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Wednesday, July 18, 2018

Best Collection of 2 Line Hindi Shayari



ख़ाक से बढ़कर कोई दौलत नहीं होती छोटी मोटी बात पे हिज़रत नहीं होती,.,
पहले दीप जलें तो चर्चे होते थे और अब शहर जलें तो हैरत नहीं होती,.,!!

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सच की हालत किसी तवायफ सी है,
तलबगार बहुत हैं तरफदार कोई नही.,.,!!

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इलाज ए इश्क पुछा जो मैने हकीम से
धीरे से सर्द लहजे मे वो बोला
जहर पिया करो सुबह दोपहर शाम,.,!!!

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दुनिया में सब चीज़ मिल जाती है,,,
केवल अपनी ग़लती नहीं मिलती...!!

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जो अंधेरे की तरह डसते रहे ,अब उजाले की कसम खाने लगे
चंद मुर्दे बैठकर श्मशान में ,ज़िंदगी का अर्थ समझाने लगे,..,!!

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हलकी हलकी सी सर्द हवा ,जरा जरा सा दर्द ए दिल
अंदाज अच्छा है ए नवम्बर तेरे आने का,.,!!!

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मोहब्बत हमने सीखी है चराग़ों की शमाओं से
कभी तो रात आएगी कभी तो लौ जलाओगे,.!!

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पहचान कहाँ हो पाती है, अब इंसानों की,.,
अब तो गाड़ी, कपडे लोगों की, औकात तय करते हैं,.,!!

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आख़िर तुम भी उस आइने की तरह ही निकले...
जो भी सामने आया तुम उसी के हो गए.!!

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दिलों में खोट है ज़ुबां से प्यार करते हैं...
बहुत से लोग दुनिया में यही व्यापार करते हैं

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मुझ से पत्थर ये कह कह के बचने लगे ,
तुम ना संभलोगे ठोकरें खा कर ..!!

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पडेगा हम सभी को अब खुले मैदान मे आना,.,
घरों मे बात करने से ये मसले हल नही होंगे,.,!!!

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पालते हैं वे कबूतर पर कतरने के लिए,.,
ताकि बेबस हों उन्हीं के घर उतरने के लिए,.,!!

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मैं छुपाना जानता तो जग मुझे साधू समझता
शत्रु मेरा बन गया है छलरहित व्यवहार मेरा,.,.!!

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सुना था तेरी महफिल में सुकूने-दिल भी मिलता है,.,
मगर हम जब भी तेरी महफिल से आये, बेकरार आये,.,!!!

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गरीबी थी जो सबको एक आंचल में सुला देती थी.,.,
अब अमीरी आ गई सबको अलग मक़ान चाहिए...!!

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दर्द के सिवा कभी कुछ न दिया,
गज़ब के हमदर्द हो आप मेरे !!!

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ना जाने वो बच्चा किससे खेलता होगा…
वो जो मेले में दिन भर खिलौने बेचता हैं,.,!!

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तेरी महफ़िल से उठे तो किसी को खबर तक ना थी,
तेरा मुड़-मुड़कर देखना हमें बदनाम कर गया।

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परिन्दों की फ़ितरत से आए थे वो मेरे दिल में।
ज़रा पंख निकल आए तो आशियाना छोड दिया॥

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ख्वाब ख्याल, मोहब्बत, हक़ीक़त, गम और तन्हाई,
ज़रा सी उम्र मेरी किस-किस के साथ गुज़र गयी !!!

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है होंठ उसके किताबों में लिखी तहरीरों जैसे..,.
ऊँगली रखो तो आगे पढने को जी करता है.,..!!!


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हमने देखा था शौक-ऐ-नजर की खातिर
ये न सोचा था के तुम दिल मैं उतर जाओगे.,.,!!!


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मोहब्बत है गज़ब उसकी शरारत भी निराली है,
बड़ी शिद्दत से वो सब कुछ निभाती है अकेले में.,.,!!!


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अंगड़ाई भी वो लेने न पाए उठा के हाथ
देखा जो मुझ को छोड़ दिए मुस्कुरा के हाथ...!!


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अच्छे ईसा हो मरीज़ों का ख़याल अच्छा है
हम मरे जाते हैं तुम कहते हो हाल अच्छा है...!!


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अदा से देख लो जाता रहे गिला दिल का
बस इक निगाह पे ठहरा है फ़ैसला दिल का...!!


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अंदाज़ अपना देखते हैं आईने में वो
और ये भी देखते हैं कोई देखता न हो...!!


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अभी आए अभी जाते हो जल्दी क्या है दम ले लो
न छोड़ूँगा मैं जैसी चाहे तुम मुझ से क़सम ले लो...!!

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घर की वहशत से लरज़ता हूँ मगर जाने क्यूँ
शाम होती है तो घर जाने को जी चाहता है,.,!!

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झूटी उम्मीद की उँगली को पकड़ना छोड़ो
दर्द से बात करो दर्द से लड़ना छोड़ो,.,!!

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सारी दुनिया से लड़े जिसके लिए
एक दिन उससे भी झगड़ा कर लिया,.,!!

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हम कुछ ऐसे तिरे दीदार में खो जाते हैं
जैसे बच्चे भरे बाज़ार में खो जाते हैं,.,!!

इंसाँ की ख़्वाहिशों की कोई इंतिहा नहीं
दो गज़ ज़मीं भी चाहिए दो गज़ कफ़न के बाद,.,!!

लोग कहते हैं कि बदनामी से बचना चाहिए
कह दो बे इस के जवानी का मज़ा मिलता नहीं,.,!!

रोज़ सोचा है भूल जाऊँ तुझे
रोज़ ये बात भूल जाता हूँ,.,!!

उस ने बारिश में भी खिड़की खोल के देखा नहीं
भीगने वालों को कल क्या क्या परेशानी हुई...!!


कच्चे मकान जितने थे बारिश में बह गए
वर्ना जो मेरा दुख था वो दुख उम्र भर का था...!!

जिस को तुम भूल गए याद करे कौन उस को
जिस को तुम याद हो वो और किसे याद करे...!!

मेरे टूटने की वजह मेरे ज़ौहरी से पूछो,
उसकी ख़्वाहिश थी की मुझे थोड़ा और तराशा जाए,.,!!

सुबह सुबह उठना पड़ता है कमाने के लिए साहेब,
'आराम' कमाने निकलता हूँ... 'आराम' छोड़कर,.,!!

शायद खुशी का दौर भी आ जाए एक दिन 'फ़राज़',
ग़म भी तो मिल गए थे तमन्ना किये बग़ैर..!!

मेरे साथ बैठ कर,वक़्त भी रोया एक दिन,
बोला बन्दा तू ठीक है,मैं ही ख़राब चल रहा हूँ.,.!!

आते-आते आयेगा उनको खयाल,
जाते – जाते बेखयाली जायेगी,.,!!

न जाने कौन सी गलियों में छोड़ आया हूँ
चिराग जलते हुए ख्वाब मुस्कुराते हुए,.,!!

दर्द छुने लगे बुलंदियां तो मुस्कराया जाये
अश्क बहने लगे जब आँख से गुनगुनाया जाये ,.!!

ये कह कर सितम-गर ने ज़ुल्फ़ों को झटका
बहुत दिन से दुनिया परेशाँ नहीं है ,.,!!

चेहरे पे मेरे ज़ुल्फ़ को बिखराओ किसी दिन...
क्या रोज़ गरजते हो, बरस जाओ किसी दिन,.!!

ये क्या जगह है दोस्तो ये कौन सा दयार है
हद्द-ए-निगाह तक जहाँ ग़ुबार ही ग़ुबार है,.,!!

दिल की चोटों ने कभी चैन से रहने न दिया
जब चली सर्द हवा मैं ने तुझे याद किया,.,!!

सलीक़े से हवाओं में वो खुश्बू घोल सकते हैं,
अभी कुछ लोग बाक़ी हैं जो उर्दू बोल सकते हैं.,.!!

एक दूकान के आगे लिखा था की उधार एक जादू है,
हम देंगे और आप गायब हो जाओगे......।।

अकेले ही काटना है मुझे जिंदगी का सफर
पल दो पल साथ रहकर मेरी आदत ना खराब करते..!!

दिल की नाज़ुक रगें टूटती हैं
याद इतना भी कोई न आए,.,!!

सबको हम भूल गए जोश-ए-जुनूँ में लेकिन
इक तेरी याद थी ऐसी जो भुलाई न गई,.,!!

किसे ख़बर थी न जाएगी दिल की वीरानी
मैं आईनों में बहुत सज-सजा के बैठ गया,.,!!

हमें माशूक़ को अपना बनाना तक नहीं आता
बनाने वाले आईना बना लेते हैं पत्थर से,.,!!

ज़िन्दगी हो तो कई काम निकल आते है
याद आऊँगा कभी मैं भी ज़रूरत में उसे,.,!!

इस शहर में जीने के अंदाज़ निराले हैं
होंटों पे लतीफ़े हैं आवाज़ में छाले हैं,.,!!

छत की कड़ियों से उतरते हैं मेरे ख़्वाब
मगर मेरी दीवारों से टकरा के बिखर जाते हैं,.,!!

मैं सच कहूंगी मगर फ़िर भी हार जाऊँगी
वो झूठ बोलेगा और लाजवाब कर देगा.,.,!!

रूठ कर आँख के अंदर से निकल जाते हैं
अश्क बच्चों की तरह घर से निकल जाते हैं,.,!!

गुनाह गिन के मैं क्यूँ अपने दिल को छोटा करूँ
सुना है तेरे करम का कोई हिसाब नहीं,.,!!

ख़ुदा से क्या मोहब्बत कर सकेगा
जिसे नफ़रत है उस के आदमी से,.!!

नया इक रिश्ता पैदा क्यूँ करें हम
बिछड़ना है तो झगड़ा क्यूँ करें हम,.,!!

इक रात चाँदनी मिरे बिस्तर पे आई थी
मैं ने तराश कर तिरा चेहरा बना दिया,.,!!

मैं ने उन सब चिड़ियों के पर काट दिए
जिन को अपने अंदर उड़ते देखा था,.,!!

'शुजा' मौत से पहले ज़रूर जी लेना
ये काम भूल न जाना बड़ा ज़रूरी है,.,!!

मिरी ज़बान के मौसम बदलते रहते हैं
मैं आदमी हूँ मिरा ए'तिबार मत करना,.,!!

बात से बात की गहराई चली जाती है
झूट आ जाए तो सच्चाई चली जाती है,.,!!

दोस्तों का क्या है वो तो यूँ भी मिल जाते हैं मुफ़्त
रोज़ इक सच बोल कर दुश्मन कमाने चाहिएँ,.,!!

एक अजीब सी कैफियत है मेरी तेरे बिन,
रह भी लेता हु, और रहा भी नही जाता..!

खूबसूरत था इस कदर कि महसूस ना हुआ… ,
कैसे, कहाँ और कब मेरा बचपन चला गया..

जो तुम्हें हमारे और भी क़रीब लाती है..
मुहब्बत है हमें ऐसी शिकायतों से,.,!!

मैं भी ठहरूँ किसी के होंठों पे
काश कोई मेरे लिए भी दुआ करे,.,!!

सारा बदन अजीब से खुशबु से भर गया
शायद तेरा ख्याल हदों से गुजर गया.,.!!

बाज़ार के रंगों से रंगने की मुझे जरुरत नही,
किसी की याद आते ही ये चेहरा गुलाबी हो जाता है.,.!!

धडकनों को कुछ तो काबू में कर ऐ दिल,
अभी तो पलके झुकाई है, मुस्कुराना बाकी है उनका,.,!!

बहुत कमिया निकालने लगे हैं हम दूसरों में …
आओ एक मुलाक़ात ज़रा आईने से भी कर लें…!!

बेच डाला है दिन का हर लम्हा
रात थोड़ी बहुत हमारी है,.,!!

नए किरदार आते जा रहे हैं
मगर नाटक पुराना चल रहा है,.!!

दिल से निकलेगी न मर कर भी वतन की उल्फ़त
मेरी मिट्टी से भी ख़ुशबू-ए-वफ़ा आएगी,.,!!

नक़्शा उठा के कोई नया शहर ढूँढिए
इस शहर में तो सब से मुलाक़ात हो गई,.,!!

दर्द ही तो था थोड़ा लिख लिया,
थोड़ा कह लिया, तो कभी थोड़ा सह लिया,.,!!

सुलझे-सुलझे बालों वाली लड़की से कोई पूछे तो,
उलझा-उलझा रहने वाला लड़का कैसा लगता है.,.!!

लिखना तो था खुश हु तेरे बग़ैर...
कम्भख्त आंसू क़लम से पहले कागज़ पर गिर पड़े...!!!!

खूबसूरत जिस्म हो या सौ टका ईमान,
बेचने की ठान लो तो हर तरफ बाज़ार है,.,!!

जमाना हो गया देखो मगर,मेरी चाहत नहीं बदली
किसी की जिद नहीं बदली मेरी आदत नहीं बदली,.,!!

हम जुड़े रहते थे आबाद मकानों की तरह
अब ये बातें हमें लगती हैं फ़सानों की तरह,.,!!

गाहे गाहे की मुलाक़ात ही अच्छी है 'अमीर'
क़द्र खो देता है हर रोज़ का आना जाना,.,!!

गलियों की उदासी पूछती है घर का सन्नाटा कहता है
इस शहर का हर रहने वाला क्यूँ दूसरे शहर में रहता है,.,!!

यादो की शाल ओढकर वो आवारा गरदियाँ
कुछ यूँ भी गुजारी है हमने दिसम्बर की सर्दियाँ.,.!!

आज फिर वो ख़फ़ा है..
खैर...कौन सा ये पहली दफा है.,.!!

अरे बददुआये … किसी ओर के लिए रख,
मोहब्बत का मरीज हूँ, खुद ब खुद मर जाऊँगा…!!

रजाईयां नहीं हैं....उनके नसीब में...
गरीब गर्म हौंसले ओढ़कर सो जाते हैं..!!

रात भर महका कमर मेरा मोगरे की ख़ुश्बू से
बहुत दिनों बाद मेरे ख्वाबों में तुम आये थे...!!

ए दिसंबर तू भी मेरे जैसा ही है,
आख़िरी में आता है सबको ख़याल तेरा,.,!!

कौन कहता है वक़्त मरता नहीं
हमने सालों को ख़त्म होते देखा दिसंबर में,.,!!

याद-ए-यार का मौसम और सर्द हवाओं का आलम
ऐ दिल जरा सम्हल के दिसंबर जा रहा है,.,!!

ऐ दिल! चुप हो जा बस बहस ना कर
उसके बिना साल गुजर गया "दिसंबर और गुजर जाने दे,.,!!

काश के कोई मेरा अपना सम्भाल ले मुझको,
बहुत थोड़ा रह गया हूँ में भी दिसंबर की तरह,.,!!

एक और ईंट गिर गई दीवार-ए-जिंदगी से:
नादान कह रहे हैं, नया साल मुबारक हो.,.!!

तेरा चुप रहना मिरे ज़ेहन में क्या बैठ गया
इतनी आवाज़ें तुझे दीं कि गला बैठ गया,.,!!

वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर,
आदत इसकी भी आदमी सी है..!!

ये साल भी उदासियाँ दे कर चला गया
तुमसे मिले बग़ैर दिसम्बर चला गया,.,!!

एक चिनगारी कहीं से ढूँढ लाओ दोस्तों,
इस दिए में तेल से भीगी हुई बाती तो है !!

बस तुम्हें पाने की अब तमन्ना नहीं रही,
मोहब्बत तो आज भी बेशुमार करते हैं...!!!

