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Sunday, June 14, 2020

Suicide - आजकल की युवा पीढ़ी की एक दर्दनाक तस्वीर


परेशानियां किसको नहीं होती? सबकी अपनी अपनी मुश्किलें और दिक्कतें है लेकिन इसका मतलब ये बिल्कुल भी नहीं है कि कोई आत्महत्या कर ले। 
आज की युवा पीढ़ी शारीरिक तौर पर Six Pack Abs बनाना तो जानती है लेकिन मानसिक तौर पर इतनी कमजोर है कि कोई अगर जरा सी बात भी बोल दे तो ये अपना मानसिक संतुलन खो देते है और आत्महत्या जैसा घिनौना पाप कर बैठते है। अगर कोई बात इनको गलती से भी बुरी लग गई तो ये गोली तक चला सकते है। 

किसी की नौकरी नहीं लग रही, तो क्या वो Suicide कर ले।

किसी के माता पिता अब इस दुनिया में नहीं है, तो क्या वो Suicide कर ले।

किसी की शादी नहीं हो रही, तो क्या वो Suicide कर ले।

किसी का काम धंधा नहीं चल रहा, तो क्या वो Suicide कर ले।

कोई किसी Subject में या पेपर में फेल हो गया, तो क्या वो Suicide कर ले।

किसी लड़के ने किसी लड़की का शादी का प्रस्ताव ठुकरा दिया, तो क्या वो Suicide कर ले।

किसी लड़की ने किसी लड़के का प्रेम का प्रस्ताव ठुकरा दिया, तो क्या वो Suicide कर ले।

अगर किसी के घर लड़की पैदा हुई है और वो बात उसके घरवालों को पसंद नहीं है, तो क्या वो Suicide कर ले।

किसी का बच्चा अपंग है, तो क्या वो Suicide कर ले।

कोई बीमार है, तो क्या वो Suicide कर ले।

किसी को लोन नहीं मिल रहा, तो क्या वो Suicide कर ले।

किसी को English बोलनी नहीं आती, तो क्या वो Suicide कर ले।

किसी की अपने पड़ोसी से लड़ाई हो गई, तो क्या वो Suicide कर ले।

किसी की अपने रिश्तेदारों से नहीं बनती, तो क्या वो Suicide कर ले।

किसी का sales का target पूरा नहीं हो रहा, तो क्या वो Suicide कर ले।

किसी की बीवी या बच्चा मर गया, तो क्या वो Suicide कर ले।

कोई विधवा हो गई, तो क्या वो Suicide कर ले।

कोई बोना है, तो क्या वो Suicide कर ले।

कोई हीजडा है, तो क्या वो Suicide कर ले।

कोई अनाथ हो गया, तो क्या वो Suicide कर ले।

कोई लंगड़ा, लूला, बहरा, गूंगा, अंधा अपाहिज है, तो क्या वो Suicide कर ले।

बॉस ने डांट दिया, तो क्या वो Suicide कर ले।

किसी की गाड़ी का टायर पंक्चर हो गया और वो समय पर एयरपोर्ट नहीं पहुंच पाया, प्लेन छूट गया, तो क्या वो Suicide कर ले।

किसी की रेल की टिकट बुक नहीं हो रही, तो क्या वो Suicide कर ले।

कोई social media पर लाइक या शेयर या कॉमेंट नही कर रहा, तो क्या वो Suicide कर ले।

कोई किसी को समझ नही पा रहा या उसकी किसी को कोई परवाह नहीं है, तो क्या वो Suicide कर ले।

