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Saturday, July 21, 2018

अग्नि-समाधि - मुंशी प्रेमचंद

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साधु-संतों के सत्संग से बुरे भी अच्छे हो जाते हैं, किन्तु पयाग का दुर्भाग्यथा, कि उस पर सत्संग का उल्टा ही असर हुआ। उसे गाँजे, चरस और भंग क...
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बेटी का धन - मुंशी प्रेमचन्द

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बीच इस तरह मुँह छिपाये हुए थी जैसे निर्मल हृदयों में साहस और उत्साह की मद्धम ज्योति छिपी रहती है। इसके एक कगार पर एक छोटा-सा गाँव बसा है ...
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