सुनो ,
हम मर मिटे हैं तुम पर...
आओ वो "क़ुबूल" "क़ुबूल" "क़ुबूल" वाला रिश्ता जोड़ें...!!!

उलझा रही है मुझको,यही कश्मकश आजकल;,
तू आ बसी है मुझमें, या मैं तुझमें कहीं खो गया हूँj.

नक़ाब उठ गया महफिल में तेरे आने से..
हिजाब मिट गया इक नज़्म गुनगुनाने से..
जमाल घुल गया था इस क़दर फ़िज़ाओं में....
शराब बन गया पानी तेरे नहाने से...

रक़ीबों के खंज़र से डर नही लगता अब (रक़ीबों=दुश्मनों)
दिल परेशां है अपनों के गैर हो जाने से

वो बस जाती है फकीरी में अक्सर ,
तहजीब दौलत की मोहताज नहीं होती,.,!!

मुक़द्दर में लिखा कर लाएँ हैं हम दर-बदर फिरना
परिंदे कोई मौसम हो परेशानी में रहते हैं,.,!!

उनकी एक झलक पे ठहर जाती है नज़र....खुदाया
कोई हमसे पुछे...दीवानगी क्या होती है ,.,!!!

हम आह भी करते हैं तो हो जाते हैं बदनाम
वो क़त्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होता,.,!!

उसका काला टीका किसी सुदर्शन चक्र से कम नहीं..
माँ एक उंगली काजल से सारी बलायें टाल देती है..!!

अजीब ज़माना आया हैं वो शख्स खफा सा लगता हैं ,
मैं दिल तो दे दूँ उस को मगर वो बेवफा सा लगता हैं .,.,!!

जब से उस ने शहर को छोड़ा हर रस्ता सुनसान हुआ
अपना क्या है सारे शहर का इक जैसा नुक़सान हुआ,.,!!!

अपने जैसी कोई तस्वीर बनानी थी
मुझे मिरे अंदर से सभी रंग तुम्हारे निकले,.,!!!

ऐ बेख़ुदी ठहर कि बहुत दिन गुज़र गए
मुझको ख़याल-ए-यार कहीं ढूँडता न हो,.,!!

फुर्सत मिले अगर दूसरो से तो समझना मुझे ज़रूर
तुम्हारी उलझनों का मै मुकम्मल इलाज हूँ.,.,!!

एक रात आप ने उम्मीद पे क्या रक्खा है
आज तक हम ने चराग़ों को जला रक्खा है,.,!!

उम्र कैसे कटेगी 'सैफ़' यहाँ
रात कटती नज़र नहीं आती,.,!!

मुझ को ऊँचाई से गिरना भी है मंज़ूर,
अगर उस की पलकों से जो टूटे, वो सितारा हो जाऊँ !

जाने तू क्या ढूँढ रहा है बस्ती में वीराने में
लैला तो ऐ क़ैस मिलेगी दिल के दौलत-ख़ाने में !!!

खत की खुशबू ये बता रही थी ,.,
लिखते हुए उसकी जुल्फें खुली थी ,.,!!

दिल खामोश सा रहता है आज कल
मुझे शक है कहीं मर तो नही गया !!

ग़रीबों पर तो मौसम भी हुक़ूमत करते रहते हैं,
कभी बारिश कभी गर्मी कभी ठंड का क़ब्ज़ा है.,.!!

ख़्वाब की वादियो से निकलता हुआ
चाँद सो कर उठा आँख मलता हुआ,.,!!

फैसला हो जो भी, मंजूर होना चाहिए ,
जंग हो या इश्क, भरपूर होना चाहिए,.,!!

मैं शब्द तुम अर्थ,
तुम बिन मैं व्यर्थ,.,!!!

एक नाम क्या लिखा तेरा साहिल की रेत पर
फिर उम्र भर हवा से मेरी दुश्मनी रही ,.,!!

किताबें भी बिल्कुल मेरी तरह हैं
अल्फ़ाज़ से भरपूर मगर ख़ामोश,.,!!

आज तक उसकी मोहब्बत का नशा जारी है ,.,
फूल बाकी नहीं , खुशबू का सफर जारी है ,.,!!!

ये मोबाइल के आशिक क्या समझें
कैसे रखते थे खत में कलेजा निकाल के ,.,!!

दिल को हम ढूँडते हैं चार तरफ़ और यहाँ आप लिए बैठे हैं ,.,!!.
तबीअत अपनी घबराती है जब सुनसान रातों में
हम ऐसे में तेरी यादों की चादर तान लेते हैं ,.,!!

मैंने ही मैखाने को मैखाना बनाया,
ओर मेरे ही मुक़द्दर में कोई जाम नहीं.,.!!



जिसे मैं ढूँढ रहा था कभी किताबों में,
वो बेनकाब हुआ आकर मेरे ही ख्वाबों में,.,!!



कब ठहरेगा दर्द ऐ दिल कब रात बसर होगी
सुनते थे वो आएँगे सुनते थे सहर होगी,.,!!



सिर्फ़ इतना फ़ासला है ज़िंदगी से मौत का
शाख़ से तोड़े गए गुल-दान में रक्खे रहे,.,!!



दुआ देते हुए तुम को गुज़र जाएँगे दुनिया से,
मिज़ाजों के क़लन्दर हैं हमें दुनिया से क्या लेना,.,!!



उम्र कितनी मंजिलें तय कर चुकी...
दिल जहां ठहरा ठहरा ही रह गया ...!!



देखें क़रीब से भी तो अच्छा दिखाई दे
एक आदमी तो शहर में ऐसा दिखाई दे,.,!!



कुछ ज़माने की रविश ने सख़्त मुझको कर दिया
और कुछ बेदर्द मैं उसको भुलाने से हुआ ,.,!!



कुछ देख रहे हैं दिल-ए-बिस्मिल का तड़पना
कुछ ग़ौर से क़ातिल का हुनर देख रहे हैं !!



आशिक़ी में 'मीर' जैसे ख़्वाब मत देखा करो
बावले हो जाओगे महताब मत देखा करो,.,!!



रोएँगे देख कर सब बिस्तर की हर शिकन को
वो हाल लिख चला हूँ करवट बदल बदल कर,.,!!



फ़ासले ऐसे भी होंगे ये कभी सोचा न था
सामने बैठा था मेरे और वो मेरा न था,.,!!



दिल की बातें दूसरों से मत कहो लुट जाओगे
आज कल इज़हार के धंधे में है घाटा बहुत,.,!!


अगर मै खुद याद ना करू तो तुम पूछते भी नहीं
और बातें यू करते हो जैसे सदियों से तलबगार हो मेरे ,.,!!



जो सपने हमने बोए थे,नीम की ठंडी छाँवों में
कुछ पनघट पर छूट गए,कुछ काग़ज़ की नावों में,.,!!


चाहे जितने इम्तिहान ..आ वक़्त मेरे ले तू
सदा अव्वल आने में माहिर तो हम भी हैं ,.,!!!



बाद मरने के भी उसने छोड़ा न दिल जलाना फ़राज़
रोज़ फ़ेंक जाती है फूल साथ वाली कब्र पर,.,!!



इलाज-ए-दर्द-ए-दिल तुमसे मसीहा हो नहीं सकता
तुम अच्छा कर नहीं सकते, मैं अच्छा हो नहीं सकता,.,!!



दिल में नफ़रत हो तो चेहरे पे भी ले आता हूँ
बस इसी बात से दुश्मन मुझे पहचान गए,.,!!



गिरजा में, मंदिरों में, अज़ानों में बट गया होते ही
सुब्ह आदमी ख़ानों में बट गया ,.,!!



वाकिफ़' तेरी आँखों की तारीफ़ कोई करता ही रहा,
क्या ख़बर उसे, ये आँखें अन्धी हैं, किसी के इश्क़ में..!!



अब उसकी शक्ल भी मुश्किल से याद आती है
वो जिसके नाम से होते न थे जुदा मेरे लब ,.,!!



इश्क़ और तबियत का कोई भरोसा नहीं..
मिजाज़ से दोनों ही दगाबाज़ है, जनाब...!!



मुझे मालूम है मेरा मुक़द्दर तुम नहीं...
लेकिन....
मेरी तक़दीर से छुप कर मेरे इक बार
हो जाओ..!!




सारी दुनिया खामोश,.,
बस तेरी बाहें , तेरा आगोश,.,
तुम_साथ_हो.... मै हूँ मदहोश,
बस दो लब हो...और दोनों बेहोश,.,!!!



जो हैरान है मेरे सब्र पर, उनसे कह दो..
जो आंसू जमीं पर नहीं गिरते, दिल चीर जाते हैं..!!



चुरा के मुट्ठी में दिल को छुपाए बैठे हैं
बहाना ये है कि मेहंदी लगाए बैठे हैं,.,.!!!



मेहंदी लगाए बैठे हैं कुछ इस अदा से वो
मुट्ठी में उनकी दे दे कोई दिल निकाल के,.,!!



फैसला उसने लिखा~कलम मैंने तोड़ दी..!!
आज हमारे प्यार को हाय~फांसी हो गई..!!



मेहँदी लगाने का एक फायदा ये भी हुआ
वो रात भर हमारे बाल समेटते रहे,.,!!!



उसके चेहरे की चमक के सामने सादा लगा
आसमाँ पे चाँद पूरा था, मगर आधा लगा



ऐ जिंदगी..मेरे घर का सीधा सा पता है !
मेरे घर के आगे "मुहब्बत" लिखा है !!



हम अपने-अपने चिरागों पर खूब इतराए,.,
पर उसे ही भूल गए जो हवा चलाता है,.,!!!


एक पल में वहाँ से हम उठे
बैठने में जहाँ ज़माने लगे ,.!!



यारो... कितने सालों के इंतज़ार का सफर खाक हुआ,.
उसने जब पूछा...कहो कैसे आना हुआ,.,!!



अभी अरमान कुछ बाक़ी हैं दिल में
मुझे फिर आज़माया जा रहा है ,.,!!



सारी दुनिया के हैं वो मेरे सिवा
मैंने दुनिया छोड़ दी जिन के लिये,.,!!



कुछ तुम्हारी निगाह काफ़िर थी
कुछ मुझे भी ख़राब होना था ,.,!!



ज़माना हो गया ख़ुद से मुझे लड़ते-झगड़ते
मैं अपने आप से अब सुल्ह करना चाहता हूँ,.,!!



किस तरह जमा कीजिए अब अपने आप को
काग़ज़ बिखर रहे हैं पुरानी किताब के,.,!!


रात फिर अपना जादू चलाने लगी है,
मेरा बर्बाद होना बाकी है अभी शायद,.,!!



ये बेवफाओ का शहर है ग़ालिब
दिल संभाल के रखना
अभी नये आये हो न...!!



हो मुख़ातिब तो कहूँ क्या मर्ज़ है मेरा;
अब तुम ख़त में पूछोगे, तो ख़ैरियत ही कहेंगे..!!



तोड दिये सारे आईने अपने घर के मैने
इश्क मे ठुकराए लोग मुझसे देखे नही जाते,.,!!



वो जो तुमने एक दवा बतलाई थी ग़म के लिए,
ग़म तो ज्यूं का त्यूं रहा बस हम शराबी हो गये !!



कई जवाबों से अच्छी है ख़ामुशी मेरी
न जाने कितने सवालों की आबरू रक्खे,.,!!



ग़ैर को आने न दूँ, तुमको कहीं जाने न दूँ
काश मिल जाए तुम्हारे घर की दरबानी मुझे,.,!!



मेरे हबीब मेरी मुस्कुराहटों पे न जा
ख़ुदा-गवाह मुझे आज भी तेरा ग़म है,.,!!



हमने क्या पा लिया हिंदू या मुसलमां होकर
क्यों न इंसां से मुहब्बत करें इंसां होकर,.,!!



ज़हर देता है कोई, कोई दवा देता है
जो भी मिलता है मेरा दर्द बढ़ा देता है,.,!!



वादे वफा के और चाहत जिस्म की..
अगर ये प्यार है तो हवस किसे कहते है...!!



कर लिया हर ताल्लुक खत्म उस शख्स से
जो निकाल देता है कमी, मेरी हर बात पे,.,!!



जब इत्मीनान से, खंगाला खुद को,
थोड़ा मै मिला , और बहुत सारे तुम,.,!!


ये मुझे चैन क्यूँ नहीं पड़ता
एक ही शख़्स था जहान में क्या,.,!!



बुत-ख़ाना तोड़ डालिए मस्जिद को ढाइए
दिल को न तोड़िए ये ख़ुदा का मक़ाम है,.,!!



जो भी कुछ अच्छा बुरा होना है जल्दी हो जाए
शहर जागे या मिरी नींद ही गहरी हो जाए,.!!


यूँ ही जंग कभी जीती नहीं जा सकती
क़दम अपना मैदान में रखना पड़ता है,.!!



मकतब-ए-इश्क़ का दस्तूर निराला देखा
उस को छुट्टी न मिली जिस को सबक़ याद हुआ,.,!!



नींद तो दर्द के बिस्तर पे भी आ सकती है
उन की आग़ोश में सर हो ये ज़रूरी तो नहीं,.,!!



अब ये आलम है कि मेरी ज़िंदगी के रात दिन
सुब्ह मिलते हैं मुझे अख़बार में लिपटे हुए,.,!!



साए ढलने चराग़ जलने लगे
लोग अपने घरों को चलने लगे,.,!!



हँस के मिलता है मगर काफ़ी थकी लगती हैं
उस की आँखें कई सदियों की जगी लगती हैं,.,!!



देखा है ज़िंदगी को कुछ इतने क़रीब से
चेहरे तमाम लगने लगे हैं अजीब से,.,!!



हर गली कूचे में रोने की सदा मेरी है
शहर में जो भी हुआ है वो ख़ता मेरी है,.,!!



जहाँ रहेगा वहीं रौशनी लुटाएगा
किसी चराग़ का अपना मकाँ नहीं होता,.,!!



मुझे दुश्मनों से भी खुद्दारी की उम्मीद रहती है
सर किसी का भी हो क़दमो में अच्छा नहीं लगता,.,!!



तेरी आंखों में हमने क्या देखा
कभी कातिल कभी खुदा देखा,.,!!



हमें तो उसकी आवाज़ ने ही दीवाना बना दिया था,
खुदगर्ज़ हैं वो लोग जो चेहरा देख के प्यार करते है !!



सुनो माहौल बड़ा ही रंगीन है,आज की शाम का....
मुझमे और फलक में, दोनों में ही मोहब्बत बिखरी हुई है..!!



नींद भी नीलाम हो जाती है बाज़ार-ए- इश्क में,
किसी को भूल कर सो जाना आसान नहीं होता !!



दिल से पूछो तो आज भी तुम मेरे ही हो
ये ओर बात है कि किस्मत दग़ा कर गयी !!



लोग दीवाने हैं बनावट के साहब,
हम अपनी सादग़ी ले के कहां जाएं !!



मिला था एक दिल जो तुमको दे दिया,
हजारों भी होते तो तेरे लिए होते !!

कितना कुछ जानता होगा वो शख्स मेरे बारे में,
मेरे मुस्कुराने पर भी जिसने पूछ लिया की तुम उदास क्यों हो?



जिस्म से होने वाली मुहब्बत का इज़हार आसान होता है,
रुह से हुई मुहब्बत को समझाने में ज़िन्दगी गुज़र जाती है !!



तजुर्बे ने एक ही बात सिखाई है ,
नया दर्द ही पुराने दर्द की दवाई है !!



एक चाहने वाला ऐसा हो,
जो बिलकुल मेरे जैसा हो !!


लूट लेते हैं अपने ही, वरना गैरों को क्या पता
इस दिल की दीवार कमजोर कहाँ से है !!



