एक बार एक student जल्दबाजी में अपनी सीट पर पहुंचने के चक्कर में दूसरे student से टकरा गया| दूसरा student बोतल से पानी पी रहा था तो धक्का लगने की वजह से पानी उसकी कमीज पर गिर गया और उसकी कमीज गीली हो गई|
दूसरा student पहले student पर चिल्लाया, देख कर नहीं चल सकते क्या अंधे?
पहले student ने विनम्रता से जवाब देते हुए:- कहा माफ करना गलती से लग गया|
लेकिन पहला student जितनी विनम्रता से माफी मांग रहा था दूसरा student उस पर उतना ही भड़क रहा था| पूरा class यह सब देख रहा था|
तभी class teacher क्लास रूम में आती हैं और उनका गुस्सा शांत कराकर उनको अपनी अपनी सीटों पर बैठा देती है|
टीचर उनको एक ज्ञान की बात सुनाती है:-
एक बार एक मीटिंग में 2 लोग हिस्सा लेने गए हुए थे| दोनों के हाथ में गर्म चाय से भरे हुए कप थे| किसी वजह से दोनों एक दूसरे से टकरा गए और गर्म चाय से भरे हुए कप एक दूसरे के ऊपर छलक गए|
दोनों लोगों में बहस शुरू हो गई और मामला इतना serious हो गया कि पुलिस बुलानी पड़ गई और उन दोनों को जेल हो गई|
टीचर बोली असल में कप उनका मन था जिसमें गर्म गर्म चाय यानी गुस्से वाले भाव भरे हुए थे| जैसे ही दोनों में टकराव हुआ दोनों के मन के भाव यानी गुस्सा जिसे हम चाय कह रहे हैं, एक दूसरे पर बरस पड़े और दोनों में झड़प हो गई|
हम सबके साथ हमारा कप हमेशा होता है| उसमें चाय भरेंगे तो चाय ही गिरेगी ना| अगर ठंडा पानी भरेंगे तो ठंडा पानी गिरेगा| तो अब आप लोग ही तय करिए कि आपको अपने कप में क्या भरना है|
जैसे हमारे विचार होते हैं ठीक वैसा ही हमारा व्यवहार होता है
No comments:
Post a Comment