किसी की ज़मीन किसी ने हड़प ली, तो क्या वो Suicide कर ले।

किसी की बीवी दूसरे के साथ भाग गई, तो क्या वो Suicide कर ले।

किसी का तलाक हो गया, तो क्या वो Suicide कर ले।

किसी के पति का किसी दूसरी औरत के साथ गलत संबंध है, तो क्या वो Suicide कर ले।

कोई मां नहीं बन सकती, बांझ है, तो क्या वो Suicide कर ले।

किसी की height कम है, तो क्या वो Suicide कर ले।

कोई मर्दाना कमजोरी के कारण बाप नहीं बन सकता, तो क्या वो Suicide कर ले।

किसी का टेंडर पास नहीं हो रहा, तो क्या वो Suicide कर ले।

किसी का पति शराब पीकर घर आता है और मार पिटाई करता है, तो क्या वो Suicide कर ले।

किसी की बॉडी नहीं बन पा रही है, तो क्या वो Suicide कर ले।

कोई रंग का काला है, तो क्या वो Suicide कर ले।

कोई कम उम्र में ही गंजा हो गया, तो क्या वो Suicide कर ले।

कोई पतला नहीं हो पा रहा है, तो क्या वो Suicide कर ले।

कोई इलेक्शन हार गया, तो क्या वो Suicide कर ले।

इत्यादि, इत्यादि....

इस लेख से मेरा मतलब उस युवा पीढ़ी को समझाने से है, जो अपना धैर्य (Patience) खो चुके है। कई बार परिस्थितियां हमारे हक में नहीं होती और हमको उनसे समझौता करना पड़ता है पर आज की पीढ़ी वो समझौता करने को बिल्कुल तैयार नहीं है। इन लोगों में बहुत ज्यादा गुस्सा (anger) भरा हुआ है। अगर इनकी बात नहीं मानी जाए तो ये भड़क जाते है। उदाहरण के तौर पर अगर किसी बच्चे ने किसी चीज की फरमाइश या ज़िद करी और वो उसको नहीं मिली, तो वो गुस्से में कुछ भी कर सकता है। 

इत्र से कपड़ों को महकाना कोई बड़ी बात नहीं,
मज़ा तब है जब खुशबू आपके किरदार से आए..

मेरा सभी मित्रों से आग्रह है कि स्वामी विवेकानंद जी को पढ़िए। 

जैसा कि मैंने बताया कि आज की युवा पीढ़ी, जो थोड़ी मेहनत तो करना जानती है, पर उनमें धैर्य बिल्कुल भी नहीं है और उनमें बहुत ज्यादा गुस्सा भरा हुआ है। इसको ऐसे समझने की कोशिश करते है। एक शक्स ने किराए पर एक रेस्टोरेंट खोला। इसके लिए उसने manager, वेटर्स, रिसेप्शनिस्ट, chefs, दरबान भी रखे। फल सब्जियां सब कुछ ताज़ा, अच्छे तेल और देसी घी के पकवान, Entry करने पर Free juice लेकिन ग्राहक नहीं आ रहे। तनख्वाह भी सबको देनी है पर पैसा नहीं है। बैंक का लोन भी चुकाना है। इससे वो शक्स डिप्रेशन में आ गया। भूख प्यास नहीं लगती, नींद भी नहीं आती। धीरे धीरे उसने अपना गुस्सा अपने बीवी बच्चो पर उतारना शुरू कर दिया पर उसे चैन नहीं मिला। रेस्तरां का किराए भी भरना था पर काम नहीं चल रहा। ग्राहक आ नहीं रहे तो इसमें बेचारे cook का क्या दोष। उसने गाली गलोच करके गुस्से में cook को निकाल दिया। मालिक सिर्फ नौकरी से ही निकाल सकता है और कुछ नहीं बिगाड़ सकता। उसका ऐसा बर्ताव देखकर सबने अपनी नौकरी छोड़ दी और वो डिप्रेशन में आ गया। आज के समय में अगर बच्चों पर एक सेकंड के लिए भी खरोंच आ जाए या घर के किसी भी सदस्य को कोई छोटी सी भी दिक्कत होती है तो दिल दहल जाता है। उसने अपने परिवार की परवाह किए बिना आत्महत्या कर ली जिसका बहुत बुरा परिणाम उसके रोते बिलखते माता पिता और बीवी बच्चो को जीवन भर भुगतना पड़ा।