मुझको मालुम था कि मेरी कमी तुझको महसुस होगी,
युं ही नही था महफिल में तेरा बार बार नजरें घुमाना,.,!!



लगता है गुजर जायेगा ये मौसम भी मोह्हबत का...
मुझको तोहफे में तन्हाईयां देकर..!!



किसी को अपने अमल का हिसाब क्या देते
सवाल सारे ग़लत थे जवाब क्या देते,.,!!



लफ्ज़-ए-तसल्ली तो इक तक़ल्लुफ़ है साहिब,
जिसका दर्द, उसी का दर्द; बाक़ी सब तमाशाई,.!!



ये और बात कि आँधी हमारे बस में नहीं
मगर चराग़ जलाना तो इख़्तियार में है,.,!!



एक दिन दोनों ने अपनी हार मानी एक साथ
एक दिन जिससे झगड़ते थे उसी के हो गए,.,!!



उन दिनों घर से अजब रिश्ता था,
सारे दरवाज़े गले लगते थे,.,!!



ख़्वाबों से न जाओ कि अभी रात बहुत है
पहलू में तुम आओ कि अभी रात बहुत है,.,!!



मुझ को समझ न पाई मेरी ज़िंदगी कभी
आसानियाँ मुझी से थीं मुश्किल भी मैं ही था,.,!!



आशिक़ समझ रहे हैं मुझे दिल लगी से आप
वाक़िफ़ नहीं अभी मेरे दिल की लगी से आप,.,!!



शहर में ओले पड़े हैं सर सलामत है कहाँ
इस क़दर है तेज़ आँधी घर सलामत है कहाँ,.,!!



रात को जीत तो पाता नहीं लेकिन ये चराग़
कम से कम रात का नुक़सान बहुत करता है,.,!!



माँ ने दूध में ज़रा सा पानी मिलाया था...
बच्चे दो थे...हिसाब लगाया था,.,!!



कुछ मजबूरियाँ भी बना देती हैं मजदूर,
मुफलिसी देखती नहीं उम्र किसी की!!



चीख उठे जब ख़ामुशी ,हिलने लगे पहाड़ !
सुनी नहीं है आपने ,चुप की कभी दहाड़ !!



सरहद से आया नहीं , होली पे क्यूँ लाल !
माँ की आँखें रंग से , करती रही सवाल !!

जाने कितने झूले थे फाँसी पर,कितनो ने गोली खाई थी. 🙏
क्यो झूठ बोलते हो साहब, कि चरखे से आजादी आई थी.



इस दुनिया ने मेरी वफ़ा का कितना ऊँचा मोल दिया,,
बातों के तेजाब में सदैव, मेरे मन का अमृत घोल दिया,,,!!




जिसे पूजा था हमने वो तो ख़ुदा ना हो सका,
हम ही इबादत करते करते फ़क़ीर हो गये.,.,!!



मंदिरों में आप ,मनचाहे भजन गाया करें,
मयकदा है ये यहाँ तहज़ीब से आया करें,.,!!!



औरतें काम पे निकली थीं बदन घर रख कर ~
जिस्म ख़ाली जो नज़र आए तो मर्द आ बैठे..!!



आँख खोली तो दूरियाँ थीं बहुत
आँख मीची तो फ़ासला न रहा,.,!!



सुलगती प्यास ने कर ली है मोर्चा-बंदी
इसी ख़ता पे समुंदर ख़िलाफ़ रहता है,.,!!



बस अंधेरे ने रंग बदला है
दिन नहीं है सफ़ेद रात है ये,.,!!



तुम समुंदर की रिफ़ाक़त पे भरोसा न करो
तिश्नगी लब पे सजाए हुए मर जाओगे,.,!!



वो कह कर चले गए कि- कल से भूल जाना हमें,
हमने भी सदियों से आज को रोक रख्खा है!!



दो निवालों के लिए दोहरे हुए बदन,.,
उफ़ ! मंज़र ये और देखा तो ज़हर खाना पड़ेगा,.,!!



अब तक शिकायतें हैं दिल-ए-बद-नसीब से
एक दिन किसी को देख लिया था क़रीब से,.,!!



मैं बदलते हुए हालात में ढल जाता हूँ
देखने वाले अदाकार समझते हैं मुझे ,.,!!



झूठ पर कुछ लगाम है कि नहीं
सच का कोई मक़ाम है कि नहीं
आ रहे हैं बहुत से 'पंडित' भी
जाम का इन्तज़ाम है कि नहीं,.,!!!



बदल देना है रस्ता या कहीं पर बैठ जाना है ...
कि थकता जा रहा है हम-सफ़र आहिस्ता आहिस्ता,.,!!



तुम यूँ ही नाराज़ हुए हो वर्ना मय-ख़ाने का पता
हम ने हर उस शख़्स से पूछा जिस के नैन नशीले थे,.,!!


वो ज़ख्म जो इलाज की हद से गुजर गये,
तेरी नजर के एक इशारे से भर गये,.,!!



है मेरे सामने तेरा किताब सा चेहरा
और इस किताब के औराक़ उलट रहा हूँ मैं,.,!!



तुम्हारी याद के जब जख्म भरने लगते है
किसी बहाने तुमको याद करने लगते हैं,.,!!



इक अमीर शख़्स ने हाथ जोड़ के पूछा एक ग़रीब से
कहीं नींद हो तो बता मुझे कहीं ख़्वाब हों तो उधार दे.,.,!!

नतीजा एक सा निकला दिमाग और दिल का
कि दोनों हार गए तुम्हारे इश्क में.,.!!



डायरी के आखिर में नाम लिखा जो तुम्हारा
सभी पन्नो में कानाफूसी शुरू हो गयी !!


तारीखों मे बँध गया है अब इजहार-ए-मोहब्बत भी..
रोज़ प्यार जताने की अब किसी को फुरसत कहाँ..!!



जख्मों के बावजूद मेरा हौसला तो देख,
तुम हँसे तो मैं भी तेरे साथ हँस दी...!!



पता नही कब जाएगी तेरी लापरवाही की आदत....
पागल कुछ तो सम्भाल कर रखती मुझे भी खो दिया....!!



अपनी आँखों से निचोड़ूँगा किसी रोज़ उसे
करता रहता है बहुत मुझ से किनारा पानी,.,!!!



ये मुझे चैन क्यूँ नहीं पड़ता
एक ही शख्स था जहाँ मे क्या..!!



नींद आए या ना आए, चिराग बुझा दिया करो,
यूँ रात भर किसी का जलना, हमसे देखा नहीं जाता....!!



देखने वाला कोई मिले तो दिल के दाग़ दिखाऊँ
ये नगरी अँधों की नगरी किस को क्या समझाऊँ,.,!!



खाली-सा पिंजरा लिए फिरता है...
एक नन्हा-सा परिंदा सड़कों पर!!



वो गली हमसे छूटती ही नहीं
क्या करें आस टूटती ही नहीं ,.,!!



एक परिंदा रोज टकराता है मेरे घर के
खिडकियों के शीशों से
जरूर इस इमारत की जगह कोई दरख्त रहा होगा !!



तुम भीगने का वादा तो करो जान...
बारिश मैं लेकर आऊंगा,.,!!




कुछ न था मेरे पास खोने को
तुम मिले हो तो डर गया हूँ मैं,.,!!!




बड़ी अारजू थी महबूब को बे नक़ाब देखने की
दुपट्टा जो सरका तो ज़ुल्फ़ें दीवार बन गयी,.,!!




मुझे इतना भी मत घुमा ए जिंदगी
मै शहर का शायर हूँ MRF का टायर नही,.,!!



यार भी राह की दीवार समझते हैं मुझे
मैं समझता था मेरे यार समझते हैं मुझे,.,!!



दरवाजें बड़े करवाने है। मुझे अपने आशियाने के,.,
क्योकि कुछ दोस्तो का कद बड़ा हो गया है चार पैसे कमाने से,.,!!



धूप में कौन किसे याद किया करता है
पर तेरे शहर में बरसात तो होती होगी ,.,!!



आइना देख के कहते हैं संवरने वाले
आज बे-मौत मरेंगे मेरे मरने वाले,.,!!


जो गुज़ारी न जा सकी हम से
हम ने वो ज़िंदगी गुज़ारी है,.,!!


मेरी बाँहों में बहकने की सज़ा भी सुन ले
अब बहुत देर में आज़ाद करूँगा तुझ को,.,!!



सब से पहले दिल के ख़ाली-पन को भरना
पैसा सारी उम्र कमाया जा सकता है,.,!!

बहाना कोई तो दे ऐ जिंदगी ,.,
के जीने के लिए मजबूर हो जाऊं ,.,!!

सहमा सहमा डरा सा रहता है
जाने क्यूँ जी भरा सा रहता है,.,!!

पूछा जो हुस्न क्या है जवानी क्या चीज़ है,
हर- शख्स -की ज़ुबाँ पे तेरा नाम आ गया,.,!!

उसे सोने की ज़ंजीरों से बँधना अच्छा लगता है,
मेरी चाहत के धागों से कहाँ वो शख्स बँधता है,.,!!

मुस्कुराई तो लब उसके ऐसे दिखे,
बाग़ में कोई गुलाब खिल गया जैसे.,!!

सारी दुनिया के हैं वो मेरे सिवा
मैं ने दुनिया छोड़ दी जिन के लिए,.,!!

छोड़ आया हूँ पीछे सब आवाज़ों को
ख़ामोशी में दाख़िल होने वाला हूँ,.,!!

न हार अपनी न अपनी जीत होगी
मगर सिक्का उछाला जा रहा है,.,!!

बे-ज़ार हो चुके हैं बहुत दिल-लगी से हम
बस हो तो उम्र भर न मिलें अब किसी से हम,.,!!

हम पशु में भी भगवान देख लेते हैं।
वो इंसान को भी काफ़िर कह क़त्ल कर देते हैं,.,!!





एक दिल होता तो एक बार टूटता ग़ालिब..
तुम तो सीने में हज़ार दिल लिये फिरते हो,.,!!





जिस नज़र से हुयी थी हमको मोहब्बत
आज भी उस नज़र को तलाशते फिरते हैं,.,!!





बैठे बैठे दिमाग में ख्याल आया
मैं मर-मरा जाऊँगा तो आप सबको पता कैसे चलेगा ?





ये जब्र भी देखा है तारीख़ की नज़रों ने

लम्हों ने ख़ता की थी सदियों ने सज़ा पाई,.!!

हम पे इलजाम ऐसे भी है वैसे भी,
हम तो बदनाम ऐसे भी हैं वैसे भी..!!



आप अगर सत्य का साथ नहीं दे सकते,
तो फिर आप किसी का भी साथ नहीं दे सकते...!!




लोग तेरा जुर्म देखेंगे, सबब देखेगा कौन?
यहाँ सब प्यासे हैं, तेरे खुश्क लब देखेगा कौन?



रंग लाती हो कहाँ से, ये बता दो, तितलियों
ज़िन्दगी में हम भी, कुछ अब ,रंग तो भरते चलें !!




माना कि औरों के जितना पाया नहीं,
पर खुश हूँ कि स्वयं को गिरा कर कुछ उठाया नहीं,.,!!



ना जाने केसे इम्तिहान ले रही है ज़िन्दगी आजकल
मुक़दर ️मोहब्बत ओर दोस्त..तीनों नाराज़ रहते है,.,!!



आजकल बादलों के भी, ना जाने कौन से ख्वाब टूटे हैं
कम्बख्त सारा दिन बरसते रहते हैं, उसी के शहर में,.,!!




शाम-ए-फ़िराक़ अब न पूछ आई और आ के टल गई
दिल था कि फिर बहल गया जाँ थी कि फिर सँभल गई,.,!!




दिल मुझे उस गली में ले जा कर
और भी ख़ाक में मिला लाया,.,!!




तुम भूल कर भी याद नहीं करते हो कभी
हम तो तुम्हारी याद में सब कुछ भुला चुके



फिर उस ने छेड़ दी हैं ऐसी कुछ दिलचस्प बातें
हम अपने मसअले को भूल कर बैठे हुए हैं,.,!!



ये और बात कि बाज़ी इसी के हाथ रही
वगर्ना फ़र्क़ तो ले दे के एक चाल का था,.,!!



करता ही जाऊँ अनसुनी अपने ज़मीर की..
इतना भी तुझपे जिन्दगी, मरता नहीं हूँ मैं !!



जब तक है डोर हाथ में तब तक का खेल है
देखी तो होंगी तुम ने पतंगें कटी हुई,.,!!



मुझसे ना माँगिए मशवरे मंदिर और मस्जिद के मसलो पर

मै इंसान हु साहब खुद किराए के घर मे रहता हू।





एक पुराना सुखा गुलदस्ता पड़ा है अब भी कोने में,
कौन कहता है की घरो में
कब्रिस्तान नहीं होते...





वो मुझे छोड़ के इक शाम ही गए थे ,,,‘
’ज़िंदगी अपनी उसी शाम से आगे न बढी,,..





ख़ंजर पे कोई दाग न दामन पे कोई छींट ?
तुम क़त्ल करते हो ! के करामात करते हो





हटाओ आईना उम्मीदवार हम भी हैं
तुम्हारे देखने वालों में यार हम भी हैं,.,!!





इलाज ये है कि मजबूर कर दिया जाऊँ
वगरना यूँ तो किसी की नहीं सुनी मैं ने,.,!!

न मंज़िलों को न हम रहगुज़र को देखते हैं
अजब सफ़र है कि बस हम-सफ़र को देखते हैं,.!!



मेरे सुर्ख़ लहू से चमकी कितने हाथों में मेहंदी
शहर में जिस दिन क़त्ल हुआ मैं ईद मनाई लोगों ने...!!



ज़िंदगी तुझ से हर इक साँस पे समझौता करूँ
शौक़ जीने का है मुझ को मगर इतना भी नहीं,.,!!


और क्या देखने को बाक़ी है
आप से दिल लगा के देख लिया...!!



आँखों में छलकते हैं आँसू दिल चुपके चुपके रोता है
वो बात हमारे बस की न थी जिस बात की हिम्मत कर बैठे,.,!!



हर एक शख़्स भटकता है तेरे शहर में यूँ
किसी की जेब में जैसे तेरा पता ही न हो,.,!!



ज़िंदगी ज़िंदा-दिली का है नाम
मुर्दा-दिल ख़ाक जिया करते हैं,.,!!!



कभी खोले तो कभी ज़ुल्फ़ को बिखराए है
ज़िंदगी शाम है और शाम ढली जाए है,.,!!



बिखरा दी वहीं ज़ुल्फ़ ज़रा रुख़ से जो सरकी
क्या रात ढले रात वो ढलने नहीं देते,.,!!



तुम ने किया न याद कभी भूल कर हमें
हम ने तुम्हारी याद में सब कुछ भुला दिया,.!!



रुकावटें तो ज़िन्दा इन्सान के हिस्से में ही आती हैं;
अर्थी के लिए तो सब रास्ता छोड़ देते हैं,.,!!



फुर्सत नहीं देती ये जिंदगी …….
चंद लम्हों में दर्द समेटे बैठे हैं,.,!!



एक होने नहीं देती है सियासत लेकिन
हम भी दीवार प दीवार उठाए हुए हैं,.,!!



या तो मिट्टी के घर बनाओ मत
या घटाओं से खौफ़ खाओ मत,.,!!



गरीबी इतनी कि i phone है हाथों में..
अमीरी इतनी के आलू सही लगाओ..!!



अक्सर भूल भी जाता हूँ मैं तुझे.. शाम की चाय में.. चीनी की तरह..
फिर ज़िन्दगी का फीकापन.. तेरी कमी का एहसास दिला देता है,.,!!



