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Friday, July 10, 2020

विकास दूबे जैसे लोग कभी नहीं मर सकते


जी हां दोस्तों, आपने बिल्कुल सही पढ़ा। इसको आगे पढ़ने से पहले ये सोचो कि इस आदमी ने आपके सामने आपके बाप को या आपके इकलौते बेटे, छोटे भाई को बड़ी बेरहमी से इसने मारा है। इसने आपकी बीवी का या आपकी इकलौती बहन, एक साल की बेटी का सबके सामने बलात्कार करके कत्ल भी किया है। तभी आप इस लेख को समझ पाओगे क्योंकि जिस पर बीती है, वो ही दर्द को समझ सकता है। जब तक गंदी राजनीति और भ्रष्टाचार रहेगा, विकास दूबे जैसा नामी गुंडा हमेशा ज़िंदा रहेगा।

एनकाउंटर करना बहुत आसान मौत है। जेल मे बैठाकर खिलाने, पालने से अच्छा है ये एनकाउंटर, कमबख्त छुपे हुए नाम फिर भी बाहर नही आते। आज एक विकास मरा है, कल मुफ्तखोर अनपढ़ नेताओं से कोई दूसरा विकास पैदा हो जाएगा। संजय दत्त की "वास्तव" तो देखी होगी आपने।

भारत का संविधान और कानून हमें ऐसा करने को नहीं बोलता वरना ऐसे लोगो के दोनों हाथों को सबसे पहले गरम तेल की कढ़ाई में डाल देना चाहिए। उसके बाद उसके दोनों हाथों को काट देना चाहिए। इससे वो लूला हो जाएगा। फिर बारी आती है उसकी आंखों की। उसकी दोनो आंखो में तेजाब डालकर उसको अंधा कर देना चाहिए। इससे वो अंधा हो जाएगा या फिर उसकी दोनो आंखो को अस्पताल में दान भी कर सकते है। एक बात का ध्यान रहें कि शरीर का हर अंग काटने से पहले उसके सभी दांतो और हड्डियों को तोड़ना और काटने के बाद दिमाग में बिजली का करंट देना अति आवश्यक है। 

अब बात करेंगे उसके पैरों की। उसके पैरों के नाखूनों को प्लास से उखाड़ देना चाहिए। उसके बाद उसके पैरों को उबलते हुए पानी में डालने के बाद काट देना चाहिए। इससे वो लंगड़ा हो जाएगा। खून निकलने पर एसिड से स्प्रे करना ना भूलें। लंगड़ा, लूला और अंधा तो कर दिया। अब बहरा और गूंगा करना बाकी है। बहरा करने के लिए उसके दोनों कानों में कील डालकर हथोड़े से मारना चाहिए। दोनो कानों के परदे फटने के बाद वो पक्का बहरा हो जाएगा। उसके बाद दोनो कानों को उखाड़ देना चाहिए। अंत में बारी आती है उसको गूंगा करने की। गूंगा करने के लिए उसकी जुबान को कैंची से या फिर किसी तेज धार वाले औजार से काट देना चाहिए। इससे वो गूंगा ही जाएगा। 

एक बात याद रहे दोस्तों कि उसको खाने और पीने के लिए कुछ भी नहीं देना है। अगर टाइम मिले तो उसकी नाक के नथुनों को सुई धागे से सीलना भी जरूरी होगा। अब आप खुद ही सोचो कि एक गूंगा, लंगड़ा, लूला, अंधा और बहरा व्यक्ति जिसको खाने पीने के लिए कुछ भी ना मिला हो, वो कितने दिनों तक जिंदा रह सकता है। अगर गलती से जिंदा बच भी जाता है तो उसका लिंग काटकर फांसी पर लटका दो और उसके बाद उसकी अपाहिज लाश को भूखे शेर के सामने डाल दो। ऐसा जबरदस्त और खोफनाक अंतिम संस्कार टीवी पर दिखाना मत भूलना क्यूंकि इससे दूसरा विकास पैदा होने से बच सकता है और हमारा प्यारा भारत एक क्राइम फ्री देश बन सकता है। एनकाउंटर करना बहुत आसान मौत है। एक सेकंड से भी कम का दर्द और छुट्टी। अगर उसको ऐसे तड़पा के मारेंगे जो ऊपर लिखा है तो ये बाकी के गुंडों के लिए भी एक बहुत बड़ा सबक होगा। भारत में ये होना असंभव है क्यूंकि ये एक प्रजातंत्र देश है जहां पर कमजोर, गरीब और भूखी प्रजा की बिल्कुल भी नहीं सुनी जाती। 