चार कदम चलने पर ही सांस फूलने वाली आज की युवा पीड़ी नशे की आदि हो चुकी है और दूसरों से अपनी तुलना करती है। ये बहुत बुरी बात है। उधार के पैसों से महंगी शराब पीकर उल्टी करने में कोई समझदारी नहीं है। रिश्तेदारों या पड़ोसियों को नीचा दिखाने के लिए लोन पर ली गई गाड़ी बहुत ज्यादा महंगी पड़ सकती है। 

ससुर या जेठ देवर के साथ शराब पीने वाली आज की युवा पीढ़ी किसी का भी सम्मान या आदर नहीं करती है। ये भी बहुत बुरी बात है। उनको अपनी पढ़ाई, अपनी अमीरी, अपने रूतबे, अपनी Power, अपनी Position, अपनी झूठी शान और शौकत का बहुत गुमान है। जो पढ़ा लिखा बेवकूफ इंसान अपने बड़े भाई या बाप की उम्र के मुलाजिम को गंदी गाली दे सकता है, वो किसी भी हद तक गिर सकता है। घमंडी कोयल की कहानी सुनी होगी आपने।

एक बस मैं ही समझदार हूं, बाकी सब नादान
इस भ्रम में घूम रहा है, आजकल हर इंसान

हर किसी से बदतमीजी से बात करने वाली आजकल की युवा पीढ़ी किसी की भी मदद नहीं करती है या करना ही नहीं चाहती है। ये बहुत बुरी बात है। इन लोगों को सिर्फ अपना फायदा निकालना आता है। ढोंग, दिखावा करना इनको बहुत अच्छा लगता है। अगर सामने वाले से कुछ फायदा हो रहा हो तो ठीक है वरना ये उनका फोन तक भी उठाना पसंद नहीं करते। मेसेज पर reply करना तो बहुत दूर की बात है। ये भी हो सकता है कि ये सब उनको अपने मां बाप से विरासत में मिला हो या फिर समय को देखते हुए परिस्थितियां अनुकूल ना हो। ये लोग "मैं" (EGO) में जीना ज्यादा पसंद करते है।

सुख मेरा कम्बख्त कांच का था..
ना जाने कितनों को चुभ गया..

बर्गर पिज्जा खाने वाली आज की युवा पीढ़ी हर किसी को घृणा और इर्ष्या की नजरों से देखती है। ये बहुत बुरी बात है। इन लोगो को ये बात बहुत चुभती है कि सामने वाला खुश कैसे है। उनसे दूसरों कि खुशी बर्दाश्त नहीं होती। एक जलन नाम की गंदगी उनके अंदर हमेशा भरी रहती है। इनको दूसरों की चुगली करने में बहुत मज़ा आता है। कोई इनकी झूठी तारीफ करें तो इनको बहुत अच्छा लगता है और अगर सामने वाले की थोड़ी सी भी बुराई हो जाए तब तो मज़ा ही कुछ और है।

मेरे चाचा MLA है, मेरे पिताजी के पास बहुत ज़मीन है, मेरी साली high court में जज है, मेरे फूफा MP है, मेरा मौसा Police में है, मेरी बुआ यहां की president है, मेरे मामा IAS है। ये सब बकवास भी सुनी होगी आपने।

जो मज़ा अपनी पहचान बनाने में हैं..
वो किसी की परछाई बनने में नहीं हैं..