परवाह नही चाहे जमाना, कितना भी खिलाफ हो...
चलूगां उसी राह पर , जो सीधा और साफ हो..
और ठेका थोड़ा पास हो,.,!!



चोरी न करें झूठ न बोलें तो क्या करें,
चूल्हे पे क्या उसूल पकाएंगे शाम को,.,?



मैं तो बस ख़ुद्दार था , वो समझा मग़रूर
कारण था निकला नहीं,मुख से शब्द हुजूर,.,!!



रहने दो कि अब तुम भी मुझे पढ़ न सकोगे
बरसात में काग़ज़ की तरह भीग गया हूँ,.,!!



हावी जब होने लगें ,दिल पर कुछ जज्बात ।
तुरत पकड़ प्रिय को किसी, कह दो मन की बात ,.,!!



दुनिया के सितम याद न अपनी ही वफ़ा याद
अब मुझ को नहीं कुछ भी मोहब्बत के सिवा याद,.,!!



नफ़रतों की जंग में देखो तो क्या क्या हो गया
सब्ज़ियाँ हिन्दू हुईं बकरा मुसलमाँ हो गया,.,!!



कोई टोपी तो कोई अपनी पगङी बेच देता है,
मिले अगर भाव अच्छा, जज भी अपनी कुर्सी बेच देता है,
तवायफ फिर भी अच्छी, कि वो सीमित है कोठे तक,
पुलिस वाला तो चौराहे पर, वर्दी बेच देता है,.,!!!




चला तो मेरे साथ चले थे काफिले
लगा जो काँटा तो अकेला ही रुका मैं ,.,!!




बड़े खुश थे वो, मैने कमियाँ दुसरो की गिनाई तब तक
बारी उनकी आई तो बुरा मान गए ...!!



ये बिगाड़ देती है, ये संवार देती है..
सौबत जरा सोच समझकर किया किजै..!!



मुझे गिराने में ताक़त लगाई है जितनी
तू उस से कम में मुझे पीछे छोड़ सकता था,.,!!




जरूरते ले जाता है दफ्तर में..
और खुशियां घर लाता है..
वो पिता होने के बाद..
खुद के लिए कहाँ जीता है..!!



अजब ये ज़िंदगी की क़ैद है दुनिया का हर इंसाँ
रिहाई माँगता है और रिहा होने से डरता है,.,!!



पलकों तक जमी हुई आँखों में काई अब कौन रखता है,
तक़दीर जिससे लिखी गई वो स्याही अब कौन रखता है,.,!!



मजबूरियाँ हैं कुछ मेरी मैं बेवफा नहीँ,
सुन यह वक्त बेवफा है मेंरी खता नही,.,!!



तुम छत पे नहीं आये मैं घर से नहीं निकला
ये चाँद बहुत भटका सावन की घटाओं में...!!!



ख़ुद को बिखरते देखते हैं कुछ कर नहीं पाते हैं
फिर भी लोग ख़ुदाओं जैसी बातें करते हैं,.,!!




मेरे होने में किसी तौर से शामिल हो जाओ
तुम मसीहा नहीं होते हो तो क़ातिल हो जाओ,.,!!




माह-ए-नौ देखने तुम छत पे न जाना हरगिज़
शहर में ईद की तारीख़ बदल जाएगी,.,!!



मुमकिन है सफ़र हो आसाँ अब साथ भी चल कर देखें
कुछ तुम भी बदल कर देखो, कुछ हम भी बदल कर देखें,.,!!



बादलों से छूटकर ,,,
बुँदे मेरे आँगन में नाचने आई है ,,❤❤



अब जिसके जी में आए वही पाए रौशनी
हमने तो दिल जला के सर-ए-आम रख दिया,.,!!



जितना कम सामान रहेगा, उतना सफ़र आसान रहेगा
जब तक भारी बक्सा होगा, तब तक तू हैरान रहेगा..!!



या तो मिट्टी के घर बनाओ मत
या घटाओं से खौफ़ खाओ मत !!



मन्दिर , मस्जिद जुबा जुबा पर,और युग बीत गई सारी
न कॊई नमाजी ही बन पाया,और न ही बना कॊई पुजारी,.,!!



बहुत कोशिश की आज 'सिर्फ' बारिश पर शायरी लिखु
पर हर बौछार 'सिर्फ' तुम्हारी याद बरसा रही थी ,.,!!



मोहब्बत में जबरदस्ती अच्छी नहीं होती,
तुम्हारा जब भी दिल चाहे मेरे हो जाना..!!!



बडी लंबी गूफ्तगू करनी है मुझको तुम से ,
तुम आना...मेरे पास
एक पूरी ज़िंदगी लेकर....!!



अब घर भी नहीं घर की तमन्ना भी नहीं है
मुद्दत हुई सोचा था कि घर जाएँगे इक दिन,.,!!



अब न वो शोर न वो शोर मचाने वाले
ख़ाक से बैठ गए ख़ाक उड़ाने वाले,.,!!




कितने उलझे, कितने सीधे ..
रस्ते, उन के रंग-महल के .,.!!



मैं तेरा कुछ भी नहीं हूँ मगर इतना तो बता
देख कर मुझको तेरे ज़ेहन में आता क्या है,.,!!



पड़ोसी, पड़ोसी से बेखबर होने लगा है
बधाई हो ! अब ये गाँव शहर होने लगा है,.,!!



ख़ुदगर्ज़ी छुपी रहती है इश्क़ के हर जज़्बात में-
मालूम है मुझे, जँचती हु मैं बस तुम्हारे साथ में,.,!!



मुझ को तो होश नहीं तुम को ख़बर हो शायद
लोग कहते हैं कि तुम ने मुझे बर्बाद किया,.,!!



इस से बेहतर जवाब क्या होगा
खो गया वो मिरे सवालों में,.,!!



तेरे होंठो में भी क्या खूब नशा है ,.,
लगता है तेरे जूठे पानी से ही शराब बनती है ,.,!!


कुछ न था मेरे पास खोने को
तुम मिले हो तो डर गया हूँ मैं,.,!!

तितलियाँ उड गईं लौटा के मुहब्बत मेरी,
मैं ने भी छोड दिया रंगों को सादा कर के !!

रफ़्ता रफ़्ता धड़कनों से रूह का नाता छूटा हैं,
इस खामोश मोहब्बत में दिल बड़े शोर से टूटा हैं,.,!!

कोशिश बहुत की के राज़-ए-मोहब्बत बयाँ न हो
पर मुमकिन कहां है के आग लगे और धुआँ न हो,.,!!

बस एक ही ख्वाब देखा है कई बार मैंने ,.,
तेरी साड़ी में उलझी हैं चाभियां मेरे घर की ,.,!!

इश्क़ उदासी के पैग़ाम तो लाता रहता है दिन रात
लेकिन हम को ख़ुश रहने की आदत बहुत ज़ियादा है,.,!!

इश्क़ था और अक़ीदत से मिला करते थे
पहले हम लोग मोहब्बत से मिला करते थे,.,!!

मेरे दिल की परेशानी भला क्यों कम नहीं होती,
भरा है दिल मेरा गम से,ये आंखे नम नहीं होती...!!!

क्या ग़लत है जो मैं दीवाना हुआ, सच कहना
मेरे महबूब को तुम ने भी अगर देखा है,.!!

तन्हाई में भी कहते है लोग, जरा महफ़िल में जिया करो
पैमाना लेके बिठा देते है मैखाने में, और कहते है जरा तुम कम पिया करो..!!

छटा चांदनी बिखरे थी, निखरा था महताब।
घडी मिलन की बेला पर, आफताब बेताब

उनके नयनों में मेरे ख्वाबों का पलना बाकी है,
मेरे प्रेम का दीपक उनके दिल में जलना बाकी है.,.!!

रुकने दो मुझको थोडा तुम कुछ पल राहे तकने दो,
इन गलियों में अब तक मेरा चाँद निकालना बाकी है,.,!!

जख्म गरीब का कभी सूख नहीं पाया,
शहजादी की खरोंच पे तमाम हकीम आ गए,.,!!

और अब हादसे भी हैरान हैं गुजर कर मुझसे ।
मैं उजड़ने के बाद भी बसा हुआ लगता हूँ ।।

पूछा हाल शहर का तो,सर झुका के बोले,
लोग तो जिंदा हैं,जमीरों का पता नही,.,!!

हम किसी और को दे सकने के काबिल क्या हैं
हाँ, कोई चाहे तो जीने की अदा ले जाए..!!

बेगुनाह कोई नहीं,
सबके राज़ होते हैं...
किसी के छुप जाते हैं,
किसी के छप जाते हैं...!!

अज़ीज़ इतना ही रक्खो कि जी सँभल जाए
अब इस क़दर भी न चाहो कि दम निकल जाए,.,!!

वो जो मरने पे तुला है 'अख़्तर'
उस ने जी कर भी तो देखा होगा,.,!!

कैसा लगता है तुमको पनाहों में आकर
नैना कुछ बोल रहे हैं निगाहों में आकर,
क्या रंग डालूँ तुम पर जब तुम
वैसे ही गुलाबी हो गयी बाहों में आकर,.,!!


हमें पसंद नहीं जंग में भी मक्कारी
जिसे निशाने पे रक्खें बता के रखते हैं,.,!!

ज़िंदगी दी हिसाब से उस ने
और ग़म बे-हिसाब लिक्खा है,.,!!

जो सुनना चाहो तो बोल उट्ठेंगे अँधेरे भी
न सुनना चाहो तो दिल की सदा सुनाई न दे,.,!!

कैसे मंज़र सामने आने लगे हैं
गाते गाते लोग चिल्लाने लगे हैं.,,!!



टूटे हुए सपनो और छुटे हुए अपनों ने मार दिया,.,
वरना ख़ुशी खुद हमसे मुस्कुराना सीखने आया करती थी,.,!!



मैं क्यूँ कुछ सोच कर दिल छोटा करूँ...
वो उतनी ही कर सकी वफ़ा जितनी उसकी औकात थी...!!



मेरे दिल❤️से खेल तो रहे हो तुम पर..
जरा सम्भल के...
ये थोडा टूटा हुआ है कहीं तुम्हे ही लग ना जाए..!!



समय बहाकर ले जाता है, नाम और निशां,
लेकिन कोई "हम " में रह जाता है, तो कोई "अहम् " में,.,!!



अगर किसी रानी को राजा ना मिल रहा हो...
तो बता दु बचपन में माँ मुझे राजा बेटा बुलाती थी,.,!!



मेरी बाँहों में बहकने की सज़ा भी सुन ले
अब बहुत देर में आज़ाद करूँगा तुझ को,.,!!



हद है अपनी तरफ़ नहीं मैं भी
और उन की तरफ़ ख़ुदाई है,.,!!



मैं कब तन्हा हुआ था याद होगा
तुम्हारा फ़ैसला था याद होगा,.,!!



ले मेरे तजरबों से सबक़ ऐ मिरे रक़ीब
दो-चार साल उम्र में तुझ से बड़ा हूँ मैं,.,!!



इश्क़ में भी कोई अंजाम हुआ करता है
इश्क़ में याद है आग़ाज़ ही आग़ाज़ मुझे ,.,!!



बड़े लोगों से मिलने में हमेशा फ़ासला रखना
जहाँ दरिया समुंदर से मिला दरिया नहीं रहता,.,!!



कुछ इस तरह झटकायी उसने अपनी गीली जुल्फें ,.,
की आज सारे शहर में बारिश का मौशम छा गया ,.,!!



नाज़ुकी उस के लब की क्या कहिए
पंखुड़ी इक गुलाब की सी है...!!

पीछे बंधे हैं हाथ मगर शर्त है सफ़र
किस से कहें कि पांव का कांटा निकाल दे ,.,!!



है अजीब शहर की ज़िंदगी न सफ़र रहा न क़याम है
कहीं कारोबार सी दोपहर कहीं बद-मिज़ाज सी शाम है,.,!!



तेरी आँखों से एक चीज लाजवाब पीता हूँ ,.,
मैं गरीब जरूर हूँ मगर सबसे महंगी शराब पीता हूँ ,.,!!


सामने आइना रखती तो गश आ जाता ,.,
तुमने अंदाज नहीं देखा अपनी अदा का ,.,!!


बाग़ में टहलते हुए एक दिन जब वो बेनक़ाब हो गए ,.,
जितने पेड़ थे बबूल के सब के सब गुलाब हो गए ,.,!!


कुछ न था मेरे पास खोने को
तुम मिले हो तो डर गया हूँ मैं,.,!!



तितलियाँ उड गईं लौटा के मुहब्बत मेरी,
मैं ने भी छोड दिया रंगों को सादा कर के !!



रफ़्ता रफ़्ता धड़कनों से रूह का नाता छूटा हैं,
इस खामोश मोहब्बत में दिल बड़े शोर से टूटा हैं,.,!!



कोशिश बहुत की के राज़-ए-मोहब्बत बयाँ न हो
पर मुमकिन कहां है के आग लगे और धुआँ न हो,.,!!



बस एक ही ख्वाब देखा है कई बार मैंने ,.,
तेरी साड़ी में उलझी हैं चाभियां मेरे घर की ,.,!!



इश्क़ उदासी के पैग़ाम तो लाता रहता है दिन रात
लेकिन हम को ख़ुश रहने की आदत बहुत ज़ियादा है,.,!!



इश्क़ था और अक़ीदत से मिला करते थे
पहले हम लोग मोहब्बत से मिला करते थे,.,!!




मेरे दिल की परेशानी भला क्यों कम नहीं होती,
भरा है दिल मेरा गम से,ये आंखे नम नहीं होती...!!!



क्या ग़लत है जो मैं दीवाना हुआ, सच कहना
मेरे महबूब को तुम ने भी अगर देखा है,.!!



तन्हाई में भी कहते है लोग, जरा महफ़िल में जिया करो
पैमाना लेके बिठा देते है मैखाने में, और कहते है जरा तुम कम पिया करो.!!



छटा चांदनी बिखरे थी, निखरा था महताब।
घडी मिलन की बेला पर, आफताब बेताब



उनके नयनों में मेरे ख्वाबों का पलना बाकी है,
मेरे प्रेम का दीपक उनके दिल में जलना बाकी है.,.!!

रुकने दो मुझको थोडा तुम कुछ पल राहे तकने दो,
इन गलियों में अब तक मेरा चाँद निकालना बाकी है,.,!!



जख्म गरीब का कभी सूख नहीं पाया,
शहजादी की खरोंच पे तमाम हकीम आ गए,.,!!



और अब हादसे भी हैरान हैं गुजर कर मुझसे ।
मैं उजड़ने के बाद भी बसा हुआ लगता हूँ ।।



पूछा हाल शहर का तो,सर झुका के बोले,
लोग तो जिंदा हैं,जमीरों का पता नही,.,!!



हम किसी और को दे सकने के काबिल क्या हैं
हाँ, कोई चाहे तो जीने की अदा ले जाए..!!



बेगुनाह कोई नहीं,
सबके राज़ होते हैं...
किसी के छुप जाते हैं,
किसी के छप जाते हैं...!!



अज़ीज़ इतना ही रक्खो कि जी सँभल जाए
अब इस क़दर भी न चाहो कि दम निकल जाए,.,!!



वो जो मरने पे तुला है 'अख़्तर'
उस ने जी कर भी तो देखा होगा,.,!!



न मंज़िलों को न हम रहगुज़र को देखते हैं
अजब सफ़र है कि बस हम-सफ़र को देखते हैं,.!!



मेरे सुर्ख़ लहू से चमकी कितने हाथों में मेहंदी
शहर में जिस दिन क़त्ल हुआ मैं ईद मनाई लोगों ने...!!



