कि रिश्वतखोर आईएएस, आईपीएस अधिकारी, पुलिस वाले, वकील, जज और मीडिया सब मिले हुए है। छोटे शहरों, कस्बों और जिलों में तो एक काउंसलर, एमएलए, एमपी भी अपने आप को किसी राजा औरंगजेब से कम नहीं समझता। 

अपनी मूर्ती बनवाने के लिए ये भ्रष्ट नेता लोग गरीब और भोली भाली जनता की मेहनत का करोड़ों रूपया खर्च कर देंगे लेकिन सड़के, पुल, स्कूल, हॉस्पिटल इत्यादि कभी नहीं बनवाएंगे। कोई साला अगर बीच में आयेगा तो उसको विकास दूबे जैसे भाड़े के गुंडों से मरवा भी देंगे। जाति और धर्म के नाम पर लड़वाने वालो सब नेताओं को कुर्सी और पैसा चाहिए। इन निकम्मों के चेहरे पांच सालो में सिर्फ वोट मांगने के दिन ही दिखाई देते है। क्या कभी आपने सुना है कि किसी भी नेता के यहां पर छोटी सी भी चोरी हुई हो। किसी पुलिस वाले की बहन या बेटी का बलात्कार और कत्ल हुआ हो। ये घटिया और कामचोर लोग शपथ लेते हुए तो बहुत बड़ी बड़ी बाते करते है लेकिन बाद में सब भूल जाते है। कोई इनकी पार्टी के लिए फंड दे तो ठीक है वरना ये सत्ता के भूखे भेड़िए अपने बाप को भी पहचानने से मना कर दे।

हमे जरुरत है एक ईमानदार और समझदार भारत की जहां पर चारों तरफ खुशहाली हो। लड़कियां आजाद घूम सके। खुली हवा में सांस ले सके। हर कोई किरन बेदी या अब्दुल कलाम जैसा ईमानदार नहीं हो सकता। हर बार की तरह इस बार भी ये लेख स्वामी विवेकानंद जी के अनमोल विचार से समाप्त करूंगा।

इत्र से कपड़ो को महकाना कोई बड़ी बात नहीं,
मज़ा तो तब है जब आपके किरदार से खुशबू आये..

जय हिन्द। जय भारत।

Thursday, July 2, 2020

5 Educational Websites For Children



Completing school assignments can be a pretty intimidating task for children, right?! Well, you needn’t worry anymore because I have made a list of few education-based websites that conduct everything from LIVE classes to uploading concept-based videos, that will make it easier for the kids to study. So without wasting any more time let’s check out these websites. 

1. Meritnation - This website is definitely that every school kid swears by and if not, then you’ve gotta check it out! From online tuitions to concept videos, they have it all over here. Plus, they even have solution booklets that let’s you compare your method of solving and verify if the steps are correct. https://www.meritnation.com/

2. Byju’s - Byju’s is known for providing everything from reading materials to conducting live classes that will let you solve your doubts at home. Plus, they provide free counselling that lets you take important decisions regarding your career choices and options. Plus they also offer interactive sessions where you can get your doubts answered. https://byjus.com/

3. Khan Academy - The next one on the list is similar to other platforms that provide you with personalised learning. It’s a great website for children of ages 2 -18 to gain knowledge for FREE. A non-profit organisation, it aims to help and guide students academically so that they are provided with world-class education. https://www.khanacademy.org/

4. Kids Web - This one is for your little munchkins who are at the beginning of their school life. Their studies are equally important as it forms the basis for further learning. From junior cooking classes to nursery rhymes and quizzes, it’s an excellent way to help your ‘jigar ka tukada’ learn important lessons without making it boring. http://www.kidswebindia.com/

5. Scholastic - Scholastic needs absolutely no introduction when it comes to learning. They provide free solution books that can come to your child’s aid while solving difficult questions. Besides, they also have some interesting reads that will enhance their vocabulary and academic books that will help them study properly. https://scholastic.co.in/

वो ज़माना कुछ और था

वो ज़माना और था.. कि जब पड़ोसियों के आधे बर्तन हमारे घर और हमारे बर्तन उनके घर मे होते थे। वो ज़माना और था .. कि जब पड़ोस के घर बेटी...