आज की युवा पीढ़ी को गंदे और अश्लील वीडियो देखना अच्छा लगता है। अपने आप को संतुष्ट करने के लिए ये लोग कैसे कैसे हथकंडे अपनाते है। पूजा पाठ से तो ये लोग कोसो दूर है। डिस्को, पब, बार में जाना, ये अपनी शान समझते है। झूठा ढोंग और दिखावा करना इनकी आदत बन चुकी है। गाली गलौज, नशा करने में और दूसरों को नीचा दिखाने में आज की युवा पीढ़ी सबसे आगे है।

नौकरी या प्रोमोशन के लिए बॉस के साथ मुंह काला करने वाली युवा पीढ़ी अपने खर्चों पर बिल्कुल नियंत्रण नहीं रखती है। सस्ते कपड़े, सस्ते जूते पहनने में इनको बहुत शर्म आती है। महंगे होटलों में खाना नहीं खाएंगे तो ये लोग शायद बीमार पड़ जाएंगे। उच्च स्तर का रहन सहन नहीं दिखाएंगे तो शायद बदनाम हो जाएंगे।

आमदनी अठन्नी खर्चा रूपया

दूसरों की बहन बेटियों को बहुत ज्यादा गंदी नजरों से देखने वाली युवा पीढ़ी चोरी चकारी, लूटमार, चेन, पर्स, मोबाइल छीनने में भी पीछे नहीं है। झूठा स्टेटस दिखाने में इनको बहुत मज़ा आता है। अपनी औकात से ज्यादा बड़े मकान में रहना समझदारी नहीं है। अगर किराए नही दे सकते तो फिर कोई सस्ती सी जगह ढूंढ लीजिए ना, लेकिन नहीं, बेइज्जती हो जाएगी।

रोटी पर घी और नाम के साथ जी लगाने से स्वाद और इज्जत दोनों बढ़ जाते हैं।

ये बात आजकल की युवा पीढ़ी, जो मां बहन की गाली देना बड़ा पुण्य का काम समझती है, उनको ये बात समझ में कहां से आएगी। कोई बड़ा हो या छोटा, इनको तो हर किसी से तू, तबाड, तुम बोलने में ही आनंद आता है। आप बोलने में इनकी इज्जत जो कम हो जाती है।

क्रेडिट कार्ड को ही अपना सब कुछ मान लेने वाली आजकल की युवा पीढ़ी को महंगे शौक रखना बहुत अच्छा लगता है। बड़ी गाड़ी के लिए ड्राइवर भी रखेंगे। खाना बनाने के लिए Chef भी होना जरूरी है। खुद का काम करना इनके लिए Mount Everest पर चढ़ने जैसा है। बगीचे के लिए माली का भी होना बहुत ज़रूरी है जो आते जाते सलाम भी ठोकेगा ताकि मेहमानों को लगे कि क्या ठाठ बाट है। पश्चिमी सभ्यता के ये गुलाम लोग हाथी खरीद तो लेते है पर कमबख्त पाल नहीं पाते और अंत में आत्महत्या कर लेते है।

क्या हो गया अगर महंगा फोन नहीं है तो
क्या हो गया अगर गाड़ी नहीं है तो
क्या हो गया अगर आपका बच्चा सरकारी स्कूल में है
क्या हो गया अगर किसी ने कुछ गलत बोल दिया
क्या हो गया अगर जिम नहीं जा सकते
क्या हो गया अगर बड़े होटल में खाना नहीं खा सकते
क्या हो गया अगर ब्रांडेड कपड़े नहीं पहन सकते
क्या हो गया अगर महंगी घड़ी नहीं है तो
क्या हो गया अगर एक कमरे के छोटे से फ्लैट में रहते हो
क्या हो गया अगर बहन बेटी की शादी गरीब घर में हुई है
क्या हो गया अगर मां बाप का इलाज सरकारी अस्पताल में चल रहा है

इत्यादि, इत्यादि....

अपने आप पर यकीन रखो, मेहनत करो, डरो नहीं और इस खूबसूरत ज़िन्दगी से घबराकर गलती से भी आत्महत्या की कोशिश मत करना। अंग्रेजी में एक कहावत है:

It's better to have 500 dollars in a 10 dollars purse rather than 10 dollars in a 500 dollars purse.