ज़िंदगी तुझ से हर इक साँस पे समझौता करूँ
शौक़ जीने का है मुझ को मगर इतना भी नहीं,.,!!



और क्या देखने को बाक़ी है
आप से दिल लगा के देख लिया...!!



आँखों में छलकते हैं आँसू दिल चुपके चुपके रोता है
वो बात हमारे बस की न थी जिस बात की हिम्मत कर बैठे,.,!!



हर एक शख़्स भटकता है तेरे शहर में यूँ
किसी की जेब में जैसे तेरा पता ही न हो,.,!!



ज़िंदगी ज़िंदा-दिली का है नाम
मुर्दा-दिल ख़ाक जिया करते हैं,.,!!!



कभी खोले तो कभी ज़ुल्फ़ को बिखराए है
ज़िंदगी शाम है और शाम ढली जाए है,.,!!



बिखरा दी वहीं ज़ुल्फ़ ज़रा रुख़ से जो सरकी
क्या रात ढले रात वो ढलने नहीं देते,.,!!



तुम ने किया न याद कभी भूल कर हमें
हम ने तुम्हारी याद में सब कुछ भुला दिया,.!!



रुकावटें तो ज़िन्दा इन्सान के हिस्से में ही आती हैं;
अर्थी के लिए तो सब रास्ता छोड़ देते हैं,.,!!



फुर्सत नहीं देती ये जिंदगी …….
चंद लम्हों में दर्द समेटे बैठे हैं,.,!!



एक होने नहीं देती है सियासत लेकिन
हम भी दीवार प दीवार उठाए हुए हैं,.,!!



या तो मिट्टी के घर बनाओ मत
या घटाओं से खौफ़ खाओ मत,.,!!



गरीबी इतनी कि i phone है हाथों में..
अमीरी इतनी के आलू सही लगाओ..!!



अक्सर भूल भी जाता हूँ मैं तुझे.. शाम की चाय में.. चीनी की तरह..
फिर ज़िन्दगी का फीकापन.. तेरी कमी का एहसास दिला देता है,.,!!



परवाह नही चाहे जमाना, कितना भी खिलाफ हो...
चलूगां उसी राह पर , जो सीधा और साफ हो..
और ठेका थोड़ा पास हो,.,!!



चोरी न करें झूठ न बोलें तो क्या करें,
चूल्हे पे क्या उसूल पकाएंगे शाम को,.,?



मैं तो बस ख़ुद्दार था , वो समझा मग़रूर
कारण था निकला नहीं,मुख से शब्द हुजूर,.,!!



रहने दो कि अब तुम भी मुझे पढ़ न सकोगे
बरसात में काग़ज़ की तरह भीग गया हूँ,.,!!



हावी जब होने लगें ,दिल पर कुछ जज्बात ।
तुरत पकड़ प्रिय को किसी, कह दो मन की बात ,.,!!



दुनिया के सितम याद न अपनी ही वफ़ा याद
अब मुझ को नहीं कुछ भी मोहब्बत के सिवा याद,.,!!



नफ़रतों की जंग में देखो तो क्या क्या हो गया
सब्ज़ियाँ हिन्दू हुईं बकरा मुसलमाँ हो गया,.,!!



कोई टोपी तो कोई अपनी पगङी बेच देता है,
मिले अगर भाव अच्छा, जज भी अपनी कुर्सी बेच देता है,
तवायफ फिर भी अच्छी, कि वो सीमित है कोठे तक,
पुलिस वाला तो चौराहे पर, वर्दी बेच देता है,.,!!!




चला तो मेरे साथ चले थे काफिले
लगा जो काँटा तो अकेला ही रुका मैं ,.,!!




बड़े खुश थे वो, मैने कमियाँ दुसरो की गिनाई तब तक
बारी उनकी आई तो बुरा मान गए ...!!



ये बिगाड़ देती है, ये संवार देती है..
सौबत जरा सोच समझकर किया किजै..!!



मुझे गिराने में ताक़त लगाई है जितनी
तू उस से कम में मुझे पीछे छोड़ सकता था,.,!!




जरूरते ले जाता है दफ्तर में..
और खुशियां घर लाता है..
वो पिता होने के बाद..
खुद के लिए कहाँ जीता है..!!



अजब ये ज़िंदगी की क़ैद है दुनिया का हर इंसाँ
रिहाई माँगता है और रिहा होने से डरता है,.,!!



पलकों तक जमी हुई आँखों में काई अब कौन रखता है,
तक़दीर जिससे लिखी गई वो स्याही अब कौन रखता है,.,!!



मजबूरियाँ हैं कुछ मेरी मैं बेवफा नहीँ,
सुन यह वक्त बेवफा है मेंरी खता नही,.,!!



तुम छत पे नहीं आये मैं घर से नहीं निकला
ये चाँद बहुत भटका सावन की घटाओं में...!!!



ख़ुद को बिखरते देखते हैं कुछ कर नहीं पाते हैं
फिर भी लोग ख़ुदाओं जैसी बातें करते हैं,.,!!




मेरे होने में किसी तौर से शामिल हो जाओ
तुम मसीहा नहीं होते हो तो क़ातिल हो जाओ,.,!!




माह-ए-नौ देखने तुम छत पे न जाना हरगिज़
शहर में ईद की तारीख़ बदल जाएगी,.,!!



मुमकिन है सफ़र हो आसाँ अब साथ भी चल कर देखें
कुछ तुम भी बदल कर देखो, कुछ हम भी बदल कर देखें,.,!!



बादलों से छूटकर ,,,
बुँदे मेरे आँगन में नाचने आई है ,,😍😍❤❤






अब जिसके जी में आए वही पाए रौशनी
हमने तो दिल जला के सर-ए-आम रख दिया,.,!!



जितना कम सामान रहेगा, उतना सफ़र आसान रहेगा
जब तक भारी बक्सा होगा, तब तक तू हैरान रहेगा..!!



या तो मिट्टी के घर बनाओ मत
या घटाओं से खौफ़ खाओ मत !!



मन्दिर , मस्जिद जुबा जुबा पर,और युग बीत गई सारी
न कॊई नमाजी ही बन पाया,और न ही बना कॊई पुजारी,.,!!



बहुत कोशिश की आज 'सिर्फ' बारिश पर शायरी लिखु
पर हर बौछार 'सिर्फ' तुम्हारी याद बरसा रही थी ,.,!!



मोहब्बत में जबरदस्ती अच्छी नहीं होती,
तुम्हारा जब भी दिल चाहे मेरे हो जाना..!!!



बडी लंबी गूफ्तगू करनी है मुझको तुम से ,
तुम आना...मेरे पास
एक पूरी ज़िंदगी लेकर....!!



अब घर भी नहीं घर की तमन्ना भी नहीं है
मुद्दत हुई सोचा था कि घर जाएँगे इक दिन,.,!!



अब न वो शोर न वो शोर मचाने वाले
ख़ाक से बैठ गए ख़ाक उड़ाने वाले,.,!!




कितने उलझे, कितने सीधे ..
रस्ते, उन के रंग-महल के .,.!!



मैं तेरा कुछ भी नहीं हूँ मगर इतना तो बता
देख कर मुझको तेरे ज़ेहन में आता क्या है,.,!!



पड़ोसी, पड़ोसी से बेखबर होने लगा है
बधाई हो ! अब ये गाँव शहर होने लगा है,.,!!



ख़ुदगर्ज़ी छुपी रहती है इश्क़ के हर जज़्बात में-
मालूम है मुझे, जँचती हु मैं बस तुम्हारे साथ में,.,!!



मुझ को तो होश नहीं तुम को ख़बर हो शायद
लोग कहते हैं कि तुम ने मुझे बर्बाद किया,.,!!



इस से बेहतर जवाब क्या होगा
खो गया वो मिरे सवालों में,.,!!



तेरे होंठो में भी क्या खूब नशा है ,.,
लगता है तेरे जूठे पानी से ही शराब बनती है ,.,!!



कैसा लगता है तुमको पनाहों में आकर
नैना कुछ बोल रहे हैं निगाहों में आकर,
क्या रंग डालूँ तुम पर जब तुम
वैसे ही गुलाबी हो गयी बाहों में आकर,.,!!



हम पे इलजाम ऐसे भी है वैसे भी,
हम तो बदनाम ऐसे भी हैं वैसे भी..!!



आप अगर सत्य का साथ नहीं दे सकते,
तो फिर आप किसी का भी साथ नहीं दे सकते...!!




लोग तेरा जुर्म देखेंगे, सबब देखेगा कौन?
यहाँ सब प्यासे हैं, तेरे खुश्क लब देखेगा कौन?



रंग लाती हो कहाँ से, ये बता दो, तितलियों
ज़िन्दगी में हम भी, कुछ अब ,रंग तो भरते चलें !!



माना कि औरों के जितना पाया नहीं,
पर खुश हूँ कि स्वयं को गिरा कर कुछ उठाया नहीं,.,!!



ना जाने केसे इम्तिहान ले रही है ज़िन्दगी आजकल
मुक़दर ️मोहब्बत ओर दोस्त..तीनों नाराज़ रहते है,.,!!



आजकल बादलों के भी, ना जाने कौन से ख्वाब टूटे हैं
कम्बख्त सारा दिन बरसते रहते हैं, उसी के शहर में,.,!!




शाम-ए-फ़िराक़ अब न पूछ आई और आ के टल गई
दिल था कि फिर बहल गया जाँ थी कि फिर सँभल गई,.,!!




दिल मुझे उस गली में ले जा कर
और भी ख़ाक में मिला लाया,.,!!




तुम भूल कर भी याद नहीं करते हो कभी
हम तो तुम्हारी याद में सब कुछ भुला चुके



फिर उस ने छेड़ दी हैं ऐसी कुछ दिलचस्प बातें
हम अपने मसअले को भूल कर बैठे हुए हैं,.,!!



ये और बात कि बाज़ी इसी के हाथ रही
वगर्ना फ़र्क़ तो ले दे के एक चाल का था,.,!!



करता ही जाऊँ अनसुनी अपने ज़मीर की..
इतना भी तुझपे जिन्दगी, मरता नहीं हूँ मैं !!



जब तक है डोर हाथ में तब तक का खेल है
देखी तो होंगी तुम ने पतंगें कटी हुई,.,!!



मुझसे ना माँगिए मशवरे मंदिर और मस्जिद के मसलो पर

मै इंसान हु साहब खुद किराए के घर मे रहता हू।





एक पुराना सुखा गुलदस्ता पड़ा है अब भी कोने में,
कौन कहता है की घरो में
कब्रिस्तान नहीं होते...





वो मुझे छोड़ के इक शाम ही गए थे ,,,‘
’ज़िंदगी अपनी उसी शाम से आगे न बढी,,..





ख़ंजर पे कोई दाग न दामन पे कोई छींट ?
तुम क़त्ल करते हो ! के करामात करते हो





हटाओ आईना उम्मीदवार हम भी हैं
तुम्हारे देखने वालों में यार हम भी हैं,.,!!





इलाज ये है कि मजबूर कर दिया जाऊँ
वगरना यूँ तो किसी की नहीं सुनी मैं ने,.,!!





जो गुज़ारी न जा सकी हम से
हम ने वो ज़िंदगी गुज़ारी है,.,!!





मेरी बाँहों में बहकने की सज़ा भी सुन ले
अब बहुत देर में आज़ाद करूँगा तुझ को,.,!!





सब से पहले दिल के ख़ाली-पन को भरना
पैसा सारी उम्र कमाया जा सकता है,.,!!





बहाना कोई तो दे ऐ जिंदगी ,.,
के जीने के लिए मजबूर हो जाऊं ,.,!!





सहमा सहमा डरा सा रहता है
जाने क्यूँ जी भरा सा रहता है,.,!!





पूछा जो हुस्न क्या है जवानी क्या चीज़ है,
हर- शख्स -की ज़ुबाँ पे तेरा नाम आ गया,.,!!





उसे सोने की ज़ंजीरों से बँधना अच्छा लगता है,
मेरी चाहत के धागों से कहाँ वो शख्स बँधता है,.,!!





मुस्कुराई तो लब उसके ऐसे दिखे,
बाग़ में कोई गुलाब खिल गया जैसे.,!!





सारी दुनिया के हैं वो मेरे सिवा
मैं ने दुनिया छोड़ दी जिन के लिए,.,!!





छोड़ आया हूँ पीछे सब आवाज़ों को
ख़ामोशी में दाख़िल होने वाला हूँ,.,!!





न हार अपनी न अपनी जीत होगी
मगर सिक्का उछाला जा रहा है,.,!!





बे-ज़ार हो चुके हैं बहुत दिल-लगी से हम
बस हो तो उम्र भर न मिलें अब किसी से हम,.,!!





हम पशु में भी भगवान देख लेते हैं।
वो इंसान को भी काफ़िर कह क़त्ल कर देते हैं,.,!!





एक दिल होता तो एक बार टूटता ग़ालिब..
तुम तो सीने में हज़ार दिल लिये फिरते हो,.,!!





जिस नज़र से हुयी थी हमको मोहब्बत
आज भी उस नज़र को तलाशते फिरते हैं,.,!!





बैठे बैठे दिमाग में ख्याल आया
मैं मर-मरा जाऊँगा तो आप सबको पता कैसे चलेगा ?





ये जब्र भी देखा है तारीख़ की नज़रों ने
लम्हों ने ख़ता की थी सदियों ने सज़ा पाई,.!!


अभी तो चाँद लफ़्ज़ों में समेटा है तुझे मैंने..
अभी तो मेरी किताबों में तेरी तफ़्सीर बाक़ी है,.,!!



फिर तेरी यादें, तेरी तलब, तेरी बातें,
लगता है; सुकुन मेरा , तुम्हे रास नही आता !!!



हमारे बीच अभी आया नहीं कोई दुश्मन,
अभी ये तिरी मिरी दोस्ती अधूरी है...!!



जिसको ख़ुश रहने के सामान मयस्सर सब हों
उसको ख़ुश रहना भी आए ये ज़रूरी तो नहीं ,.,!!



हुकुमत वो ही करता है जिसका दिलो पर राज हो ,
वरना यूँ तो गली के मुर्गो के सर पे भी ताज होता है !!



कभी वक्त मिले तो रखना कदम , मेरे दिल के आगंन में !
हैरान रह जाओगे मेरे दिल में , अपना मुकाम देखकर ।!



बात करो रुठे यारो से,सन्नाटे से डर जाते है ll
प्यार अकेला जी सकता है,दोस्त अकेले मर जाते हैं ll



किसी ने हमसे कहा इश्क़ धीमा ज़हर है,
हमने मुस्कुरा के कहा, हमें भी जल्दी नहीं है..,.!!



अब दिल की तमन्ना है तो ऐ काश यही हो,.,
आँसू की जगह आँख से हसरत निकल आए,.,!!!



बड़ी देर कर दी मेरा दिल तोड़ने 💔 में,
न जाने कितने शायर मुझसे आगे चले गये..।।



मैं राज़ तुझसे कहूँ हमराज़ बन जा ज़रा
करनी है कुछ गुफ्तगू अल्फ़ाज़ बन जा ज़रा..।।



रस्ते कहाँ खत्म होते हैं जिंदगी के सफर में...
मजिल तो वही है...जहां ख्वाहिशें थम जाएँ..!!



तुम्हे तो सबसे पहले बज्म में मौजूद रहना था,
ये दुनिया क्या कहेगी शम्मा परवानों के बाद आई,.,!!



मिरे बग़ैर कोई तुम को ढूँडता कैसे
तुम्हें पता है तुम्हारा पता रहा हूँ मैं



हैं राख राख मगर आज तक नहीं बिखरे
कहो हवा से हमारी मिसाल ले आए !



