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Tuesday, July 17, 2018

सुख और दुख की परिभाषा

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ऐ "सुख" तू कहाँ मिलता है.. क्या तेरा कोई स्थायी पता है.. क्यों बन बैठा है अन्जाना.. आखिर क्या है तेरा ठिकाना.. कहाँ कहा...

कुछ अनकही नज़्में

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1. लौट आओ कि मेरी साँसे अब तिनका तिनका बिखरती हैं.. कहीं मेरी जान ना ले ले ये पहली शाम दिसंबर की.. 2. मुझे मालूम है मैं उस के बिना ज़ी नह...
1 comment:
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