मैं आज की युवा पीढ़ी के बिल्कुल खिलाफ नहीं हूं क्यूंकि मैं जानता हूं कि ये लोग ही कल का भविष्य है।

दोस्तों - खुद पर विश्वास करना सीखो। क्रोध, अहंकार, लोभ, दूसरों से अपनी तुलना, ये सब बर्बादी का कारण है। धैर्य रखना बहुत जरुरी है। घृणा और इर्ष्या से दूर रहो। दूसरों में कमिया मत निकालो, उनकी गलतियों से खुद को सुधारना सीखो। सबका आदर करना सीखो। मदद करना सीखो। डरपोक मत बनो, साहसी बनकर सामना करो। Positive Mindset रखो। सबका अच्छा सोचो। दूसरों से प्रेम करना सीखो। आप लोग Abraham Lincoln, JK Rowling, Yuvraj Singh, Amitabh Bachchan, Milkha Singh को पढ़ सकते है जिन्होंने अपनी ज़िन्दगी में बहुत परेशानियों का बड़ी खूबसूरती के साथ सामना किया।

सीखना है तो उन गरीब मजदूरों से सीखों जिनकी पूरी ज़िन्दगी दिक्कतों और परेशानियों से भरी पड़ी है। फिर भी वो लोग भुखमरी, अपनी लाचारी में खुश है और किसी भी हालत में Suicide नहीं करते।

कुछ सीखना है तो अपने जीवन में एक चक्कर blind school, orphanage, school of children with special needs, पागलखाने का जरूर लगाना। ये लोग भी आत्महत्या जैसा पाप नहीं करते। हजारो किलो मीटर पैदल चलने वालों ने आत्महत्या नहीं करी। 

एक बार फिर साबित हो गया कि जिंदगी में खूबसूरती, धनदौलत, सफलता, चकाचौंध ही सबकुछ नहीं होती, मानसिक शांति और जीवन में ठहराव होना जरूरी है, अगर मन में शांति ना हो तो आप हजारों की भीड़ में रहकर भी तन्हा हो सकते हैं और अगर मन शांत है तो तन्हा रहकर भी आपको अकेलापन महसूस नहीं हो सकता, इतिहास गवाह है कि ज्यादातर खुदकुशी मानसिक उथलपुथल के कारण ही की जाती हैं, गरीबों और अनपढ़ों से ज्यादा आत्महत्या के मामले पढे लिखे और बाहर से सफल दिखने वाले लोग ही करते हैं। अपने दोस्तों, परिवार के सदस्यों और आसपास के लोगों का ख्याल रखिये, पता नहीं कितने हंसते चेहरे अपने अंदर आंसुओं का समंदर लिए आप के साथ ही घूम रहे हों। जिंदगी में कभी किसी को दुःख सताये तो 'दुनिया में कितना गम है, मेरा गम कितना कम है' वाला गीत गुनगुनाइए और महंगे जूते अगर ना होने का दुःख हो तो एक बार ये भी सोच लीजिए कि दुनिया में ऐसे लोग भी हैं जिनके पैर ही नहीं होते।

आत्महत्या करना किसी भी समस्या का समाधान नहीं है। अगर ऐसा होता तो पूरी दुनिया कबकी खत्म हो चुकी होती। शायद ही कोई गीत बन पाता, बल्ब नहीं बन पाता, ट्यूबलाइट, पंखे, एसी, कूलर, हवाई जहाज नहीं होते, बड़ी बड़ी फैक्टरियां या मिले नहीं होती। सड़के, बिल्डिंगे, घोड़ा गाड़ी कुछ नहीं होता, स्कूल कॉलेज भी नहीं होते, किसान नहीं होता, खेत खलिहान जंगल नहीं होते, सरकार, सरहदें, कुछ नहीं होता। कुछ भी नहीं।

होता तो बस एक शून्य! Full Stop.

क्रान्ति गौरव
(लेखक)







वो ज़माना कुछ और था

वो ज़माना और था.. कि जब पड़ोसियों के आधे बर्तन हमारे घर और हमारे बर्तन उनके घर मे होते थे। वो ज़माना और था .. कि जब पड़ोस के घर बेटी...