क्या खबर थी कभी , इस दिल की ये हालत होगी ,
धड़केगा दिल मेरे सीने में , और सांसे तेरी होंगी !!


ताबीज होते हैं कुछ लोग
गले लगते ही सुकूँ मिलता है,.,!!



इधर आ सितमगर हुनर आजमायें,
तू तीर आज्मां, मैं जिगर आजमाऊँ !!!



अजीब खेल है ये मोहब्बत का,
किसी को हम न मिले, कोई हमें ना मिला



रोज सजते हैं जो कोठों पे हवस के नश्तर,,
हम दरिंदे ना होते तो वो माँए होतीं ...

इन्हीं रास्तों ने जिन पर मिरे साथ तुम चले थे
मुझे रोक रोक पूछा तिरा हम-सफ़र कहाँ है,.,.??

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उदास रहता है मोहल्ले में बारिशो का पानी आजकल...
सुना है कागज की नाव बनाने वाले बड़े हो गए...!!!

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माना कि इस ज़मीं को न गुलज़ार कर सके
कुछ ख़ार कम तो कर गए गुज़रे जिधर से हम,.,!!

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उन का ग़म उन का तसव्वुर उन की याद
कट रही है ज़िंदगी आराम से,.,!!

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मुँह छुपाना था तुम्हें पहले ही रोज़
अब किया पर्दा तो क्या पर्दा किया,.,!!!

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अब तो इंसान ही रह गये है...
इंसानियत तो कब की मर गयी....!!!

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दुश्मनों के साथ मेरे दोस्त भी आज़ाद हैं
देखना है खींचता है मुझ पे पहला तीर कौन,.,!!!

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मेरी हर बात को उल्टा वो समझ लेते हैं
अब कि पूछा तो ये कह दूँगा कि हाल अच्छा है,.,!!!

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कुछ इस अदा से मिरे साथ बेवफ़ाई कर
कि तेरे बाद मुझे कोई बेवफ़ा न लगे,.,!!

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कुछ कह रही हैं आप के सीने की धड़कनें
मेरा नहीं तो दिल का कहा मान जाइए ,.,!!

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दिल हर किसी के लिए नहीं धड़कता ,.,
धड़कनों के भी अपने कुछ उसूल होते हैं ,.,!!!

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बहुत गुमनाम से है चाहत के रास्ते
तू भी लापता... मैं भी लापता.!!!

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मत सोच इतना जिन्दगी के बारे में..
जिसने जिन्दगी दी है उसने भी तो कुछ सोचा होगा,.,!!!

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उनकी एक झलक पे ठहर जाती है नज़र....खुदाया !
कोई हमसे पुछे...दीवानगी क्या होती है ,.,!!!

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अकेला वारिस हूँ उसकी तमाम नफरतों का,
जो शख्स सारे शहर में प्यार बाटंता है,.,!!!

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एक शर्त है साकी
आज होठों से पिला

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सपना टूटा आँख में, नीद हुई अब दूर
मन आतुर प्रिय मिलन को, बारिश से मजबूर,.,!!!

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जब भी होती है गुफ्तगु खुद से,
ज़िक्र तेरा जरूर होता है,.,!!

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सूखते पत्ते ने डाली से कहा, 'चुपके से अलग करना'..
वरना..
'लोगों का रिश्तों से भरोसा उठ जायेगा'.!!!

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ऐ मौत आ के हमको खामोश तो कर गई तू,
मगर सदियों दिलों के अंदर, हम गूंजते रहेंगे,.,!!!

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काट कर मेरी जुबां कर गया खामोश मुझे !
बेखबर को नहीं मालूम कि "मन" बोलता है !!

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बारिश में चलने से एक बात याद आई,
फिसलने के डर से वो मेरा हाथ पकर लेती थी...!!!

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ये कसूर तुम्हारा नहीं, तुम्हारी इन आँखों का है,
नहीं संभलती देख, इश्क में बरबाद लोगों को।

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ख्वाईशो घर भरा पडा है इस कदर ,,,,
के रिश्ते जरा सी जगह को तरसते है ,,!!

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काश मैं लौट जाऊँ बचपन की उन गलियों में ~
जहां ना कोई ज़रूरत थी, ना कोई ज़रूरी था..!!

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मुद्दत से कोई उसकी छाँव में नहीं बैठा...
वो छायादार पेड़ इसी गम में सुख गया...!!

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शायद तुम कभी प्यासे मेरी तरफ लौट आओ...
आँखों में लिए फिरती हूँ दरिया.. तुम्हारे लिए...!!

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कितने ऐश से रहते होंगे कितने इतराते होंगे
जाने कैसे लोग वो होंगे जो उस को भाते होंगे...

यारो कुछ तो ज़िक्र करो तुम उस की क़यामत बाँहों का
वो जो सिमटते होंगे उन में वो तो मर जाते होंगे...!!!

------------------------------------------------------------------------------

तुम्हारे चाँद से चेहरे की अगर दीद हो जाए ,.,
कसम अपनी आँखों की ,हमारी ईद हो जाए ,.,!!!

-----------------------------------------------------------------------------

नया नया शौक उन्हे रुठने का लगा है...
खुद ही भूल जाते है कि रूठे किस बात पे थे...!!

------------------------------------------------------------------------------

मैं अपनी मोहब्बत में बच्चों की तरह हूँ
जो मेरा है बस मेरा है, किसी और को क्यों दूँ ,.,!!!

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तुझे क्या देखा, खुद को ही भूल गए हम इस क़दर..
कि अपने ही घर आये तो औरों से पता पूछकर,.,!!!

------------------------------------------------------------------------------

बड़े अनमोल हे ये खून के रिश्ते
इनको तू बेकार न कर ,
मेरा हिस्सा भी तू ले ले मेरे भाई
घर के आँगन में दीवार ना कर.

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उनसे कह दो मेरी सजा कुछ कम कर दे..
हम पेशे से मुजरिम नहीं बस गलती से इश्क़ हुआ था.

------------------------------------------------------------------------------

एक छोटा गुनाह मोहब्बत का,
उम्र भर का हिसाब लेता है....!!!

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यूं समझ लो कि,
लगी प्यास गज़ब की थी और पानी में जहर भी था,
पीते तो मर जाते और न पीते तो भी मर जाते...!!!

इन चराग़ों में तेल ही कम था
क्यूँ गिला फिर हमें हवा से रहे...!!

------------------------------------------------

रूह में,दिल में,जिस्म में दुनिया,
ढूंढता हूँ मगर नही मिलती.
लोग कहते हैं रूह बिकती है,
मैं जिधर हूँ उधर नही मिलती,.,!!!

------------------------------------------------

मेरी रूह गुलाम हो गई है, तेरे इश्क़ में शायद ..
वरना यूँ छटपटाना , मेरी आदत तो ना थी...!!!

-------------------------------------------------

ना जाने वो आइना कैसे देखते होंगे
जिसकी आखो को देख दुनिया फना हैं,.,!!!

-------------------------------------------------

सुनो
सारा जहाँ उसी का है जो
मुस्कुराना जानता है~~!!

-------------------------------------------------

एक तेरी नफरत पर भी तो लूटा दी ज़िन्दगी हमने..
सोचो अगर तुम्हे मोहब्बत होती तो हम क्या करते...??



-------------------------------------------------

आईने में वो देख रहे थे बहार-ए-हुस्न
आया मेरा ख़याल तो शर्मा के रह गए,.,!!

-------------------------------------------------

बरसात का बादल तो दीवाना है क्या जाने
किस राह से बचना है किस छत को भिगोना है,.,!!!

-------------------------------------------------

मुस्कुराते हुए चेहरे ,हैं
छुपाये राज गहरे,.,.!!!

-------------------------------------------------

आज दिल उदास नहीं,
अहसास है तू पास नहीं.
लब हस्ते हैं मेरे,
झूट हैं या सच कोई सवाल नहीं.,.,!!!

-------------------------------------------------

छीन कर हाथो से सिगार वो कुछ इस अंदाज़ से बोली,
कमी क्या है इन होठोंमें जो तुम सिगरेट पीते हो...!!!

-------------------------------------------------

जिंदगी बस इतना अगर दे तो काफी हैं,
सर से चादर न हटे, पांव भी चादर में रहे,.,!!!

-------------------------------------------------

शिकायते तो हमे तुम्हारी आखो के काजल से है
जो हमारे जाने बाद चमकते हुए चहरे पर दाग लगा देता है,.,!!!

-------------------------------------------------

अब तो दिन में भी चेहरे धुंधले नजर आते हैं
लगता है उजालों में अँधेरे की मिलावट है,.,!!!

-------------------------------------------------

इलाही कैसी कैसी सूरते तुमने बनाई हैं
कि हर सूरत कलेजे को लगा लेने के काबिल है,.,!!

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अपना नाम तक भूल गया हुँ तुम्हारे शहर में
जब से लोग तुम्हारे नाम से जानने लगे है,.,!!!

-------------------------------------------------

अब कटेगी ज़िन्दगी सुकून से ...
अब हम भी मतलबी हो गए हैं,.,!!!

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मुकम्मल थी वो गुफ्तगू बिना अल्फाज़ों के भी कुछ यूं,
उसकी उंगलियाँ बोल रही थीं उनकी ज़ुल्फ़ों से.!!

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कभी मुँह मे उसका नाम तो कभी सिगरेट का साथ
मेरे होंठो ने हमेशा चिंगारियां ही पसंद की,.,!!!

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तेरे दावे हैं तरक्की के.. तो फिर ऐसा क्यों है
मुल्क मेरा आज भी.. फुटपाथ पर सोता क्यों है,.,???


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तुम्हारा शक सिर्फ हवाओ, पे गया होगा..
चिराग खुद भी तो जल,जल के थक गया होगा..!!!

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होती है ज़रूरत अमीर के बच्चों को "खिलोनों" की..
गरीब के बच्चे तो एक "बोरी" में भी खुशिया तलाश लेते है...!!

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दिल टूटने से थोड़ी सी तकलीफ़ तो हुई
लेकिन तमाम उम्र को आराम हो गया,.,!!!

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बेपरवाह.., लापरवाह.., बागी होते हैं..,
नंगे पाँव चलने वाले..,
अक्सर नई दिशाओं को पदचिन्ह दे जाते हैं.. !!

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सीखा है हमने जिंदगी से एक तजुर्बा..
जिम्मेदारी इन्सान को वक़्त से पहले बड़ा बना देती है..!!!

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फाकों में ही गुज़र जाता है पूरा दिन.!!
ऊपर वाला न जाने कब हमारा रोजा खोलेगा.!!!

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जब हुयी थी पहली बारिश,
तुमको सामने पाया था,

वो बुंदो से भरा चेहरा,
तुम्हारा हम कैसे भूला पायेंगे..!!!


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अगर है गहराई ...
तो चल डुबा दे मुझ को,
समंदर नाकाम रहा ...
अब तेरी आँखो की बारी है !!!

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तेरा सरसरी निगाह से देखना
और नजरे चुरा लेना ...
बस तस्सली देता है
अब हम अजनबी तो नहीं !!!

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फिर से तेरी यादें मेरे दिल के दरवाजे पे खड़ी हैं
वही मौसम, वही बारिश, वही दिलकश ‘महीना है,.,!!

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गजब के खरीदार है वो राह-ए- इश्क के !
वो मुस्कुरा देते है और हम बिक जाते है !!

-------------------------------------------------

शीशा टूटे ग़ुल मच जाए
दिल टूटे आवाज़ न आए,.,!!!

-------------------------------------------------

वो जो हाथ तक से छुने को बे-अदबी समझता था..
गले से लगकर बहोत रोया बिछडने से जरा पहले..!!

-------------------------------------------------

बादलो से कह दो जरा सोच समझकर बरसे,
अगर मुझे उसकी याद आ गयी तो मुकाबला बराबरी का होगा..!!

-------------------------------------------------

तेरी तिरछी नज़र का तीर है मुश्किल से निकलेगा
दिल उसके साथ निकलेगा, अगर ये दिल से निकलेगा,.,!!!

-------------------------------------------------

तुम पर भी यकीन है और मौत पर भी ऐतबार है
देखें पहले कौन मिलता है , हमें दोनों का इंतजार है ..!!!

-------------------------------------------------

चुप्पियों पर चुटकियाँ लेते थे खूब जो
अपनी ही चुप्पियों पर कुछ कहते नहीं बनता,.,!!!

Tuesday, July 17, 2018

सुख और दुख की परिभाषा



ऐ "सुख" तू कहाँ मिलता है..
क्या तेरा कोई स्थायी पता है..

क्यों बन बैठा है अन्जाना..
आखिर क्या है तेरा ठिकाना..

कहाँ कहाँ नहीं ढूंढा तुझको..
पर तू ना कहीं मिला मुझको..

ढूँढा ऊँचे मकानों में..
बड़ी बड़ी दुकानों में..

स्वादिष्ट पकवानों में..
चोटी के धनवानों में..

वो भी तुझको ढूंढ रहे थे..
बल्कि मुझको ही पूछ रहे थे..

क्या आपको कुछ पता है..
ये सुख आखिर कहाँ रहता है?

मेरे पास तो "दुःख" का पता था..
जो सुबह शाम अक्सर मिलता था..

परेशान होके रपट लिखवाई..
पर ये कोशिश भी काम न आई..

उम्र अब ढलान पे है..
हौसले थकान पे है..

हाँ उसकी तस्वीर है मेरे पास..
अब भी बची हुई है आस..

मैं भी हार नही मानूंगा..
सुख के रहस्य को जानूंगा..

बचपन में मिला करता था..
मेरे साथ रहा करता था..

पर जबसे मैं बड़ा हो गया..
मेरा सुख मुझसे जुदा हो गया..

मैं फिर भी नही हुआ हताश..
जारी रखी उसकी तलाश..

एक दिन जब आवाज ये आई..
क्या मुझको ढूंढ रहा है भाई..

मैं तेरे अन्दर छुपा हुआ हूँ..
तेरे ही घर में बसा हुआ हूँ..

मेरा नही है कुछ भी "मोल"..
सिक्कों में मुझको ना तोल..

मैं बच्चों की मुस्कानों में हूँ..
हारमोनियम की तानों में हूँ..

पत्नी के साथ चाय पीने में..
"परिवार" के संग जीने में..

माँ बाप के आशीर्वाद में..
रसोई घर के पकवानो में..

बच्चों की सफलता में हूँ..
माँ की निश्छल ममता में हूँ..

हर पल तेरे संग रहता हूँ..
और अक्सर तुझसे कहता हूँ..

मैं तो हूँ बस एक "अहसास"..
बंद कर दे तु मेरी तलाश..

जो मिला उसी में कर "संतोष"..
आज को जी ले, कल की न सोच..

कल के लिए आज को ना खोना..

मेरे लिए कभी दुखी ना होना..
मेरे लिए कभी दुखी ना होना..

कुछ अनकही नज़्में



1.

लौट आओ कि मेरी साँसे अब तिनका तिनका बिखरती हैं..
कहीं मेरी जान ना ले ले ये पहली शाम दिसंबर की..

2.

मुझे मालूम है मैं उस के बिना ज़ी नहीं सकता...
उस का भी यही हाल है मगर किसी और के लिए...

3.

वो याद आया कुछ यूँ, कि लौट आए सब सिलसिले....
ठन्डी हवा, पीले पत्ते और नवम्बर के ये दिन..

4.

हिचकियों पर हिचकियाँ मैं रातभर भरता रहा,
वो सो रहा था तो फिर मुझे कौन याद करता रहा.. ?

5.