ऐसे गंदे लोगों में डर पैदा करना बहुत जरूरी है क्योंकि ये लोग अपने आप को किसी शहंशाह से कम नहीं समझते। इनके ऊपर घटिया राजनेता जो होते है, उनके बल पर ये भाड़े के गुंडे किसी को भी और कुछ भी कर सकते है। ये बात सब जानते है कि वोटों के लिए एक नेता कितना भी नीचे गिर सकता है जैसे कि फिल्मों में एक रोल पाने के लिए या हीरोइन बनने से पहले लड़कियों को बिल्कुल वैश्या की तरह सबके साथ सोना पड़ता है। यहां सिर्फ नेता की ही बात नहीं है बल्कि रिश्वतखोर आईएएस, आईपीएस अधिकारी, पुलिस वाले, वकील, जज और मीडिया सब मिले हुए है। छोटे शहरों, कस्बों और जिलों में तो एक काउंसलर, एमएलए, एमपी भी अपने आप को किसी राजा औरंगजेब से कम नहीं समझता। 

अपनी मूर्ती बनवाने के लिए ये भ्रष्ट नेता लोग गरीब और भोली भाली जनता की मेहनत का करोड़ों रूपया खर्च कर देंगे लेकिन सड़के, पुल, स्कूल, हॉस्पिटल इत्यादि कभी नहीं बनवाएंगे। कोई साला अगर बीच में आयेगा तो उसको विकास दूबे जैसे भाड़े के गुंडों से मरवा भी देंगे। जाति और धर्म के नाम पर लड़वाने वालो सब नेताओं को कुर्सी और पैसा चाहिए। इन निकम्मों के चेहरे पांच सालो में सिर्फ वोट मांगने के दिन ही दिखाई देते है। क्या कभी आपने सुना है कि किसी भी नेता के यहां पर छोटी सी भी चोरी हुई हो। किसी पुलिस वाले की बहन या बेटी का बलात्कार और कत्ल हुआ हो। ये घटिया और कामचोर लोग शपथ लेते हुए तो बहुत बड़ी बड़ी बाते करते है लेकिन बाद में सब भूल जाते है। कोई इनकी पार्टी के लिए फंड दे तो ठीक है वरना ये सत्ता के भूखे भेड़िए अपने बाप को भी पहचानने से मना कर दे।

हमे जरुरत है एक ईमानदार और समझदार भारत की जहां पर चारों तरफ खुशहाली हो। लड़कियां आजाद घूम सके। खुली हवा में सांस ले सके। हर कोई किरन बेदी या अब्दुल कलाम जैसा ईमानदार नहीं हो सकता। हर बार की तरह इस बार भी ये लेख स्वामी विवेकानंद जी के अनमोल विचार से समाप्त करूंगा।

इत्र से कपड़ो को महकाना कोई बड़ी बात नहीं,
मज़ा तो तब है जब आपके किरदार से खुशबू आये..

जय हिन्द। जय भारत।

वो ज़माना कुछ और था

वो ज़माना और था.. कि जब पड़ोसियों के आधे बर्तन हमारे घर और हमारे बर्तन उनके घर मे होते थे। वो ज़माना और था .. कि जब पड़ोस के घर बेटी...