बचपन की नींद अब बहुत याद आती है..
सिर्फ़ मुहब्बत पर ये इलजाम ठीक नहीं..

6.

जाते वक़्त उसने बड़े गुरुर से कहा था ,"तुम जैसे हज़ार मिलेंगे !
मैंने मुस्कराकर कहा, मुझ जैसे की ही तलाश क्यों ?

7.

वो शख्स...शायद...मुझी को सोच रहा होगा...
आंखों में ये गुलाब...वरना कहां से आए...

8.

हलकी हलकी सी सर्द हवा
ज़रा ज़रा सा दर्द ए दिल
अंदाज अच्छा है ए नवम्बर तेरे आने का

9.

लाजवाब कर देतें हैं...तेरे खयाल...दिल को...
मोहोब्बत...तुझसे अच्छा...तेरा तसव्वुर हैं...

10.

ये किसका खयाल...कौनसी खुशबु...सता रहीं हैं दिल को...
ये जो करार दिल में हैं...कहीं...ये मोहोब्बत तो नहीं..

11.

कोशिश ज़रा सी करता तो मिल ही जाता मैं ....
उसने मगर अपनी आँखों में ..... ढूँढा नहीं मुझे

12.

पूछा था हाल उन्हॊने बड़ी मुद्दतों के बाद...
कुछ गिर गया है आँख में...कह कर हम रो पड़े...

13.

मेरे सीने से लिपटे होते हैं आज भी एहसास तेरे,
जैसे लिखावट कोई लिपटी हो किताबी पन्नो से ।।

14.

गर मिल जाती दो दिन कि बादशाहत हमें,
तो मेरे शहर में तेरी तश्वीर का सिक्का चलता..!

15.

तेरे एक इशारे पे, हम इल्जाम अपने नाम ले लेते
बेवजह, झूठे इल्जाम लगाने की जरुरत क्या थी ?

16.

होश मुझे भी आ ही जायेगा मगर..
पहले ! दिल तेरी याद से रिहा तो हो..

17.

जो तुम बोलो बिखर जाऐंगे, जो तुम चाहो संवर जाऐंगे,
मगर ये टूटना-जुड़ना हमें तकलीफ बहुत देता है..

18.

जो पूरा न हो सका.. वो किस्सा हूँ मै...
छूटा हुआ ही सही.. तेरा हिस्सा हूँ मै..!!

19.

उसकी आँखों में नज़र आता है सारा जहां मुझ को..
अफ़सोस कि उन आँखों में कभी खुद को नहीं देखा..

20.

हम से बेवफाई की इन्तहां क्या पूछते हो दोस्तों.......
वो हम से प्यार सीखती रही किसी और के लिए ....!!

21.

अब उसे न सोचू तो जिस्म टूटने सा लगता है........
एक वक़्त गुजरा है उसके नाम का नशा करते~करते......!

22.

कभी यूँ भी आ मेरी आँख में के मेरी नज़र को ख़बर न हो..
मुझे एक रात नवाज़ दे मगर उसके बाद सहर न हो...

23.

चल रहे है जमाने में रिश्वतो के सिलसिले..
तुम भी कुछ ले दे कर, मुझसे मोहब्बत कर लो..

24.

आँख उठाकर भी न देखूँ, जिससे मेरा दिल न मिले,
जबरन सबसे हाथ मिलाना, मेरे बस की बात नहीं..

25.

प्यार ने क्या-क्या गज़ब कर दिया, किसी का नाम कविता किसी को ग़ज़ल कर दिया,
जो एक फूल का वज़न भी उठा न सकी,उस मुमताज के सीने पर ताजमहल रख दिया..

26.

घर उसने क्या बनाया मस्जिद के सामने..
चाहत ने उसकी हमें नमाजी बना दिया..

27.

समझौतों की भीड़-भाड़ में सबसे रिश्ता टूट गया,
इतने घुटने टेके हमने आख़िर घुटना टूट गया,
ये मंज़र भी देखे हमने इस दुनिया के मेले में,
टूटा-फूटा नाच रहा है, अच्छा ख़ासा टूट गया....

28.

चाँद का क्या कसूर अगर रात बेवफा निकली,
कुछ पल ठहरी और फिर चल निकली,
उन से क्या कहे वो तो सच्चे थे,
शायद हमारी तकदीर ही हमसे खफा निकली.

29.

ये कह कह के हम दिल को समझा रहे है..
वो अब चल चुके,वो अब आ रहे है..

30.

फूँक डालूँगा किसी रोज ये दिल की दुनिया..
ये तेरा खत तो नहीं है कि जला भी न सकूँ..

31.

बड़ी अजीब चीज है ये मौत भी,
कभी कभी उस जगह भी मिल जाती है....
जहाँ लोग जिंदगी की दुआ मांगने जाया करते है...

32.

हर इक हसरत हंस कर उनकी पूरी की हमने,
हमारी एक तमन्ना उनके दिल को भारी कर गयी..

33.

यूँ तो काफी मिर्च-मसाले हैं इस जिंदगी में....
तुम्हारे बिना जायका फिर भी फीका ही लगता है....

34.

चूम कर कफ़न में लपेटे मेरे चेहरे को,
उसने तड़प के कहा...
'नए कपड़े क्या पहन लिए, हमें देखते भी नहीं' !!

35.

ना ख़ुशी की तालाश है ना गमे निजात की आरज़ू ,
मैं खुद से नाराज़ हूँ तेरी बेरुखी के बाद..

36.

आज़ उदासी ने भी हाथ जोड़ कर कहा मुझसे,
वास्ता तुझे तेरे प्यार का मेरा आशियां छोड़ दे..

37.

मुमकिन हुआ तो मै तुम्हे माफ़ करूँगा..
फिलहाल तेरे आंसुओ का मुन्तजिर हूँ मैं..

38.

किसी के आने या जाने से जिँदगी नही रुकती..
बस जीने का अँदाज बदल जाता है..

39.

आज इस कदर याद आ रहे हो..
जिस कदर तुमने भुला रखा है..

40.

उस शख़्स को बिछड़ने का सलीका भी नहीं..
जाते हुए खुद को मेरे पास छोड़ गया..

41.

तुम्हें ये कौन समझाये तुम्हें ये कौन बतलाये..
बहोत खामोश रहने से ताल्लुक टूट जाते हैं..

42.

ख़्वाब जितने भी थे जल गए सारे..
अब इन आँखों में नमी के सिवा कुछ भी नही..

43.

तुम हमें मिल जाओ ये मुमकिन नहीं...
हम तुम्हे छोड़ दें ये हमें मंजूर नहीं ..

44.

सिर्फ चेहरे की उदासी से भर आये आंसू..
दिल का आलम तो अभी आपने देखा ही कहा है !!!!

45.

तेरी मुहब्बत भी उस खुदा के करम की तरह है,
जो जरूरतमंद है, बस उसी को ना मिली...

46.

वो एक पल जिसे तुम सपना कहते हो,
तुम्हे पाकर मुझे जिंदगी सा लगता है..

47.

बहुत याद करता है वो मुझे..
दिल से ये वहम जाता क्यों नहीं...

48.

अजब ज़ुल्म करती हैं तेरी यादें मुझ पर ..
सो जाऊँ तो जगा देती हैं जग जाऊँ तो रुला देती हैं..

49.

बताओ ना कैसे भुलाऊँ तुम्हें..
तुम तो वाक़िफ़ हो इस हुनर से..

50.

शुक्रिया उनका कि हमें जीना सिखा दिया..
होते थे जिन आँखों में समंदर उनको ही सुखा दिया..

51.

ताज महल को बनाना तो हमें भी आ गया है अब ..
कोई एक मुठ्ठी वफ़ा अगर ला दे ,तो हम काम शुरू करें..

52.

मैं क्यों करूं मुहब्बत किसी से, मैं तो गरीब हूँ,
लोग बिकते हैं और खरीदना मेरे बस में नहीं...

53.

रिस्ते बन जाते है अनजाने मेँ...
पर तकलीफ होती है निभाने मेँ ..,
रूठनेँ बाले तो पल मेँ रूठ जाते है ..
और उमर गुजर जाती है उन्हेँ मनानेँ मेँ..

54.

ये मुहब्बत भी है क्या रोग फ़राज़,
जिसे भूले वो सदा याद आया...

55.

सफर मोहब्बत का दुश्वार कितना है..
मगर देखना है कोई वफादार कितना है..
यही सोच कर कभी उसे नहीं माँगा हमने...
उसे आजमाना है की वो मेरा तलबगार कितना है...

56.

साँसों का टूट जाना तो बहुत छोटी सी बात है दोस्तों..
जब अपने याद करना छोड़ दें मौत तो उसे कहते हैं..

57.

दीप ऐसे बुझे फिर जले ही नहीं ..
ज़ख्म इतने मिले फिर सिले ही नहीं..
व्यर्थ किस्मत पे रोने से क्या फायदा...
सोच लेना की हम तुम मिले ही नहीं ...

58.

लौट के आ गये शाम के परिंदे भी ..
मेरा वो " सुबह का भूला " अब तक नहीं लौटा..

59.

नजाकत से मेरी आँखों में वो उसका देखना तौबा..
इलाही हम उन्हें देखें या उनका देखना देखें..

60.

तू मेरे राम में खुदा का तसव्वुर कर ले....
तेरे खुदा में अपना राम देखता हूँ मैं....

61.

चैन मिलता था जिसे आके पनाहों में मेरी,
आज देता है वही अश्क निगाहों में मेरी....

62.
गुज़र गया वो वक़्त जब तेरी हसरत थी मुझको..
अब तू खुदा भी बन जाए तो भी तेरा सजदा ना करूँ..

63.

किसी की यादों ने पागल बना रखा है..
कहीं मर ना जाऊं कफ़न सिला रखा है..
जलने से पहले दिल निकाल लेना..
कहीं वो ना जल जाए जो दिल में छुपा रखा है...

64.

मेरे ज़ज्बात की कदर ही कहाँ..
सिर्फ इलज़ाम लगाना ही उनकी फितरत है..

65.

हो सकती है मोहब्बत ज़िंदग़ी मे दोबारा भी..
बस हौसला हो एक दफ़ा फिर बर्बाद होने का..

66.

कोशिशें जब भी करता हूँ "उनको" भुलाने के लिए..
" वो" ख्वाबों में चले आते हैं, मुझको सताने के लिए..

67.

क्या मिला हमें सदियों कि मोहब्बत से..
एक शायरी का हुनर और दुसरा जागने कि सज़ा..

68.

महबूब का घर हो या फरिश्तों की ज़मी..
जो छोड़ दिया फिर उसे मुड़ कर नहीं देखा...

69.

ज़रा सा बात करने का तरीका सीख लो तुम भी..
इधर तुम बात करते हो उधर दिल टूट जाता है..

70.

उसका वादा भी बडा अजीब था जिंदगी भर साथ निभाने का..
मैंने भी ये नहीं पूछा कि मुहब्बत में साथ दोगे या यादों में..

71.

चलते थे इस जहाँ में कभी सीना तान के हम ..
ये कम्बख्त इश्क़ क्या हुआ घुटनो पे आ गए हम..

72.

वो कहते हैं अपने दिल के रास्ते पर चलो..
जब दिल ही टूटकर चौराहे पर बिखर जाए तो फिर किधर जाएं..

73.

फूल से आशि़की का हुनर सीख ले,
तितलियां ख़ुद रुकेंगी, सदाएं न दे..

74.

आशि़की बेदिली से मुश्किल है,
फिर मुहब्बत उसी से मुश्किल है..

75.

हमें कोई ग़म नहीं था, ग़म-ए-आशि़की से पहले,
न थी दुश्मनी किसी से, तेरी दोस्ती से पहले..

76.

आशि़की सब्रतलब और तमन्ना बेताब,
दिल का क्या रंग करूं, ख़ून-ए-जिगर होने तक..

77.

आग़ाज़-ए-आशि़की का मज़ा आप जानिए,
अंजाम -ए-आशि़की का मज़ा हम से पूछिए..

78.

अपने ख़ून-ए-वफ़ा से डरता हूं,
आशि़की बंदगी न हो जाए..

79.

सोचता हूँ उस की याद आखिर..
अब किसे रात भर जगाती होगी..

80.

बहूत नज़दीक आते जा रहे हो,
बिचरने का इरादा कर लिया है क्या..

81.

आँगन में खिले गुलाब पर जा बैठी,
हल्की सी उड़ी थी उनके कदमों से जो धूल..
गोरी थी कि अपने बालों में सजाने के लिये,
चुपचाप से जाके तोड़ लाई वही फूल..

82.

बहुत देर तक खामोश रही तुम,
बहुत देर तक चुपचाप रहा मैं,

बहुत देर तक गूफ्तगू होती रही...

83.

हमने अब तक नहीं कहा उसको,
उसने अब तक नहीं कहा हमसे,

हम एक दूसरे से प्यार करते हैं...

84.

दिल गया तो कोई आँखे भी ले जाता,
फकत एक ही तस्वीर कहाँ तक देंखू..

85.

उसके सिवा किसी और को चाहना मेरे बस में नहीं, उसके सिवा किसी और को चाहना मेरे बस में नहीं, ये दिल उसका है, अपना होता तो बात और थी...

86.

ये भी एक तमाशा है इश्क ओ मोहब्बत में,
दिल किसी का होता है और बस किसी का चलता है..

87.

रूह तक नीलाम हो जाती है इश्क के बाज़ार में,
इतना आसान नहीं होता किसी को अपना बना लेना..

88.

मयखाने में बेपरवाह बैठे जरुर हैं,
पर कितना है पीना हम इतने होश में हैं..

89.

रात भर आसमां में हम चाँद ढूढते रहे,
चाँद था कि चुपके से मिरे आँगन में उतर आया..

90.

यह शहर जालिमो का है संभल कर चलना,
लोग सीने से लग कर दिल ही निकाल लेते हैं..

91.

ये भी एक तमाशा है इश्क ओ मोहब्बत में,
दिल किसी का होता है और बस किसी का चलता है..

92.

रूह तक नीलाम हो जाती है इश्क के बाज़ार में,
इतना आसान नहीं होता किसी को अपना बना लेना..

93.

मेरी इबाबतो को ऐसे कर कबूल ऐ खुदा,
के सजदे में ,मै झुकू तो हर रिश्तों कि जिन्दगी सवर जाये !

94.

जिंदगी के राज़ को रहने दो,
अगर है कोई ऐतराज़ तो रहने दो,
पर जब दिल करे हमें याद करने को,
तो उसे ये मत कहना के आज रहने दो..

95.

जिनके मिलते ही ज़िन्दगी में ख़ुशी मिल जाती है,
वो लोग जाने क्यों ज़िन्दगी में कम मिला करते हैं।

96.

मुझसा कोई जहाँ में नादान भी न हो ,
कर के जो इश्क कहता है नुकसान भी न हो ...!!

97.

जी जान कर भी वो जान ना पाए,
आज तक मुझे पहचान ना पाए,
खुद ही कर ली बेवफ़ाई हुमने,
ताक़ि उन पर कोई इल्ज़ाम ना आए..

98.

आँखे रो पड़ी उनका ना पैगाम आया,
चले गये हमे अकेला छोड़ कर ये कैसा मुकाम आया..
मेरी तन्हाई हसी मुझ पर और बोली,
आख़िर मेरे सिवा कौन काम आया..

99.

कहाँ नहीं तेरी यादों के हाथ,
कहाँ तक कोई दामन बचा के चले..

100.

पूछ कर मेरा पता बदनामिया मत मोल ले..
ख़त किसी फूटपाथ पर रख दे, मुझे मिल जायेगा..

101.

कल, भीड़ में भी .... तुम हमें तन्हा दिखे,
अब बोल भी दो, है क्या वजह तन्हाई की ?

102.

जमाने भर के एव कम थे,
जो तुमने जाते जाते ये घाव दे दिया कि तुम अच्छे नही हो,

103.

जब वो मिले हमसे अरसे बाद तो उन्होने पूछा हाल -चाल कैसा है,
तो मैने कहा तुम्हारी चली चाल से मेरा हाल बदल गया..

104.

इतनी शिद्दत से वो शख्स मेरी रगो मै उतर गया है,
कि उसे भुलाने कि लिये मुझे मरना होगा..

105.

मोहब्बत का अजीब दस्तूर देखा,
जो उसकी जीत हो तो हम हार जाये..

106.

तुम्हे मोहब्बत करना नहीं आता
मुझे मोहब्बत के सिवा कुछ नहीं आता
ज़िन्दगी जिने के दो ही तरीके है
एक तरीका तुम्हे नहीं आता
एक मुझे नहीं आता ...

107.

किसी को भुलाने के लिए ना मर जाना तुम..
क्या जाने कौन तुम्हारी राह देख रहा होगा !!

108.

हम तो रो भी नहीं सकते उसकी याद में
उसने एक बार कहा था
मेरी जान निकल जाएगी
तेरे आंसू गिरने से पहले..

109.

आँसू की कीमत जो समझ ली उन्होने..
उन्हे भूलकर भी मुस्कुराते रहे हम ..

110.

फिकर ही हमारी यही थी..
कि कहीं शिकायत ना हो उनको..
कि क़दर उनकी हमने नही की..

111.

उन्होने हाँ जो कह भी दिया..
क्या पता दुनिया से लड़ना पड़े हमे..!!

112.

ए जिन्दगी खत्म कर अब ये यादो के सिलसिले,
मै थक सा गया हू दिल को तसल्लिया देते देते,

113.

लोग इश्क़ करते है बड़े शोर के साथ,
हमने भी किया था बड़े ज़ोर के साथ,
मगर अब करेंगे ज़रा गौर के साथ,
क्योकि कल देखा था उसे किसी और के साथ!

114.

मेरे सब्र की इन्तेहाँ क्या पूछते हो 'फ़राज़'
वो मेरे सामने रो रहा है किसी और के लिए..

115.

ज़ख़्म जब मेरे सिने के भर जाएँगे,
आँसू भी मोती बनकर बिखर जाएँगे,
ये मत पूछना किस किस ने धोखा दिया,
वरना कुछ अपनो के चेहरे उतर जाएँगे

116.

आज कोई नया जख्म नहीं दिया उसने मुझे ,
कोई पता करो वो ठीक तो है ना..

117.

चले जायेंगे तुझे तेरे हाल पर छोड़कर
कदर क्या होती है तुझे वक़्त सिख देगा .
लोग इश्क़ करते है बड़े शोर के साथ,
हमने भी किया था बड़े ज़ोर के साथ,
मगर अब करेंगे ज़रा गौर के साथ,
क्योकि कल देखा था उसे किसी और के साथ..

118.

मेरे सब्र की इन्तेहाँ क्या पूछते हो 'फ़राज़'
वो मेरे सामने रो रहा है किसी और के लिए..

119.

ज़ख़्म जब मेरे सिने के भर जाएँगे,
आँसू भी मोती बनकर बिखर जाएँगे,
ये मत पूछना किस किस ने धोखा दिया,
वरना कुछ अपनो के चेहरे उतर जाएँगे

120.

आज कोई नया जख्म नहीं दिया उसने मुझे ,
कोई पता करो वो ठीक तो है ना...

121.

चले जायेंगे तुझे तेरे हाल पर छोड़कर..
कदर क्या होती है तुझे वक़्त सिख देगा..

122.

हसरतें आज भी खत लिखती हैं मुझे,
मगर अब मैं पुराने पते पर नहीं रहता!

123.

किसी की चाहत मे इतने पागल ना हो,
हो सकता हे वो तुम्हारी मंज़िल ना हो,
उसकी मुस्कुराहट को मोहब्बत ना समझो,
कहीं ये मुस्कुराना उसकी आदत ना हो…!!!

124.

दिल धड़कता है तो डर सा लगा रहता है,
कोई सुन ना ले, मेरी धड़कन मे नाम तेरा..

125.

तुमसे किसने कह दिया कि मुहब्बत की बाजी हार गए हम?
अभी तो दाँव मे चलने के लिए मेरी जान बाकी है !

126.

इश्क़ का दस्तूर ही कुछ ऐसा है
जो इसे जान लेता है
ये साला उसी की जान लेता है !!

127.

वफ़ा करने से मुकर गया है दिल;
अब प्यार करने से डर गया है दिल;
अब किसी सहारे की बात मत करना;
झूठे दिलासों से भर गया है अब यह दिल।

128.

किस हद तक जाना है ये कौन जानता है,
किस मंजिल को पाना है ये कौन जानता है,
दोस्ती के दो पल जी भर के जी लो,
किस रोज़ बिछड जाना है ये कौन जानता है.

129.

खुली आंखो से देखा एक ऐसा ख्वाब जो अपना नही था,
आज तक वो शक्स दिल मे है जो उस्स वक़्त भी मेरा नही था !

130.

कुछ नही बदला उसके जाने के बाद इस जिंदगी में,ऐ दोस्तों,
बस कल जिस जगह दिल हुआ करता था आज वहा दर्द होता है..!!

131.

महगाई का आलम तो देखो
घर क्या ले जाना है
जानबूझ कर भूल जाता हूँ

132.

हम से खेलती रही दुनिया ताश के पत्तों की तरह,
जिसने जीता उसने भी फेका जिसने हारा उसने भी फेंका...

133.

उसने महबूब ही तो बदला है फिर ताज्जुब कैसा;,
दुआ कबूल ना हो तो लोग खुदा तक बदल लेते है..

134.

बहुत दिनों से ख्वाहिश हैं कि किसी दिन वो आए और कहे,
बंद करो ये रोना, लो लौट आई मैं तुम्हारे लिए..

135.

आज़ाद कर दिया हे हमने भी उस पंछी को,
जो हमारी दिल की कैद में रहने को तोहीन समजता था...!!

136.

प्यार की बाते तू क्या जानेगी ......
तू गैर है कोई मेरी अपनी तो नहीं..

137.

तुझ से ज्यादा चाहत मुझे किसी और से मिली है मुझे..
तू मौत की तरफ़ लें जाने वाली राह है वो ज़िन्दगी देने चली है मुझे..

138.

मैं लौट कर आऊं भी तो कैसे हर दरवाजा बंद नज़र आता है..
सुना है हमने भी इश्क करने वालो सेदिल का दरवाजा अंदर से खोला जाता है..

139.

झूठ है के प्यार के रिश्ते जनम-जनमतक जुड़े होते हैं...!!
मैंने तो एक जनम के साथ के लिए, दिल को तड़पते देखा है...!!

140.

मुझे दर्द दे कर तुझे सुकून मिलता है तो दर्द कबूल है मुझे..
तू मेरे बिना खुश है तो तुझ से जुदाई मंजूर है मुझे..

141.

मुझसे जब भी मिलो तो नज़रें उठा के मिला करो,
मुझे पसंद है अपने आप को तेरी आँखों में
देखना..

142.

ये है ज़िन्दगी, किसी के घर आज नई कार आई,
और किसी के घर मां की दवाई उधार आई..

143.

तुम बिन सांसे तो आती है,
मगर जिंदगी महसूस नहीं होती..

144.

तेरी बेरुखी से इस कदर टूट गया हूँ मैं..
लगता है बिन रूह की ज़िन्दगी गुज़ार रहा हूँ..

145.

जब उसका दर्द मेरे साथ वफ़ा करता है,
एक समुन्दर मेरी आँखों से बहा करता है..

146.

मै नहीं जानता की उसके लिये दिल में एहसास क्यों है..
वो अमानत है गैर की फ़िर भी उसको पाने की प्यास क्यों है..

147.

तू मेरे जनाजे को कन्धा ना देना,
जिन्दा ना हो जाऊ फिर कही तेरा सहारा देख कर !!

148.

चंद खुशियाँ ही बची थी, मेरे हाथो की लकीरो में..
वो भी तेरे आंसु पोछते हुए, मिट गई.............

149.

'ख़ुदा जाने मेरा क्या वज़्न है उनकी निगाहों में?
सुना है आदमी को वोह नज़र में तोल लेते हैं.!!

150.

बडा जालिम है साहब दिलबर मेरा,
उसे याद रहता है मुझे याद न करना l

151.

मुद्दत हो गयी, कोइ शख्स तो अब ऐसा मिले...
बाहर से जो दिखता हो अन्दर भी वैसा ही मिले..!!

152.

किसी पर भी एतबार ज़रा सोच समझकर, करनामुमकिन नही तुम्हे हर जगह हम मिले..

153.

मैं उदास हूं बिना तेरे कैसे कहूँ की जी नहीं सकता,
कैसे तूने उस गैर को अपना बना लिया,
मैं ये बात अब सह नहीं सकता..

154.

अगर इश्क़ करो तो....अदब-ए-वफ़ा भी सीख लो,
ये चंद लम्हों की बेक़रारी...मोहब्बत नहीं होती...!!

155.

दिल के लिये ज़िंदगी का पैगाम बन गई ....
सिमट के " तन्हाइयाँ " तेरा नाम बन गई .....!!

156.

प्यार का तो पता नही..लेकिन जब भी तू परेशान
होती है,
एक अजीब सी बेचैनी हो जाती है मुझे ����

157.

हमदर्द थे...हम-कदम थे...हमसफ़र थे...हमनशीं
जो भी थे बस हम थे ....!
वो तो कभी थे ही नहीं .....!

158.

क्या ऐसा नही हो सकता
हम तुमसे तुमको मांगे....

साहब

और तू मुस्कुरा के कहे
अपनी चीजे माँगा नही करते....

159.

जब तक साँस है , टकराव मिलता रहेगा !
जब तक रिश्ते हैं , घाव मिलता रहेगा !
पीठ पीछे जो बोलते हैं , उन्हें पीछे ही रहने दे ,
रास्ता सही है तो गैरों से भी लगाव मिलता रहेगा।।

160.

मेरी तहरीर से लिपटे हुए ताबूत ना खोल,
अल्फ़ाज़ गर जी उठे तो ख़ौफ़ से मर जाओगे तुम..

161.

किसी को किसी से कम ना आँकिये साहब,
देखिये दोनों ने मिल कर साल बदल दिया..

162.

पहले हम अच्छे थे अब कैसे बुरे हो गये,
तुम ख़ुद तो बदले हो,बयाँन तो ना बदलो..

163.

एक हुनर है चुप रहने का,
इक ऐब है कह देने का..

164.

ये साल भी गुज़रा तेरे प्यार की मानिद,
आते हुए कुछ और था और जाते हुए कुछ और..

165.

सुना है बहुत पढ़ें लिखें हो तुम,
कभी वो भी तो पढ़ो जो हम लिख नहीं पाते..

166.

दिये हैं ज़िन्दगी ने ज़ख़्म एैसे,
के जिनका वक़्त भी मरहम नही..

167.

चालाकी कहाँ मिलती है ज़रा हमें भी बता दीजिये,
ज़रा सा मीठा बोल के हर कोइ ठग लेता है..

168.

यह कैसा ख़्वाब था,झटका सा लगा दिल को,
के इक शख़्स परेशान था मेरी तलाश में..

169.

प्यास कहती है कि अब कोइ रेत निचोड़ी जाय,
अपने हिस्से में समन्दर नहीं आने वाला..

170.

चेहरे बदल बदल कर मिल रहे हैं लोग,
इतना बुरा सलूक मेरी सादगी के साथ !!!

171.

मुझे लहज़ा बदलने से हमेशा ख़ौफ़ आता है,
के लहज़े जब बदलते हैं तो कोइ अपना नहीं रहता..

172.

अजीब लोगों का बसेरा है तेरे शहर में,
ग़रूर में मिट जाते हैं मगर याद नहीं करते..

173.

तकदीर बनाने वाले, तूने भी हद कर दी;
तकदीर में किसी और का नाम लिखा था;
और दिल में चाहत किसी और की भर दी!

174.

न जाने क्यों हमें आँसू बहाना नहीं आता!
न जाने क्यों हाल-ऐ-दिल बताना नहीं आता!
क्यों सब दोस्त बिछड़ गए हमसे!
शायद हमें ही साथ निभाना नहीं आता!

175.

ताल्लुकात बढ़ाने हैं तो कुछ आदतें बुरी सीख लो...
अग़र ऐब न हों तो लोग महफ़िलों में नहीं बुलाते...

176.

दोस्त समझते हो तो दोस्ती निभाते रहना;
हमें भी याद करना खुद भी याद आते रहना;
हमारी तो हर ख़ुशी दोस्तों से ही है;
हम खुश रहें या ना आप सदा यूँ ही मुस्कुराते रहना।

177.

आसमान से उतरी हैं, तारों से सजाई है..
चाँद की चांदनी से नेहलायी हैं, ए दोस्त,
संभल के रखना ये दोस्ती,
यही तो हमारी ज़िन्दगी भर की कमाई है..

178.

मोहब्बत नहीं है कोई किताबों की बाते!
समझोगे जब रो कर कुछ काटोगे रातें!
जो चोरी हो गया तो पता चला दिल था हमारा!
करते थे हम भी कभी किताबों की बाते!

179.

कभी इतना मत मुस्कुराना की नजर लग जाए जमाने की,
हर आँख मेरी तरह मोहब्बत की नही होती....!!!

180.

कुछ हार गयी तकदीर कुछ टूट गए सपने,
कुछ गैरों ने बर्बाद किया कुछ छोड़ गए अपने !!

181.

मोहब्बत यूँ ही किसी से हुआ नहीं करती....,
अपना वजूद भूलाना पडता है,किसी को अपना बनाने के लिए...।

182.

हमने लिया सिर्फ होंठों से जो तेरा नाम..
दिल होंठो से उलझ पड़ा कि ये सिर्फ मेरा है !!

183.

मेरी ख्वाहिश है की मैं फिर से फ़रिश्ता हो जाऊं,..
माँ से इस तरह लिपट जाऊं की बच्चा हो जाऊं..

184.

प्रेम तब तक सिर्फ एक शब्द भर है जब तक आप इसका अहसास नहीं कर लेते।

185.

तेरी मुहब्बत पर मेरा हक तो नही पर दिल चाहता है, आखरी साँस तक तेरा इंतजार करूँ !

186.

हज़ारो मैं मुझे सिर्फ़ एक वो शख्स चाहिये,
जो मेरी ग़ैर मौजूदगी मैं, मेरी बुराई ना सुन सके !!

187.

तेरा ज़िक्र..तेरी फिक्र ..तेरा एहसास...तेरा ख्याल..!!! तू खुदा नहीं ....फिर हर जगह मौज़ूद क्यूँ है...!!

188.

सीख कर गया है वो मोहब्बत मुझसे,
जिस से भी करेगा, बेमिसाल करेगा।

189.

हाथों की लकीरों के फरेब में मत आना..
ज्योतिषों की दूकान पर ''मुक्कदर'' नहीं बिकते..

190.

'साहिल' पे बैठे यूँ सोचता हूँ मैं आज
कौन ज्यादा मजबूर है
ये किनारा जो चल नहीं सकता या
या वो लहर जो ठहर नहीं सकती ?

वो ज़माना कुछ और था

वो ज़माना और था.. कि जब पड़ोसियों के आधे बर्तन हमारे घर और हमारे बर्तन उनके घर मे होते थे। वो ज़माना और था .. कि जब पड़ोस के घर बेटी...